लॉकडाउन के बाद अब मौसम की मार झेलने को मजबूर किसान, कई राज्यों में बारिश-ओले

25 अप्रैल की रात से राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड में बेमौसम बारिश, आंधी व ओलों की वजह से फसलें खराब हो गई
हरियाणा के करनाल अनाज मंडी में खुले आसमान नीचे पड़ा गेहूं। फोटो: शाहनवाज आलम
हरियाणा के करनाल अनाज मंडी में खुले आसमान नीचे पड़ा गेहूं। फोटो: शाहनवाज आलम
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लॉकडाउन की वजह से फसल की कटाई और खरीद में देरी से परेशान किसानों पर एक और आफत टूटी। 25 अप्रैल की रात और 26 अप्रैल की सुबह कई राज्यों में भारी बारिश और आंधी की वजह से काफी फसल खराब हो गई, बल्कि फसल खरीद केंद्रों में भी गेहूं खराब होने की आशंका जताई जा रही है। डाउन टू अर्थ ने राज्यवार फसल के नुकसान का जायजा लिया।

राजस्थान के पूर्वी और उत्तरी जिलों में 0.1 मिली मीटर से लेकर 4 एमएम तक बारिश दर्ज हुई है। सबसे ज्यादा बारिश चुरू (4 एमएम), झुंझुनू (4 एमएम), सीकर (5.6 एमएम), अलवर (2.7 एमएम), भरतपुर (1.8 एमएम), टोंक (0.9 एमएम), अजमेर (1.2 एमएम) और कोटा में 0.5 एमएम बारिश दर्ज की गई। जयपुर जिले की चौमूं तहसील के गुड़लिया गांव के रहने वाले किसान भगवान लाल निठारवाल बड़े किसान हैं। 100 बीघा खेती के मालिक निठारवाल के इस बार 300-300 क्विंटल गेहूं और जौ पैदा हुआ। इस पर उनका लगभग तीन लाख रुपए खर्चा हुआ, लेकिन 25 अप्रैल को हुई बारिश के खुले में रखी फसल भीग गई। इससे पहले यहां 20 अप्रैल को भी बारिश हुई थी। पकी फसल घर में होने के बावजूद खराब हो गई है। गेहूं और जौ का रंग काला पड़ गया है। निठारवाल ने 10 बीघा में तरबूज भी बोया था जो पूरा खराब हो गया है।

इसी तरह चौमूं में ही सब्जियां उगाने वाले किसान मूलचंद का नुकसान हुआ है। वे बताते हैं, ‘10 बीघा में मिर्ची, ककड़ी, टमाटर, लौकी और खीरा उगाए थे। 25 अप्रैल को हुई बारिश से आधी सब्जियां खराब हो गई हैं। जुताई, बीज, खाद सब मिलाकर करीब 2 लाख रुपए का खर्चा आया था। अगर बारिश नहीं होती तो ये करीब पांच लाख रुपए में बिक जाती, लेकिन बारिश से आधी सब्जियां खराब हो गई हैं। सब्जी उगाने वाले किसानों की तीन महीने की मेहनत खराब हो गई है।’

मध्यप्रदेश के रीवा, जबलपुर, शहडौल, उज्जैन और ग्वालियर के आसपास कई जगह बारिश हुई। बारिश का सबसे अधिक असर सतना में देखने को मिला, जहां 2 सेंटीमीटर तक बरसात हुई। सीधी और सिंगरौली में 1 सेंटीमिटर बारिश दर्ज की गई। रीवा संभाग में अप्रैल की शुरुआत से ही बारिश का कहर लगातार बरप रहा है। 25 अप्रैल को हुई बारिश में खेत में खड़ी गेहूं की फसल को नुकसान हुआ है। लॉकडाउन की वजह से आधी से अधिक फसल अभी खेत में खड़ी है। ग्वालियर संभाग के शिवपुरी और श्योपुर में 25 फीसदी फसल अभी भी खेत में ही है। यहां दो दिन पहले अचानक हुई बारिश में मंडियों में पहुंचे किसान का अनाज भीग गया था। हालांकि, कृषि विभाग ने अभी नुकसान का आंकलन नहीं किया है। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि छतरपुर, सागर, टीकमगढ़, राजगढ़, विदिशा, आगर, शाजापुर, नीमच और मंदसौर में गरज के साथ बारिश होने की अशंका है।

छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर सहित आसपास के इलाके में कुछ जगहों पर ओलावृष्टि भी हुई।  सरगुजा संभाग के इलाके में खराब मौसम से लोगों को राहत नहीं मिल पा रही है। इसके अलावा, जशपुर जिले में रात भर हुई बारिश और भारी ओलावृष्टि से ग्रामीण इलाके में भारी तबाही की तस्वीरें आ रहीं हैं। इस इलाके में भी खड़ी फसल को काफी नुकसान हुआ है। 

