हरियाणा व पंजाब में गेहूं से पटने लगी मंडियां, नहीं हैं उठाने के इंतजाम

हरियाणा-पंजाब में गेहूं का बंपर उत्पादन हुआ है और मंडियों में क्षमता से अधिक गेहूं पहुंचने लगा है।
हरियाणा की मोहना मंडी में क्षमता से अधिक गेहूं आने के कारण खेतों में ढेर लगा दिए गए हैं। Photo Credit : Rajender Panchal
हरियाणा की मोहना मंडी में क्षमता से अधिक गेहूं आने के कारण खेतों में ढेर लगा दिए गए हैं। Photo Credit : Rajender Panchal
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हरियाणा व पंजाब में इस बार गेहूं का बंपर उत्पादन हुआ है। यही वजह है कि दोनों राज्यों की मंडियां गेहूं से पटने लगी हैं। उठान (लॉजिस्टिक) का इंतजाम न होने के कारण मंडियों से बाहर भी गेहूं के ढेर लगने लगे हैं। वहीं, आम चुनाव को देखते हुए सरकारें किसान का गेहूं खरीदने से भी नहीं रोक रही है, इस वजह से भी मंडी की क्षमता से ज्यादा खरीदारी हो रही है।

हरियाणा में लगभग 25.5 लाख हेक्टेयर में गेहूं की फसल बोई गई थी। उम्मीद जताई जा रही है कि हरियाणा में लगभग 90 लाख टन गेहूं की आवक होगी। पिछले साल राज्य की मंडियों में 87.57 लाख टन गेहूं आया था। अब तक राज्य की मंडियों में लगभग 20 लाख टन गेहूं की आवक हो चुकी है।

इसी तरह से पंजाब में भी गेहूं का बंपर उत्पादन हुआ है। अधिकारियों का आकलन है कि इस बार लगभग 180 लाख टन से अधिक गेहूं का उत्पादन हुआ। पिछली बार लगभग 178 लाख टन गेहूं का उत्पादन हुआ है। दावा किया जा रहा है कि इससे पहले 2011-12 में 179.7 लाख टन गेहूं का उत्पादन हुआ था और इस साल वह रिकॉर्ड टूटा जाएगा।

बंपर उत्पादनों की इन खबरों के बीच अब सवाल मंडियों में खरीदारी आ रहा है। मंडियों में क्षमता से अधिक गेहूं पहुंच रहा है, लेकिन उनका समय से उठान नहीं हो रहा है। ऐसा ही एक मामला बीते शुक्रवार को हरियाणा के मोहना तहसील में बनी अनाज मंडी में देखने को मिला। यहां देखरेख के लिए आए अधिकारियों से किसानों और आढ़तियों ने शिकायत की कि गेहूं समय न उठने के कारण मंडी से बाहर खेतों में गेहूं के ढेर लगे हैं। ऐसे में, यदि मौसम पिछले सप्ताह की तरह खराब होता है तो गेहूं बर्बाद हो जाएगा। आढ़तियों ने कहा कि इस समय में मंडियों में इतना गेहूं है कि सरकार को स्पेशल ट्रेनें चला कर गेहूं को गोदामों तक पहुंचाना चाहिए।

किसान नेता धर्मेंद्र मलिक ने "डाउन टू अर्थ" को बताया कि किसी भी सरकार ने अनाज के भंडारण के पर्याप्त इंतजाम नहीं किए हैं। यही वजह है कि कटाई के बाद जब किसान अनाज लेकर मंडियों में पहुंचता है तो या तो खरीदा नहीं जाता और खरीद भी लिया जाए तो बाहर ही पड़ा रहता है। सरकार को पता था कि  इस बार बंपर उत्पादन होगा, बावजूद इसके अनाज को गोदामों तक पहुंचाने की व्यवस्था नहीं की गई। 

मलिक सवाल उठाते हैं कि बेशक किसान से अनाज खरीद कर सरकार राहत तो दे रही है, लेकिन अनाज को सुरक्षित गोदाम तक न पहुंचा कर किसका नुकसान किया जा रहा है? उनका आरोप है कि दरअसल, गेहूं को सड़ाने के पीछे बीयर इंडस्ट्री को लाभ पहुंचाना भी एक मकसद होता है, जिसकी जांच होनी चाहिए। सड़ा हुआ गेहूं, बीयर इंडस्ट्री को बेचा जाता है।

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