भारत सहित दुनिया में गेहूं की पैदावार में होगी वृद्धि, एफएओ ने जताई उम्मीद

एफएओ ने भारत में गेहूं के बेहतर उत्पादन का अनुमान जताया है। एफएओ के मुताबिक सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी, अनुकूल मौसम और मुनाफे के चलते 2024 के दौरान देश में गेहूं की बुआई में बढ़ोतरी हुई है
संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन ने उम्मीद जताई है कि भारत में अनुकूल मौसम के चलते गेहूं की पैदावार बढ़ सकती है; फोटो: आईस्टॉक
संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन ने उम्मीद जताई है कि भारत में अनुकूल मौसम के चलते गेहूं की पैदावार बढ़ सकती है; फोटो: आईस्टॉक
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घटती कीमतों और बुआई में गिरावट के बावजूद 2024 में गेहूं का उत्पादन बढ़ सकता है। अनुमान है कि 2024 में वैश्विक स्तर पर गेहूं का उत्पादन बढ़कर 79.7 करोड़ टन पर पहुंच जाएगा, जो 2023 से एक फीसदी अधिक है।

यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने वैश्विक स्तर पर 2024 में गेहूं उत्पादन को लेकर जो प्रारंभिक अनुमान जारी किए हैं, उसमें सामने आई है। हालांकि गेहूं के बढ़ते उत्पादन के बावजूद उसके 2022 के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंचने की उम्मीद नहीं है।

इस बारे में जारी रिपोर्ट के मुताबिक गेहूं की घटती कीमतों के बीच उत्तरी अमेरिका में सर्दियों के दौरान गेहूं की बुआई में पिछले साल की तुलना में छह फीसदी की गिरावट आई है। हालांकि एफएओ के मुताबिक बढ़ती बढ़ती पैदावार की संभावनाएं क्षेत्र के गेहूं उत्पादन में वृद्धि का कारण बन सकती हैं।

वहीं यदि यूरोप की बात करें तो वहां भारी बारिश के चलते सर्दियों में बोए जाने वाले गेहूं की बुआई में देरी हुई है। ऐसे में इस क्षेत्र के प्रमुख उत्पादक देशों जैसे फ्रांस और जर्मनी के कुल बोए गए गेहूं क्षेत्र में 2024 के दौरान मामूली गिरावट का अनुमान है। इस क्षेत्र में सर्द मौसम और बारिश की कमी के चलते यूरोपियन यूनियन में गेहूं का उत्पादन थोड़ा घट सकता है जिसके 2024 में 13.3 करोड़ टन होने की उम्मीद है।

भारत में बढ़ सकता है उत्पादन

वहीं अनुकूल मौसम के चलते रूस जैसे प्रमुख निर्यातक के साथ-साथ भारत, चीन, ईरान, पाकिस्तान और तुर्की में भी गेहूं उत्पादन में वृद्धि को लेकर उम्मीदें बढ़ी हैं। एफएओ ने भारत में गेहूं के उत्पादन में इजाफे का अनुमान जताया है। एफएओ के मुताबिक सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी, अनुकूल मौसम और मुनाफे के चलते 2024 में बुआई में बढ़ोतरी हुई है। इसी तरह पाकिस्तान में भी अनुकूल मौसम के बीच गेहूं उत्पादन बढ़कर 2.83 करोड़ टन होने की उम्मीद है।

यूनाइटेड किंगडम और उत्तरी आयरलैंड में भी बुआई के समय आदर्श मौसम न होने की वजह से बुआई में कमी हुई है, जिससे 2024 में गेहूं उत्पादन थोड़ा घट सकता है। वहीं यूक्रेन में जारी संघर्ष के चलते 2024 में बुआई में गिरावट का अंदेशा है। इसकी वजह से न केवल किसानों की खेतों तक पहुंच बाधित हुई है साथ ही किसानों पर वित्तीय संकट के बदल भी मंडरा रहे हैं। साथ ही उनके मुनाफे में भी गिरावट आई है।

यदि रूस की बात करें तो वहां मौसम की स्थति अनुकूल बनी हुई है, जिसके आगे भी जारी रहने की उम्मीद है। ऐसे में रूस के गेहूं उत्पादन में 2024 के दौरान थोड़ी वृद्धि हो सकती है।

