रबी फसलों की बुआई 661 लाख हेक्टेयर के पार, गेहूं और दालों का रकबा बढ़ा

फरवरी में तापमान बढ़ने की मौसम विभाग की चेतावनी किसानों की परेशानी का सबब बन सकती है
अपनी गेहूं की फसल को निहारता भारतीय किसान; फोटो: आईस्टॉक
अपनी गेहूं की फसल को निहारता भारतीय किसान; फोटो: आईस्टॉक
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देश में रबी फसलों की कुल बुआई का क्षेत्र 661.03 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के 651.42 लाख हेक्टेयर की तुलना में अधिक है। और अगर औसत की बात करें तो औसत के मुकाबले 25 लाख हेक्टेयर से अधिक है। सामान्य रकबा 635.30 लाख हेक्टेयर है। हालांकि अभी भी सरसों की बुआई चिंता का विषय बनी हुई है।

गेहूं का रकबा बढ़ा

पिछले साल के मुकाबले इस साल गेहूं का रकबा ठीकठाक बढ़ गया है। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार इस साल 4 फरवरी 2025 तक गेहूं की बुआई 324.38 लाख हेक्टेयर में की जा चुकी है, जबकि पिछले वर्ष इसी समय तक 318.33 लाख हेक्टेयर में गेहूं बोया गया था। गेहूं का सामान्य रकबा 312.35 लाख हेक्टेयर है।

हालांकि हाल ही में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की चेतावनी ने किसानों को चिंता में डाल दिया है। मौसम विभाग ने 31 जनवरी 2025 को फरवरी माह के पूर्वानुमान की घोषणा करते हुए कहा था कि फरवरी में तापमान सामान्य से अधिक रह सकता है।

यहां उल्लेखनीय है कि साल 2022 में फरवरी माह से अप्रत्याशित गर्मी के कारण गेहूं सहित कई फसलों को काफी नुकसान पहुंचा था। यदि एक बार फिर से ऐसे हालात बनते हैं तो अच्छी बुआई के बावजूद गेहूं को नुकसान पहुंच सकता है।

मंत्रालय के मुताबिक रबी सीजन में लगाई जाने वाली धान की खेती में भी बढ़ोतरी हुई है। इस बार 42.54 लाख हेक्टेयर में धान की खेती हुई, जो पिछले वर्ष के 40.59 लाख हेक्टेयर से अधिक है।

दलहन का रकबा बढ़ा

रबी सीजन की दूसरी बड़ी फसल दलहन है। इस साल दलहन का रकबा भी बढ़ा है। आंकड़े बताते हैं कि दालों की बुआई का कुल रकबा इस साल 140.89 लाख हेक्टेयर रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में अधिक (137.80 लाख हेक्टेयर) है।

इनमें चना (98.55 लाख हेक्टेयर), मसूर (17.43 लाख हेक्टेयर), मटर (7.94 लाख हेक्टेयर) और उड़द (6.12 लाख हेक्टेयर) शामिल हैं। हालांकि दलहन का सामान्य रकबा 140 लाख हेक्टेयर के आसपास ही है। पिछले साल दलहन की बुआई कम हुई थी।

हालांकि पिछले साल के मुकाबले चने की बुआई में 2.44 लाख हेक्टेयर की कमी आई है। यहां यह उल्लेखनीय है कि भारत दालों का सबसे बड़ा उपभोक्ता है, और यदि उत्पादन कम होता है तो आयात पर निर्भरता बढ़ जाती है। आयात पर नियंत्रण के लिए सरकार दलहन मिशन तक चला रही है, लेकिन अभी तक उसका असर देखने को नहीं मिल रहा है।

मोटे अनाज की स्थिति

मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि श्री अन्न एवं मोटे अनाजों की खेती 55.25 लाख हेक्टेयर में की जा चुकी है, जिसमें ज्वार (24.35 लाख हेक्टेयर), मक्का (23.67 लाख हेक्टेयर) और जौ (6.20 लाख हेक्टेयर) की प्रमुख भागीदारी रही। जो पिछले साल के मुकाबले लगभग समान है।

सरसों में गिरावट

तिलहन फसलों की बुआई का कुल क्षेत्रफल 97.47 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया है जिसमें सरसों (89.30 लाख हेक्टेयर) प्रमुख है। हालांकि पिछले साल 91.83 लाख हेक्टेयर में सरसों लगाई गई थी।

बीमारी की चपेट में नारियल

तमिलनाडु में नारियल पर कीटों (ब्लैक हेडेड कैटरपिलर) और बीमारियों की तीव्रता आर्थिक क्षति स्तर से अधिक पाई गई है। सर्वेक्षण दल द्वारा किसानों को इस संबंध में सलाह जारी की गई है और नियमित निगरानी की जा रही है।

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