उत्तर प्रदेश के बस्ती, सिद्धार्थनगर और गोंडा जिले में बारिश से किसानों की फसलें खराब हुई है। इस बारे में बस्ती जिले के महुआपर गांव के अजय भट्ट (37) बताते हैं, 25 अप्रैल की शाम तेज बारिश के साथ ओले गिरे थे। मेरी फसल अभी कट कर खेत में ही रखी थी, वो पूरी तरह भीग चुकी है। इससे पहले भी बारिश की वजह से मेरा बहुत नुकसान हो चुका है।"

सिद्धार्थनगर जिले के कई गांव में भी बारिश और ओले ने तबाही मचाई। सिद्धार्थनगर जिले के मौली खास गांव के रहने वाले अशोक यादव (30) बताते हैं, मैंने इससे पहले कभी इस तरह की ओलावृष्टि नहीं देखी है। वो तो मेरा गेहूं समय पर कट चुका था, नहीं तो सब बर्बाद हो जाता। इस बारिश से गांव के कई किसानों का गेहूं तबाह हो गया है।

पीलीभीत में 26 अप्रैल को सुबह तेज हवा के साथ बरसात और फिर बड़े-बड़े ओले भी गिरने लगे। इन दिनों यहां गेहूं की कटाई पूरे जोरों पर हैं। सरकारी क्रय केंद्रों पर भी गेहूं भीगने की सूचना है। इस साल बरेली मंडल में 6.77लाख मीट्रिक टन गेहूं उत्पादन का अनुमान है। कृषि विभाग अनुमान लगा रहा है कि इस बारिश और ओलों से कितना नुकसान हुआ है। मौसम बिगड़ने के पूर्वानुमान के बाद भी क्रय केंद्रों पर गेहूं को भीगने से बचाने के पुख्ता इंतजाम नहीं किये गए।

बरेली के मानपुर त्रिलोक के क्रय केंद्र पर 2 हजार बोरी गेहूं खुले में रखा हुआ है। यह गेहूं खरीदे हुए हफ्ता भर हो गया। इतने दिनों में भी गेहूं का उठान नहीं हुआ। ऐसी ही स्थिति जिले के अन्य कई केंद्रों की भी है। केंद्रों पर अधूरे इंतजाम के बीच जरा सी बारिश भी नुकसानदेह हो सकती है।

बांदा जिले में भी बारिश से काफी नुकसान पहुंचा है। बांदा के कृषि निदेशक एके सिंह बताते हैं, "हमारे जिले में 3 लाख 24 हज़ार हेक्टेयर में रबी फसल लगी है जिसमें से 1 लाख 10 हेक्टेयर चना (ब्लैक ग्राम) है और बाकी गेंहू। 25 अप्रैल की बारिश और ओलावृष्टि से गेंहू की कुछ फसल जिनकी थ्रेशिंग हो रही थी वो भीग गई है। ज़्यादा नुकसान तो नहीं हुआ है लेकिन क्वालिटी में कुछ फर्क आयेगा इस से। चने के कटाई पिछले महीने ही पूरी हो चुकी है।"

बरोखर खुर्द निवासी प्रेम सिंह बताते हैं कि बारिश के वजह से गेंहू की थ्रेशिंग रोकनी पड़ी है हर जगह और आम की फसलों को काफ़ी नुकसान हुए है। महोबा में तो ओले भी पड़े हैं। बांदा के बरोखर खुर्द गांव में 150 आम के बगीचे हैं जिनमें भारी नुकसान हुआ है।

हरियाणा के करनाल, कुरुक्षेत्र, भिवानी, रोहतक, पानीपत, हिसार, कैथल, गुरुग्राम और सिरसा में अधिक बारिश हुई है। राज्य में गेहूं की खरीददारी के लिए 487 स्‍थायी खरीद केंद्र के अलावा 1400 अस्‍थायी केंद्र बनाए गए है, लेकिन किसानों से खरीदी गई गेहूं को सुरक्षित रखने के लिए कोई इंतजाम नहीं किया गया। न तो इन मंडियों में गेहूं की बोरियां रखने के लिए लकडि़यों के कैरेट दिए गए और न ही तिरपाल। जबकि 20 अप्रैल से लेकर 25 अप्रैल की शाम तक करीब 20 लाख मीट्रिक टन गेहूं मंडियों तक पहुंच चुका है। हरियाणा आढ़ती एसोसिएशन के प्रदेश अध्‍यक्ष अशोक गुप्‍ता का कहना है कि इस बार लॉकडाउन के कारण मजदूर नहीं मिल रहे है। जिसकी वजह से प्रदेश के अनाज मंडी में गेहूं की उठान 30 फीसदी से भी कम है। सभी खुले में रखे हुए है। हरियाणा व्‍यापार मंडल के प्रदेश अध्‍यक्ष बजरंग गर्ग के मुताबिक आठ लाख कुंतल से अधिक गेहूं खुले में पड़ा हुआ है। जो बारिश से भीग गया। नमी बढ़ने से स्‍टॉक करने पर खराब हो जाएगा।  

