बेमौसमी बारिश से हुई धान खराब, गेहूं की बुआई में देरी

उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में किसान धान की फसल काट कर खेत में छोड़ कर चले गए थे कि बेमौसमी बरसात ने सारी फसल बर्बाद कर रही है, अधिकारी अभी बर्बाद फसल का आकलन कर रहे हैं
उत्तर प्रदेश के चंदौली इलाके में बेमौसमी बरसात के कारण खेतों में कटी पड़ी धान की फसल बर्बाद हो गई। फोटो: रिजवाना तबस्सुम
उत्तर प्रदेश के चंदौली इलाके में बेमौसमी बरसात के कारण खेतों में कटी पड़ी धान की फसल बर्बाद हो गई। फोटो: रिजवाना तबस्सुम
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रिजवाना तबस्सुम

पिछले हफ्ते उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिले में हुई बारिश की वजह से किसानों की धान की फसल चौपट हो गई है। खेतों में बारिश का पानी भरने से कटाई कर रखी गई धान की फसल खराब हो रही है। कुछ जगह पर कटाई नहीं होने से खेत में ही फसल लेट गई है। प्रदेश के वाराणसी, चंदौली, सोनभद्र, भदोही में बारिश ने धान की खेती को भारी नुकसान पहुंचाया है। एक तरफ जहां बारिश की वजह से एक तरफ जहां खेती बर्बाद हो गई है, वहीं दूसरी तरफ गेहूं के फसल बोने में भी देरी होने लगी है।

चंदौली के किसान सुंगरु बताते हैं कि, 'पहले तो पराली की वजह से हम खेत की फसल नहीं काट पाये। अब बारिश ने हमारी पूरी फसल को तबाह कर दिया। पूरा धान का फसल अभी तक खेत में ही हैं, बारिश की वजह से पूरा भीग गया। अब जब हम उस फसल को उठाने के लिए जाएंगे तो आधा सड़कर गिर जाएगा, जो बचा रहेगा उसका धान खराब हो जाएगा। सुंगरी के पाश पाँच बीघा की खेती है जिसपर वो धान की बुआई किए हुए हैं।

4 बीघा जमीन पर खेती करने वाले सोनभद्र के किसान विजयी यादव बताते हैं कि, 'किसान के ऊपर एक-एक करके लगातार कोई ना कोई समस्या आती ही रहती है। बरसात में बारिश की वजह से पूरी फसल डूब गई। किसी तरह उससे निजात मिली तो अब तैयार फसल बारिश की वजह से सड़ गई।

उत्तर प्रदेश के भदोही जिले में भी बारिश की वजह से धान की फसल का जमकर नुकसान हुआ है। जिले के क्रय केंद्र पर रखे लाखों रुपए का फसल पानी में भीग गया है। धान की तैयार फसल पर पानी पड़ने से धान सड़ने लगता हैं। बारिश में बर्बाद हुए धान के मालिक किसानों का कहना है कि अब धान की मिसाई के लिए 15 दिन का वक्त और लगेगा। मौसम खुलने के बाद धूप में फसल को फिर से सुखाया जाएगा। इसके बाद ही इसकी मिसाई हो पाएगी। यदि मौसम नहीं खुलता है कि दानों की क्वालिटी में फर्क पड़ेगा।

अनुमान के अनुसान राज्य में लगभग 11 लाख एकड़ में लगी फसल को इस संकट का सामना करना पड़ा है। औसत उत्पादकता 24 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के आधार पर 24 लाख टन धान की फसल बर्बाद होगी। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर 24 घंटे तक पानी में यह फसल रह गई तो सूखने के बाद भी इसका 40 प्रतिशत चावल टूट जाएगा। बाजार में टूट चावल की कीमत 20 प्रतिशत कम हो जाएगी। कुल आकलन करें तो किसानों को दो सौ करोड़ तक के नुकासन का अनुमान है।

चंदौली के जिला कृषि अधिकारी बताते हैं कि, 'यहाँ एक लाख सोलहा हज़ार हेक्टेयर जमीन पर कृषि की खेती होती है।' धान की फसल बर्बादी को लेकर कृषि अधिकारी बताते हैं कि,'हमारे जिले के कुछ इलाके में 60 प्रतिशत से ज्यादा की फसल बर्बाद हुई है। कुछ इलाके में 40 प्रतिशत तो कुछ क्षेत्र में 45 प्रतिशत से ज्यादा धान की फसल बर्बाद हो गई है। कृषि अधिकारी बताते हैं कि, 'अभी सर्वे कराया जा रहा है, अभी तक रिपोर्ट नहीं आया है। कर्मचारियों को काम पर लगाया गया है। 

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