संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने अफगानिस्तान में बढ़ते टिड्डियों के हमले को लेकर आगाह किया है। एफएओ के मुताबिक देश में गेहूं की फसल के आठ प्रमुख उत्पादक प्रांतों में टिड्डियों की मोरक्को नस्ल के हमले के बाद यह बात कही गई है।
अनुमान है कि टिड्डियों के यह दल फसलों को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे पहले से ही खराब खाद्य सुरक्षा की स्थिति और बदतर हो सकती है। खाद्य एवं कृषि संगठन ने देश के उत्तर और पूर्वोत्तर के हिस्सों में टिड्डियों के दल देखे जाने के बाद खतरे को लेकर आगाह किया है। गौरतलब है कि टिड्डियों को दुनिया भर में फसलों को बर्बाद करने वाले सबसे खतरनाक कीड़ों के रूप में देखा जाता है।
एफएओ ने जानकारी दी है कि इन टिड्डियों का आकार बढ़ने और इनके हमले की घटनाएं बदख्शां, बाद्घिस, बगलान, बल्ख, कुंदूज, सामंगान, सर-ए-पुल और तखार में दर्ज की गई हैं। साथ ही हार्ट और घोर प्रांतों से भी इनके बारे में ताजा जानकारियां सामने आ रही हैं।
इस बारे में जानकारी देते हुए एफएओ ने बताया कि 20 और 40 साल पहले टिड्डियों के ऐसे दो बड़े प्रकोपों में अफगानिस्तान ने अपने गेहूं की फसल के वार्षिक उत्पादन का 25 फीसदी तक हिस्सा खो दिया था। इस साल गेहूं उत्पादन के जो पूर्वानुमान हैं वो काफी अच्छी स्थिति की ओर इशारा करती है। पिछले तीन वर्षों में इतनी अच्छी फसल देखी गई है। ऐसे में टिड्डियों का यह हमला इस लाभ को नुकसान में बदल सकता है। इसकी चलते वर्ष के अंत और अगले साल में खाद्य सुरक्षा की स्थिति खराब हो सकती है।
इस बारे में अफगानिस्तान में एफएओ के प्रतिनिधि रिचर्ड ट्रैंचर्ड का कहना है कि, "अफगानिस्तान की गेहूं की टोकरी कहे जाने वाले क्षेत्रों में इन टिड्डियों का प्रकोप एक बड़ी चिंता का विषय है।" उन्होंने आगे बताया कि मोरक्कन नस्ल की यह टिड्डियां पौधों और फसलों की 150 से अधिक प्रजातियों को चट कर सकती हैं। इनमें पेड़, चारा और 50 तरह की खाद्य फसलें भी शामिल हैं। यह किसानों और पूरे देश के लिए एक बड़ा खतरा है।
बर्बाद हो सकती है गेहूं की 12 लाख मीट्रिक टन पैदावार
एफएओ के मुताबिक इस वर्ष टिड्डियो के हमले के चलते गेहूं की करीब 12 लाख मीट्रिक टन फसल बर्बाद हो सकती है जोकि अफगानिस्तान में गेहूं के कुल उत्पादन का करीब एक चौथाई हिस्सा है। यदि मौजूदा कीमतों के आधार पर देखें तो इसकी वजह से अफगानिस्तान को 3,941 करोड़ रुपए (48 करोड़ डॉलर) तक का नुकसान हो सकता है।
खाद्य एवं कृषि संगठन के मुताबिक इन टिड्डियों को यदि अभी नहीं रोका गया तो यह अगले वर्ष तक अपनी आबादी को 100 गुणा तक बढ़ा सकती हैं। गौरतलब है कि वर्ल्ड फ़ूड प्रोग्राम 2023 की शुरआत में पहले ही आगाह कर चुका है कि अफगानिस्तान में करीब 60 लाख लोग पहले ही आकाल की स्थिति से केवल एक कदम दूर है।
देखा जाए तो इस साल अफगानिस्तान में टिड्डियों के प्रकोप के लिए "सही" स्थिति देखी गई है। सूखा, बहुत ज्यादा चराई और टिड्डियों के नियंत्रण के लिए किए गए सीमित प्रयासों के साथ मार्च और अप्रैल में हुई करीब 100 मिलीमीटर बारिश ने इनके लिए उपयुक्त परिस्थितियां तैयार कर दी हैं। इन सबने मिलकर इनके दलों के विकास के लिए आदर्श वातावरण बनाया है।
एफएओ के अनुसार अफगानिस्तान के इन हिस्सों के पहाड़ी और सीमावर्ती भूमि क्षेत्रों में पर्यावरणीय परिस्थितियों के आधार पर देखें तो मोरक्कन टिड्डियां मई और जून के बीच अंडे देती हैं। अगले वर्ष मार्च के अंत तक युवा टिड्डियां अण्डों से बाहर निकलती हैं और आसपास की घासों को खाना शुरू कर देती हैं। हालांकि इस साल इनकी हैचिंग सामान्य से पहले शुरू हो गई है।
इस बारे में रिचर्ड ट्रैंचर्ड का कहना है कि, “मामले में एजेंसी अपने साझेदारों के साथ मिलकर टिड्डियों के इस हमले के प्रभावों को कम करने के लिए तेजी से प्रयास कर रही है।“ उनके मुताबिक कीटनाशकों की सीमित उपलब्धता स्थिति को बिगाड़ सकती है। ऐसे में प्रभावित प्रांतों में रहने वाले हजारों लोग टिड्डियों के हमले से निपटने के लिए दिन-रात काम कर रहे है। उनके मुताबिक इससे पहले यह कीड़े बड़े होकर खतरनाक रूप ले लें, इससे पहले इनसे निपटना जरूरी है।
क्या यह टिड्डियां भारत के लिए भी खतरा हैं। इस बारे में कोई स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है। लेकिन एफएओ ने आगाह किया है कि यदि टिड्डियों को न रोका जाए तो यह अगले वर्ष तक अपनी आबादी में 100 गुणा वृद्धि कर सकती हैं। इसकी वजह से अफगानिस्तान और उसके पड़ोसी देशों में फसलों और खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो सकता है।