चीन में, घरेलू मांग मजबूत हुई है और न्यूनतम खरीद मूल्य में वृद्धि के कारण इसकी बुआई में बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में चीन में गेहूं उत्पादन बढ़कर 13.6 करोड़ टन से ज्यादा रहने की उम्मीद है। इसी तरह अनुकूल मौसम के बीच, तुर्किये और ईरान में गेहूं का औसत उत्पादन होने का अनुमान है, बता दें कि यह दोनों देश गेहूं के महत्वपूर्ण उत्पादक देशों में शामिल हैं। वहीं उत्तरी अफ्रीका में, लगातार दूसरे साल बारिश की भारी कमी के चलते अल्जीरिया और ट्यूनीशिया के साथ-साथ मोरक्को में भी गेहूं की पैदावार में गिरावट आने का अंदेशा है।

यदि ब्राजील की बात करें तो 2024 के लिए इस सीजन की प्रमुख फसल यानी मक्के की बुआई की जा रही है, लेकिन इसकी घटती कीमतों और सोयाबीन की फसल में देरी के चलते इसके कुल बोए क्षेत्र के पिछले साल की तुलना में कम रहने की आशंका है। हालांकि इसके बावजूद ब्राजील में मक्के का उत्पादन पिछले पांच वर्षों के औसत से अधिक रहने की उम्मीद है।

अर्जेंटीना को देखें तो 2023 में सूखे की मार झेलने के बाद इस साल फिर से अनुकूल मौसम के चलते पैदावार में इजाफे की उम्मीद है। हालांकि दूसरी ओर दक्षिण अफ्रीका में, हाल में बारिश की कमी ने पैदावार की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। ऐसे में अंदेशा जताया जा रहा है कि वहां मक्के का उत्पादन औसत के आसपास रह सकता है, जो पिछले पूर्वानुमानों से कम है। शुष्क मौसम का असर पड़ोसी देशों पर भी पड़ रहा है, जिससे 2024 के दौरान वहां भी मक्के का उत्पादन घट सकता है।

इसी तरह एफएओ ने उम्मीद जताई है कि 2023 में वैश्विक स्तर पर अनाज उत्पादन पिछले अनुमान से कहीं ज्यादा हो सकता है। एफएओ ने अनाज उत्पादन के अपने पिछले पूर्वानुमान को थोड़ा बढ़ाकर 284 करोड़ टन कर दिया है।

इसी तरह 2023-24 की अवधि के लिए, वैश्विक अनाज का उपयोग 282.3 करोड़ टन तक पहुंचने की उम्मीद है, जो पिछले साल की तुलना में 1.1 फीसदी (3.04 करोड़ टन) अधिक है। अनुमान है कि यह वृद्धि मुख्य रूप से अल्जीरिया और भारत में चारे के लिए मक्का और गेहूं के बढ़ते उपयोग से प्रेरित है। एफएओ ने वैश्विक मक्का उत्पादन में 5.3 फीसदी की वृद्धि होने की उम्मीद जताई है।

वैश्विक स्तर पर बढ़ रहा है मोटे अनाज का उपयोग

वहीं मुख्य रूप से मोटे अनाज के कारण वैश्विक अनाज भंडार के भी बढ़ने का अनुमान है। वैश्विक अनाज स्टॉक के 30.9 फीसदी से बढ़कर 31.1 फीसदी होने की उम्मीद है। यूक्रेन से बेहतर मक्का निर्यात और चीन में भारी मांग के चलते वैश्विक अनाज व्यापार में पिछले वर्ष की तुलना में 1.3 फीसदी की वृद्धि हो सकती है।

आंकड़े दर्शाते हैं कि वैश्विक स्तर पर मोटे अनाज का उपयोग भी बढ़ रहा है, इसके 2023-24 में 150.6 करोड़ टन होने का अनुमान जताया गया है। जो पिछले वर्ष की तुलना में 1.2 फीसदी यानी नौ लाख टन की वृद्धि को दर्शाता है। इसी तरह गेहूं के उपयोग में 1.8 फीसदी की वृद्धि हो सकती है। अनुमान है कि गेहूं का उपयोग बढ़कर 79.3 करोड़ टन हो सकता है। 

इसी तरह वैश्विक स्तर पर चावल का उपयोग भी 2023-24 में बढ़कर 52.4 करोड़ टन तक पहुंच सकता है।  जो पिछले अनुमान से 15 लाख टन अधिक है। देखा जाए तो इसका सबसे बड़ा कारण 2022/23 के बाद से भारत में चावल का बढ़ता उपयोग है।

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