मध्य प्रदेश, गुजरात, त्रिपुरा में मजदूरों को सबसे कम दिहाड़ी, लिस्ट में केरल सबसे ऊपर

अध्ययन किए गए 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से केवल 50 फीसदी में मजदूरों को राष्ट्रीय औसत से ज्यादा देहाड़ी मिल रही है
मध्य प्रदेश, गुजरात, त्रिपुरा में मजदूरों को सबसे कम दिहाड़ी, लिस्ट में केरल सबसे ऊपर
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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा 19 नवंबर, 2022 को जारी रिपोर्ट 'हैंडबुक ऑफ स्टेटिस्टिक्स ऑन इंडियन स्टेट्स' से पता चला है कि मध्य प्रदेश, गुजरात और त्रिपुरा में बढ़ती महंगाई के बीच 2021-22 में सबसे कम दिहाड़ी मिल रही है। वहीं दूसरी तरफ दूध, फल, सब्जियों और अन्य जरूरी सामान की कीमतें आसमान छू रहीं हैं।

रिजर्व बैंक के अनुसार इन राज्यों में कृषि, निर्माण, बागवानी और गैर-कृषि क्षेत्रों सहित अन्य क्षेत्रों में मजदूरी कर रहे श्रमिकों की दिहाड़ी राष्ट्रीय औसत से भी कम है। पता चला है कि जहां खेती में काम कर रहे पुरुष मजदूरों को 217.8 रुपए प्रति दिन के हिसाब से मजदूरी मिल रही है। वहीं गुजरात में यह मजदूरी 220.3 रुपए प्रति दिन है। इन राज्यों के बाद ओडिशा, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और बिहार का नंबर आता है।

वहीं दूसरी तरफ केरल के ग्रामीण क्षेत्रों में किसानी में लगे मजदूरों को देश में सबसे ज्यादा 726.8 रुपए की दिहाड़ी मिल रही है। इसके बाद जम्मू-कश्मीर में 524.6 रुपए, हिमाचल प्रदेश 457.6 रुपए और तमिलनाडु में मजदूरों को हर दिन के हिसाब से 445.6 रुपए मिलते हैं।

रिपोर्ट से पता चला है कि देश में हर दिन कृषि क्षेत्र में लगे मजदूरों को औसतन 323.32 रुपए मजदूरी के रूप में मिलते हैं। वहीं अध्ययन किए गए 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से केवल 50 फीसदी में श्रमिकों को राष्ट्रिय औसत से ज्यादा मजदूरी मिलती है। इन राज्यों में आंध्र प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक, केरल, मेघालय, पंजाब, राजस्थान और तमिलनाडु शामिल हैं।

वहीं यदि कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों की बात करें तो वहां भी स्थिति कृषि क्षेत्र  जैसी ही है। जहां त्रिपुरा में प्रति मजदूर औसतन 250 रुपए दिहाड़ी है वहीं मध्य प्रदेश में यह 266.7 रुपए और गुजरात में 295.9 रुपए दर्ज की गई है। वहीं यदि केरल की बात करें तो वहां ग्रामीण क्षेत्रों में निर्माण क्षेत्र में लगे मजदूर को हर दिन औसतन 837.7 रुपए मिलते हैं। इसके अलावा जम्मू और कश्मीर (519.8 रुपए) और तमिलनाडु (478.6) में भी इस क्षेत्र के मजदूरों की देहाड़ी 450 रुपए से ज्यादा है। 

देखा जाए तो आंकड़ों के मुताबिक ग्रामीण मजदूरी में हुई वृद्धि बढ़ती महंगाई के साथ तालमेल बैठाने में विफल रही है। इस बीच जहां खुदरा महंगाई दर 6.77 फीसदी दर्ज की गई। हालांकि देखा जाए तो अक्टूबर में यह सात फीसदी से नीचे गिर गई थी। फिर भी इसके बावजूद यह आरबीआई के दो से छह फीसदी की सहनशीलता सीमा से काफी ऊपर है।

इस बीच सरकार द्वारा गेहूं और चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद अक्टूबर 2022 में अनाज और उत्पादों की कीमतों में वृद्धि जारी रही। अक्टूबर 2022 में अनाज की महंगाई नौ साल के उच्चतम स्तर 12.08 फीसदी पर पहुंच गई, जो सितंबर 2022 में 11.53 फीसदी से भी ऊपर थी।

आरबीआई के आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि गैर-कृषि क्षेत्र से जुड़े मजदूरों को भी केरल, जम्मू कश्मीर और तमिलनाडु में सबसे ज्यादा मजदूरी मिल रही है। वहीं मध्य प्रदेश, गुजरात और त्रिपुरा में उनकी देहाड़ी सबसे कम है। हालांकि देखा जाए तो 2020-21 की तुलना में 2021-22 के दौरान गुजरात में मजदूरी दर में मामूली वृद्धि हुई है। लेकिन दूसरी तरफ मध्य प्रदेश में इसमें गिरावट दर्ज की गई है, जबकि त्रिपुरा में भी ऐसा ही हाल है।

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