बारिश, ओलावृष्टि और लॉकडाउन ने रबी की फसल को पहुंचाया नुकसान: रिपोर्ट

इस साल उम्मीद की जा रही थी कि रबी की फसल का उत्पादन बहुत अच्छा रहेगा, लेकिन अब जो आकलन सामने आ रहे हैं, उसके मुताबिक, उत्पादन उम्मीद से कम रहेगा
लॉकडाउन में किसानों को फसल काटने की इजाजत देरी से मिली। फोटो: विकास चौधरी
लॉकडाउन में किसानों को फसल काटने की इजाजत देरी से मिली। फोटो: विकास चौधरी
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साल 2020 के फरवरी और मार्च के महीने में हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्‍टि की वजह से देश के कुछ हिस्‍सों में रबी फसलों को नुकसान हुआ है। भारत में रबी फसलों की कटाई मार्च और अप्रेल में शुरू होती है, जैसे मार्च के महीने में गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में कटाई होती है तो अप्रैल में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में होती है। नुकसान का यह आकलन नेशनल बल्‍क हैंडलिंग कॉर्पोरेशन (एनबीएचसी) ने किया है।

एनबीएचसी ने साल 2019-20 के लिए रबी की फसल का आंकलन जारी किया है। यह आंकलन एनबीएचसी के शोध एवं अनुसंधान विभाग के प्रमुख डॉ. हन‍िश कुमार सिन्‍हा ने किया है।

रिपोर्ट बताती है कि बारिश और ओलावृष्टि के बाद कोरोनावायरस की वजह से सरकार ने तालाबंदी (लॉकडाउन) का फैसला भी तब लिया जब रबी फसलों की कटाई होनी थी। इसका असर भी रबी फसलों पर पड़ा है। हालांकि सरकार ने कृषि गतिविधियों को तालाबंदी से मुक्त कर दिया लेकिन मजदूरों की कमी और परिवहन सुविधाओं की कमी से रबी की फसल पर असर पड़ा है। इन्‍हीं बातों को ध्‍यान में रखते हुए एनबीएचसी ने रबी फसलों का आंकलन किया गया है।

इस आंकलन के मुताबिक, 2019-20 में दलहन और तिलहन की फसलों में पिछले अनुमान के हिसाब से गिरावट आ सकती है। दलहन की फसल का पिछले अनुमान 15.17 मिलियन टन का था जिसमें 4.58 प्रतिशत की गिरावट हो सकती है और तिलहन की फसल का पिछला अनुमान 10.17 मिल‍ियन टन था जिसमें 6.58 प्रतिशत की गिरावट देखी जा सकती है।

वहीं, गेहूं के उत्‍पादन का पिछला अनुमान 111.40 मिल‍ियन टन था जिसमें करीब 3.12 प्रतिशत की गिरावट आने की संभावना है। इसके पीछ दो प्रमुख वजह हैं, पहली की कटाई में देरी से उपज को नुकसान हुआ और फिर खरीद में हुई देरी की वजह से फसल को बेमौसम बारिश का सामना करना पड़ता है। इसके बाद भी पिछले साल की तुलना में गेहूं 5.61 प्रतिशत अधिक होगा।

तेलंगाना में अधिक पैदावार की खबरों के बीच पिछले अनुमान की तुलना में चावल के उत्पादन में 3.17 प्रतिशत की मामूली वृद्धि होने की उम्मीद है। यह अनुमान है कि इस साल चावल का उत्‍पादन 10.62 मिल‍ियन टन होगा। इसके बाद भी पिछले साल की तुलना में यह 25.67 प्रतिशत कम होगा, क्‍योंकि किसानों ने चावल की जगह दलहन और गेहूं उगाने पर ज्‍यादा ध्‍यान दिया है।

बात करें मक्‍के की तो पिछले अनुमान (8.28 मिल‍ियन टन) की तुलना में मक्का में 2.17 प्रतिशत की और गिरावट की उम्मीद है, जो पिछले साल की तुलना में 0.99 प्रतिशत अधिक है। वहीं, पिछले अनुमान की तुलना में ज्वार के उत्पादन में 2.62 प्रतिशत का सुधार हो सकता है और इसका उत्‍पादन 2.50 मिल‍ियन टन हो सकता है। यह पिछले साल की तुलना में करीब 23.57 प्रतिशत की वृद्धि है।

दलहन के उत्पादन में पिछले अनुमान की तुलना में 4.58 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है, जो कि पिछले साल के उत्पादन (14.80 मिलियन टन) की तुलना में 2.22 प्रतिशत कम है। यह गिरावट इसलिए हो सकती है क्‍योंकि चने के उत्पादन में गिरावट होने का अनुमान है और चना रबी की दलहन फसल का लगभग 70 प्रतिशत हिस्‍सेदार होता है। चने के उत्‍पादन का पिछला अनुमान 10.93 मिल‍ियन टन था जिसमें 4.87 प्रतिशत की गिरावट आने की उम्मीद है।

उड़द, मसूर और मटर में भी पिछले अनुमान से क्रमशः 2.00 प्रतिशत, 2.17 प्रतिशत और 5.00 प्रतिशत की गिरावट आने की संभावना है। उड़द के उत्‍पादन का पिछला अनुमान 0.56 मिलियन टन था, मसूर का 1.48 मिल‍ियन टन था और मटन के उत्‍पादन का अनुमान 0.81 मिल‍ियन टन था।

वहीं, सरसों और मूंगफली के उत्पादन में पिछले अनुमान की तुलना में क्रमशः 7.00 प्रतिशत और 5.00 प्रतिशत की गिरावट की उम्मीद है। सरसो के उत्‍पादन का पिछला अनुमान 8.69 मिलियन टन और मूंगफली के उत्‍पादन का पिछला अनुमान 1.21 मिल‍ियन टन था। कुल तिलहन उत्पादन 9.50 मिलियन मीट्रिक टन होने का अनुमान है, जो कि पिछले अनुमान से लगभग 6.58 प्रतिशत कम है।

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