सरकार ने किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए मार्केटिंग सीजन 2024-25 के लिए रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि को मंजूरी दे दी है। इस बारे में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा साझा की गई जानकारी से पता चला है कि आगामी रबी सीजन के लिए गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में सात फीसदी की वृद्धि की है।
इसके बाद गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2023-24 में 2125 रुपए प्रति क्विंटल से बढाकर आगामी विपणन सत्र 2024-25 के लिए 2,275 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है। गौरतलब है कि सरकार ने फसलों के एमएसपी में यह इजाफा किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए किया है ताकि उन्हें अपनी उपज का वाजिब दाम मिल सके और नुकसान न झेलना पड़े।
बता दें कि एमएसपी में सबसे ज्यादा वृद्धि मसूर के लिए की गई है, जिसकी कीमतों में पिछले मार्केटिंग सीजन की तुलना में 425 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है। इसके बाद रेपसीड और सरसों के लिए 200 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी को मंजूरी दी गई है। वहीं गेहूं और कुसुम दोनों के लिए 150 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि को मंजूरी दी गई है। वहीं जौ के लिए 115 और चने के लिए 105 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की मंजूरी सरकार ने दी है।
गौरतलब है कि गेहूं की प्रति क्विंटल उत्पादन लागत करीब 1128 रुपए आंकी गई है। इसमें किसानों द्वारा इसकी पैदावार पर किए जा रहे सभी खर्चों जैसे किसानों का मेहनताना, बीज, खाद, सिंचाई, जुताई, जमीन का पट्टा आदि सभी को शामिल किया गया है।
सरकार का अनुमान है कि इसकी एमएसपी में जो वृद्धि की गई है उससे गेहूं किसानों को प्रति क्विंटल 102 फीसदी की बचत होगी। इसी तरह रेपसीड और सरसों में 98 फीसदी, मसूर पर 89 फीसदी, जौ और चने पर 60-60 फीसदी जबकि कुसुम पर 52 फीसदी की बचत का अनुमान लगाया गया है।
केंद्र सरकार का दावा है कि मार्केटिंग सीजन 2024-25 के लिए रबी फसलों के लिए एमएसपी में की यह वृद्धि केंद्रीय बजट 2018-19 की घोषणा के अनुरूप है, जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को औसत उत्पादन लागत का कम से कम डेढ़ गुना करने का लक्ष्य रखा गया था, जिससे किसानों को उनकी मेहनत का पूरा मेहनताना मिल सके।
सरकार का दावा है कि रबी फसलों की एमएसपी में की गई इस बढ़ोतरी से न केवल किसानों को फायदा होगा साथ ही फसलों के विविधीकरण को भी बढ़ावा मिलेगा। साथ ही इससे खाद्य सुरक्षा को हासिल करने में मदद मिलेगी। सरकार आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए तिलहन, दलहन और मोटे अनाजों की ऊपज बढ़ाने के लिए फसलों के विविधीकरण को बढ़ावा दे रही है।
सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि सरकार किसानों को वित्तीय सहायता देने के साथ-साथ तिलहन और दलहन की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए बेहतर बीज उपलब्ध कराने पर भी जोर दे रही है। साथ ही सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम), प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) और राष्ट्रीय तिलहन और ऑयल पाम मिशन (एनएमओओपी) जैसी विभिन्न पहलों की भी शुरुआत की है।
इसके साथ ही देश भर में प्रत्येक किसान तक किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना का लाभ पहुंचाने के लिए, सरकार ने किसान ऋण पोर्टल (केआरपी), केसीसी घर-घर अभियान शुरू किया है। साथ ही मौसम सूचना नेटवर्क डेटा प्रणाली (विंड्स) का भी शुभारंभ देश में किया गया है। इसका उद्देश्य किसानों को अपनी फसलों के संबंध में सही निर्णय लेने में मदद करने के लिए मौसम की समय पर सटीक जानकारी प्रदान करना शामिल है। इन सभी पहलों का लक्ष्य कृषि क्षेत्र को बेहतर बनाना, वित्तीय समावेश का विस्तार करना, आंकड़ों का अधिकतम उपयोग करना और देश भर में किसानों के जीवन को खुशहाल बनाना है।