उत्तर प्रदेश के किसान इन दिनों गन्ना भुगतान के लिए परेशान हैं। अपनी इसी परेशानी को लेकर यूपी के अलग-अलग जिलों से गन्ना किसान लखनऊ में गन्ना आयुक्त कार्यालय पर धरना देने पहुंचे थे। किसानों ने करीब दो दिन यहां गुजारे, इसके बाद भारी संख्या में पुलिसबल लगाकर इन्हें हटा दिया गया।
किसान अपना गांव, खेत, घर छोड़कर राजधानी लखनऊ इस उम्मीद से आए थे कि उनका भुगतान हो जाएगा, लेकिन निराश होकर लौटना पड़ा। इन्हीं किसानों में से एक हैं दलजीत सिंह (41) जो लखीमपुर खीरी जिले के बबौरा गांव के रहने वाले हैं। दलजीत ने चालू पेराई वर्ष 2020-21 में करीब एक लाख रुपए का गन्ना चिनी मिलों को दिया है, इसमें से सिर्फ पांच हजार रुपए उन्हें मिल पाया है।
दलजीत बताते हैं, "सरकार कहती है कि गन्ना सप्लाई के 14 दिन के अंदर किसानों का पेमेंट हो जाएगा। मेरे साथ ऐसा कभी नहीं हुआ। इस बार मैंने चीनी मिल को नवंबर और दिसंबर (2020) में गन्ना सप्लाई किया था, अभी तक पेमेंट नहीं आया।"
दलजीत ने बताया कि गन्ना भुगतान के लिए करीब दो साल का इंतजार करना पड़ रहा है। इसकी वजह से उन्हें और उन जैसे अन्य गन्ना किसानों को कर्ज लेकर घर चलाना पड़ता है। दलजीत ने 2017 में किसान क्रेडिट कार्ड पर एक लाख का कर्ज लिया था, यह सोचकर कि गन्ना भुगतान होते ही कर्ज चुका देंगे। गन्ना भुगतान समय पर नहीं हुआ और उनका यह कर्ज अब तक चल रहा है। इस कर्ज पर लगने वाले ब्याज को चुकाने के लिए दलजीत को अपनी 2 बीघा जमीन गिरवी रखनी पड़ी है।
दलजीत की तरह लखीमपुर खीरी जिले के झाउपुर गांव के रहने वाले राजीव वर्मा (37) भी कर्ज के इस चक्र में फंसे हुए हैं। राजीव छोटे किसान हैं, उनके पास मात्र 4 बीघे जमीन है। ऐसे में वह किसानी के साथ मजदूरी भी करते हैं। राजीव ने इस साल जनवरी में चिनी मिल को करीब 30 हजार रुपए का गन्ना दिया है। इसमें से केवल 50 प्रतिशत भुगतान हो पाया है, वह भी तब हुआ जब उन्होंने कोरोना के बीच बीमार पड़ने पर स्थानीय अधिकारियों के पास लिखित में शिकायत की। उनका 30 हजार रुपए बकाया था, लेकिन अब तक 15 हजार रुपए मिल पाए हैं।
दलजीत और राजीव की तरह बहुत से किसान हैं जिनका गन्ना भुगतान महीनों से अटका हुआ है। किसानों की मांग है कि उन्हें बकाया भुगतान के साथ इसका ब्याज भी दिया जाए। उत्तर प्रदेश किसान मजूदर मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरदार वीएम सिंह के मुताबिक, गन्ना किसानों का करीब 11 हजार करोड़ रुपए बकाया है, पिछले 10 साल का ब्याज जोड़ने पर यह राशि करीब 20 हजार करोड़ की हो जाती है।
वीएम सिंह कहते हैं, "कोरोना काल में किसानों को भी पैसा चाहिए। उन्हें घर चलाना है, इलाज का खर्च, बच्चों की पढ़ाई जैसे अन्य खर्च भी हैं। सरकार को किसानों का पैसा उन्हें देना चाहिए। कोरोना के लिए केंद्र सरकार 20 लाख करोड़ का पैकेज जारी कर रही है, उसी पैकेज में से यूपी सरकार को भी गन्ना भुगतान के लिए पैसा दे दिया जाए।"