कोविड-19 को लेकर हुए लॉकडाउन को देखते हुए केंद्र सरकार ने किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना (पीएमकेएसवाई) की राशि समय से पहले देने की घोषणा की थी। इस वित्तीय वर्ष की पहली राशि 2000 रुपए किसानों के अकाउंट में भेजने का दावा किया गया। करीब एक महीना होने को है, लेकिन अब तक दो तिहाई किसानों को यह राशि नहीं मिली है।
गुरुग्राम (गुड़गांव) के पातली गांव में सब्जी की खेती करने वाले किसान राजेंद्र और राजेश को अंतिम बार दिसंबर में सम्मान निधि के तहत 2000 रुपये आए थे। सितंबर में दूसरी किस्त वाला पैसा दिसंबर में आया था। बकौल राजेंद्र, अब उन्होंने इस 2000 रुपये की उम्मीद छोड़ दी है। इसी गांव के तीन एकड़ जमीन के मालिक अशोक कुमार कहते है कि उन्होंने बीते वर्ष सितंबर में इस योजना के तहत रजिस्टर्ड कराया था, लेकिन पैसा नहीं आया। पहली बार उन्हें 18 अप्रैल को 2000 रुपए मिले हैं, लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि ये किस किस्त के पैसे आए हैं।
हरियाणा में इस योजना के तहत 16,44,434 किसान पंजीकृत है। लॉकडाउन से पहले तक 8,68,308 किसानों को चौथी किस्त मिली थी। जब केंद्र सरकार ने लॉकडाउन में समय से पहले यह राशि जारी करने की घोषणा की, तब उसके बाद 3,59,352 किसानों को और चौथी किस्त जारी की गई। अब तक 12,27,660 किसानों को ही चौथी किस्त मिल चुकी है। यानी कुल पंजीकृत किसानों के 26 फीसदी किसानों को अब भी चौथी किस्त का इंतजार है।
विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि इस योजना का लाभ लेने के लिए जिन किसानों ने सीएससी सेंटरों पर जाकर रजिस्ट्रेशन करवाया था, उन किसानों की जमीन की तस्दीक नहीं हो पाई। इसकी वजह से 4 लाख से अधिक किसानों को अब तक चौथी किस्त नहीं मिल पाई है। जमीन की तस्दीक के लिए एक फॉर्म जारी किया गया है। फॉर्म खंड कृषि कार्यालय से मिलेगा। जिसे राजस्व विभाग द्वारा तस्दीक करना है। फिर इस फॉर्म को गांव का नंबरदार व हलका पटवारी तस्दीक करेगा। इसमें साफ लिखा है कि उन किसानों को ही योजना का लाभ दिया जाएगा जो एक फरवरी 2019 से पहले जमीन पर मालिकाना हक रखते हैं। नंबरदार व पटवारी की तस्दीक के बाद फॉर्म खंड कृषि कार्यालय में जमा होगा, जिसे अधिकारी वेरिफिकेशन के बाद आगे भेजेंगे। उसके बाद यह राशि आएगी।
अखिल भारतीय किसान संघ के प्रदेश महासचिव फूल सिंह श्योकंद कहते है, यह योजना किसानों के साथ खिलवाड़ है। हर चार महीने में दो हजार रुपये का क्या औचित्य है ? किसान नए-नए फार्मूला लगाकर किसानों के साथ धोखाधड़ी करती है। जिस तरह दूसरे उद्योगों को इस लॉकडाउन में राहत दी गई, उसे दो हजार रुपये देने की घोषणा करके मजाक उड़ाया गया। बकौल श्योकंद, केंद्र और राज्य सरकार से इस खैरात के बदले सभी पंजीकृत किसानों के अकाउंट में दस हजार रुपये एडवांस देने की मांग की गई थी। सरसों या गेहूं बिकने के बाद उसमें से राशि काटने की बात कही थी, लेकिन उस पर सरकार ने कोई संज्ञान नहीं लिया। किसान सम्मान योजना किसानों के साथ छलावा है।