अब खड़ी फसल में आग लगने की घटनाओं ने बढ़ाई किसानों की मुसीबत

लॉकडाउन की वजह से खेतों में फसल की कटाई में देरी हो रही है, वहीं अब खड़ी फसल में आग लगने से किसानों की मुसीबत बढ़ गई है
फाइल फोटो: विकास चौधरी
फाइल फोटो: विकास चौधरी
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31 मार्च की दोपहर नवादा जिले के पकरीबरावां ब्लाक के किसान अनुग्रह सिंह अपने घर पर थे कि उन्हें खबर मिली कि दो बीघा में फैली उनकी गेहूं की पकी हुई फसल में आग लग गई है।

वह खेत की ओर दौड़े तो देखा कि फसल धू-धू कर जल रही है। लपलपाती लपटों ने आसपास की और 6-7 बीघे की फसल को अपनी आगोश में ले लिया। 

आनन-फानन में दमकल को फोन किया गया। दमकल की दो गाड़ियां मौके पर पहुंचीं, लेकिन तब तक फसल जल कर राख हो चुकी थी। अनुग्रह सिंह को नहीं पता कि आग कैसे लगी गई। उनका कहना है कि जल्दी ही फसल काटी जानी थी, लेकिन इससे पहले ही आग ने फसल स्वाहा कर दी।

इस घटना से दो दिन पहले 29 मार्च को गया जिले के कुर्किहार में गेहूं की खड़ी फसल में आग लग गई थी। इस अग्निकांड में पांच एकड़ में लगी फसल राख हो गई थी। इसी तरह 9 अप्रैल को छपरा जिले के गड़खा में 70 बीघे में लगी गेहूं की फसल जल गई थी। 12 अप्रैल की दोपहर लखीसराय के बेलौंजा गांव में आग ने दस एकड़ में खड़ी गेहूं की फसल लील ली। 

पिछले दो-तीन हफ्तों में खड़ी फसल में आग लगने की एक दर्जन से ज्यादा घटनाएं हो चुकी हैं, जिससे किसानों को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। गर्मी के सीजन में हर साल बिहार में करोड़ों रुपए की फसल आग की भेंट चढ़ जाती है। हालांकि, आग की घटनाएं बिहार से कमोबेश हर जिलों में होती हैं, लेकिन दक्षिणी बिहार में ऐसी घटनाएं कुछ ज्यादा ही होती हैं क्योंकि दक्षिण बिहार का मौसम अपेक्षाकृत गर्म होता है।

आग लगने की ज्यादातर घटनाओं की वजह दोपहर में खाना पकाते वक्त आग फैलने, खेतों से गुजरने वाले हाइटेंशन तारों में शार्ट सर्किट, हाई वोल्टेज तारों से चिनगी आदि होती है। गया के ठेकही गांव के निवासी रामलखन यादव के एक बीघा खेत में लगी गेहूं की फसल में रविवार को आग लग गई थी। ग्रामीणों का कहना है कि खेत से गुजर रहा बिजली हाइटेंशन तार कमजोर हो गया था, जो टूट कर गिर पड़ा और आग लग गई। 

इस मौसम में फसल में अगलगी की घटनाएं बढ़ने के बावजूद सरकार के पास कोई आंकड़ा नहीं है कि बिहार में हर साल आग से फसल को कितना नुकसान होता है। हां, अगलगी की वारदातें बढ़ने पर बिहार सरकार दिशानिर्देश जरूर जारी करती है।

इस बार भी बिहार राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने एडवाइजरी जारी की है।

दिशा-निर्देश में किसानों से कहा गया है कि वे सुबह 9 बजे से पहले खाना पका लें क्योंकि सुबह में पछुआ हवा कमजोर होती है। विभाग ने किसानों से ये भी कहा है कि वे खेतों में फसल के अवशेष जलाएं।

मौसम विज्ञानी प्रधान पार्थ सारथी इस सीजन में अगलगी की घटनाओं पर कहते हैं, "अप्रैल में अगलगी की घटनाएं ज्यादा होती हैं। इस मौसम में मौसम एकदम शुष्क होता है और पछुआ हवा की रफ्तार बहुत तेज होती है। चूंकि ये हवा राजस्थान से आती है, तो गर्म भी होती है। इसलिए थोड़ी सी चिंगारी भी मिल जाए तो भीषण आग लग जाती है। दूसरी तरफ गेहूं की फसल भी सूखी होती है, जिससे तुरंत आग पकड़ लेती है।"

इधर, लाॅकडाउन के चलते मजदूर नहीं मिल पा रहे हैं, जिससे पकी फसल की कटनी नहीं हो पा रही है और इस बीच खेतों में लगातार अगलगी से किसानों की चिंता और भी बढ़ गई है। समस्तीपुर के किसान मनोहर सिंह ने दो बीघा में गेहूं की खेती की है। उन्होंने कहा, "इस जिले अब तक अगलगी की तीन-चार घटनाएं हो चुकी हैं, इसलिए मैं चाहता हूं कि जल्दी फसल काट लूं। लेकिन, मजदूर नहीं मिल रहे हैं।"

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