चीनी मिलों पर गन्ना किसानों को 15 हजार करोड़ बकाया, यूपी का सबसे अधिक

सरकार ने संसद में जानकारी दी कि गन्ना किसानों का सबसे अधिक बकाया उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर है
संसद में दी गई जानकारी के मुताबिक, चीनी मिलों पर उत्तर प्रदेश के किसानों का सबसे अधिक बकाया है। फोटो: विकास चौधरी
संसद में दी गई जानकारी के मुताबिक, चीनी मिलों पर उत्तर प्रदेश के किसानों का सबसे अधिक बकाया है। फोटो: विकास चौधरी
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चीनी मिलों ने गन्ना किसानों को लगभग 15,683 करोड़ रुपए देने है। इनमें से लगभग 65 फीसदी उत्तर प्रदेश के किसानों का है। इतना ही नहीं, लगभग 1,899 करोड़ रुपए 2016-17 से बकाया है। हालांकि इसमें से 1,470 करोड़ रुपए तमिलनाडु के किसानों का बकाया है।

संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय खाद्य एवं सावर्जनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामलों के राज्य मंत्री दानवे रावसाहेब दादाराव ने बताया कि 11 सितंबर 2020 तक 2019-20 के चीनी मौसम का लगभग 62,591 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया गया है और इस सीजन का लगभग 12,994 करोड़ रुपए अभी बकाया है। इस सीजन का लगभग 10,000 करोड़ रुपए उत्तर प्रदेश के किसानों का बकाया है।

बताया गया कि 2016-17 और उससे पहले के वर्षों से लेकर 2019-20 करोड़ का कुल 15,683 करोड़ रुपए में से 10,174 करोड़ रुपए उत्तर प्रदेश के किसानों का बकाया है। इसके अलावा महाराष्ट्र के किसानों का 511 करोड़ रुपए, गुजरात के किसानों का 924 करोड़ रुपए, तमिलनाडु के किसानों का 1,834 करोड़ रुपए, उत्तराखंड के किसानों का 642 करोड़ रुपए, हरियाणा के किसानों का 433 करोड़ रुपए, बिहार के किसानों का 367 करोड़ रुपए, हरियाणा के किसानों का 433 करोड़ रुपए, पंजाब के किसानों का 359 करोड़ रुपए, कर्नाटक के किसानों का लगभग 232 करोड़ रुपए बकाया हैं।

लोकसभा को बताया गया कि बजाज ग्रुप की 14 चीनी मिलें उत्तर प्रदेश में हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने सूचना दी है कि चीनी सीजन 2019-20 के लिए बजाज ग्रुप की अपनी 14 चीनी मिलों के 5,339 करोड़ रुपए की कुल बकाया राशि में से गन्ना किसानों को 2,378 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया गया है और 2,961 करोड़ रुपए का भुगतान अभी नहीं किया गया है। जिनमें से 992 करोड़ रुपए का बकाया लखीमपुर जिले की 3 चीनी मिलों के पास बकाया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा है कि प्रदेश सरकार ने बजाज ग्रुप सहित सभी चीनी मिलों को गन्ना का बकाया भुगतान करने के निर्देश दिए हैं।

यहां यह उल्लेखनीय है कि गन्ना नियंत्रण आदेश 1966 के मुताबिक, गन्ना मूल्य का भुगतान आपूर्ति के 14 दिन के भीतर किया जाना चाहिए।

चीनी मिलों को सहायता

आरोप लगता रहा है कि सरकार गन्ना किसानों के बकाया के नाम पर चीनी मिलों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है। 11 फरवरी 2020 को संसद में ही पूछे एक सवाल के जवाब में सरकार ने बताया था कि गन्ना किसानों को चीनी मिलों द्वारा सीधे भुगतान किया जाता है, लेकिन चीनी मिलों की वित्तीय स्थिति में सुधार लाने के लिए सरकार ने कई उपाय किए, ताकि वे चीनी मौसम 2019-20  के लिए किसानों के गन्ना मूल्य का बकाया भुगतान करने में सक्षम हो सकें। सरकार ने बताया कि 1 अगस्त 2019 से 31 जुलाई 2020 तक की एक वर्ष की अवधि के लिए 40 लाख टन चीनी का बफर स्टॉक इकट्ठा किया, जिसके लिए सरकार ने बफर स्टॉक के रखरखाव के प्रति लगभग 1,674 करोड़ रुपए की रखरखाव लागत का भुगतान  किया।

इसी तरह चीनी मौसम 2019-20 में देश से 60 लाख टन चीनी के निर्यात की सुविधा देने के लिए 10,448 रुपए प्रति टन की दर पर चीनी मिलों को वित्तीय सहायता दी गई, जिसके लिए सरकार द्वारा लगभग 6,268 करोड़ रुपए का खर्च वहन किया जाएगा।

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