किसानों का कहना है कि तिरपाल मुहैया कराना आढ़तियों का काम है। लेकिन खरीद केंद्रों पर गेहूं को बचाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया। भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्‍यक्ष गुरणाम सिंह चढूणी कहते है, सरकार ने 12 फीसदी अधिकतम नमी तय की है। बारिश से यह नमी बढ़ जाएगी।

उत्तराखंड के पर्वतीय और मैदानी क्षेत्रों में पिछले 24 घंटे के दौरान औसतन 27.7 मिमी बारिश हो चुकी है। राज्य के मैदानी क्षेत्रों में गेहूं की फसल कटनी अभी शुरू हुई है और पर्वतीय क्षेत्रों में फसल तैयार होने में अभी एक से दो सप्ताह का समय बाकी है। फिलहाल जो फसल कट चुकी है, वह बारिश में भीगकर खराब हो रही है, जबकि जिन क्षेत्रों में ओले गिरे हैं वहां खड़ी फसल को नुकसान होने की संभावना है। राज्य में करीब 3.58 लाख हेक्टेअर क्षेत्र में गेहूं की फसल बोई गई है। पर्वतीय क्षेत्रों में गेहूं की पैदावार औसतन 430 किलो प्रति हेक्टेअर ही हो पाती है। यदि बारिश और ओले गिरने का सिलसिला नहीं थमा तो पैदावार 300 किलो प्रति हेक्टेअर तक भी गिरने की आशंका जा रही है।

बिहार के मधेपुरा के चौसा गांव के किसान राज कुमार यादव ने 7 एकड़ में मक्के की खेती की है। बारिश के कारण उन्हें इस बार नुकसान झेलना होगा। उन्हें इस असमय बारिश से मक्के का उत्पादन 70 प्रतिशत कम हो सकता है। बिहार में 278.437 हजार हेक्टेयर में मक्के की बुआई हुई है। हालांकि अभी मक्के की कटाई का सीजन नहीं है, लेकिन आंधी तूफान की वजह से मक्के के पौधे झुक गए हैं जिससे उत्पादन बुरी तरह प्रभावित होने का अनुमान है।

मुजफ्फरपुर, मधेपुरा, बेगूसराय, सारण, वैशाली, पटना, नवादा, जहानाबाद समेत एक दर्जन जिलों में 25 अप्रैल की रात और 26 अप्रैल की सुबह बारिश हुई। बिहार में रबी सीजन में सबसे ज्यादा गेहूं की खेती होती है। कृषि विभाग के मुताबिक, इस बार 6183.464 हजार टन गेहूं उत्पादन का अनुमान है। इस समय तक गेहूं की कटनी और खत्म हो जाती है। लेकिन, लॉकडाउन के कारण मजदूर नहीं मिलने से कटनी देर से शुरू हुई। अनुमान के मुताबिक, 40 प्रतिशत गेहूं की कटाई अभी तक नहीं हो पाई है।

अब तक मिले आंकड़ों के मुताबिक राज्य के 38 में से नौ जिलों में ही गेहूं की खरीद शुरू हो पाई है। वह भी कुल 250 टन। ऐसी जानकारी है कि सरकारी गोदामों में पहले से धान भरा है, इसलिये सरकारी खरीद की गति सुस्त है। ऐसी में इस असमय बारिश से गेहूं की फसल के नुकसान का बड़ा खतरा उत्पन्न हो गया है।

 झारखंड से आनंद दत्त की रिपोर्ट के मुताबिक रांची, रामगढ़, खूंटी, सिमडेगा, सरायकेला खरसावां, जमशेदपुर में बारिश हुई है। आने वाले 3 दिनों में रांची, दुमका, पाकुड़, गोड्डा, सहित कुछ और जिलों में होने जा रहा है। यहां गेहूं की खेती कम होती है, राज्य में लगभग दो लाख हेक्टेयर में गेहूं की फसल है। किसान गेहूं काट रहे हैं। कृषि विभाग अनुमान लगा रहा है कि इसमें कितनी फसल का नुकसान हुआ है।

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