हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की कर्मभूमि करनाल किसान आंदोलन का नया केंद्र बना गया है। 28 अगस्त को किसानों पर लाठीचार्ज में एक किसान सुशील काजल की मौत हो जाने के बाद किसान आक्रोश में हैं। वहीं, अधिकारियों की बर्खास्तगी और मृतक किसान के परिवार को मुआवजा देने की मांग को लेकर 07 सितंबर को संयुक्त किसान मोर्चा ने महापंचायत कर आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है। 07 सिंतबर को करनाल समेत आसपास के पांच जिलों में इंटरनेट और बल्क एसएमएस सेवा बंद होने के बावजूद करीब 50 हजार किसान पूरे हरियाणा से इस महापंचायत में जुटे। पुलिस ने किसान रैली को रोकने के लिए वाटर कैनन का भी इस्तेमाल किया।
संयुक्त किसान मोर्चा के 11 सदस्यीय कमेटी ने किसान सुशील काजल की मौत के लिए कथित तौर पर दोषी प्रशासनिक अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने, मृतक किसान के परिवार के लिए बतौर मुआवजा 25 लाख रुपये और घायल किसानों के लिए दो-दो लाख रुपये देने की मांग की, लेकिन डीसी निशांत यादव, आईजी ममता सिंह और एसपी गंगा राम पुनिया के साथ तीन घंटे हुई बैठक में इस पर सहमति नहीं बनी और अब किसान ने करनाल स्थित लघु सचिवालय का घेराव करने का निर्णय लिया। मंगलवार शाम छह बजे तक किसान नेता नमस्ते चौक से सचिवालय की तरफ बढ़ चुके थे। इसके बाद कुछ किसान समूह सचिवालय तक पहुंचे भी लेकिन पुलिस ने उनपर वाटर कैनन का इस्तेमाल किया। रात्रि 10 बजे तक किसान समूह लघु सचिवालय के सामने ही बैठकर पंचायत करने लगे।
संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से जारी बयान में कहा गया कि करनाल में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की 10 कंपनियों समेत सुरक्षा बलों की 40 कंपनियों की टुकड़ी तैनात कर दी गई। वहीं, सरकार की ऐसी चिंता दरअसल किसान आंदोलन की शक्ति को साबित करती है।
किसान नेताओं का कहना है कि हरियाणा सरकार केंद्र के इशारे पर कृषि कानून के विरोध में धरना पर बैठे किसानों के खिलाफ काम कर रही है। संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रदेश में भाजपा और जाजपा नेताओं के खिलाफ प्रदर्शन करने का फैसला लिया था। इसी क्रम में 28 अगस्त को किसान मुख्यमंत्री मनोहर लाल के सार्वजनिक कार्यक्रम का विरोध कर रहे थे। किसानों की आवाज दबाने के लिए लाठी चार्ज की गई और उससे कथित तौर पर एक किसान की जान चली गई। जिस तरह से किसानों के सिरे फोड़ने का आदेश देते हुए अधिकारी का वीडियो वायरल हुआ, इससे किसानों में गुस्सा और उभर गया है।
भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने डाउन टू अर्थ को बताया कि 30 अगस्त को घरौंडा अनाज मंडी में महापंचायत करके हरियाणा सरकार से तीन मांगें की थी। 6 सितंबर तक मांग पूरी करने का अल्टीमेटम दिया गया था। यहीं मांगे मंगलवार को भी बैठक में दोहराई गई, लेकिन सरकार मानने को तैयार नहीं है।
चढूनी ने कहा कि अगर मांगे नहीं मानी गई तो सचिवालय चलने नहीं दिया जाएगा और पूरे प्रदेश में किसान सरकार के मंत्री और नेताओं का बहिष्कार तेज करेंगे। उनके घरों के बाहर प्रदर्शन करेंगे, उन्हें घर से निकलने पर रोक लगा दी जाएगी।
07 सितंबर को अनाज मंडी से लघु सचिवालय तक 3.5 किमी लंबा मार्च आज निकालने के क्रम में राकेश टिकैत और योगेंद्र यादव सहित कई एसकेएम नेताओं को प्रशासन ने कुछ समय के लिए हिरासत में ले लिया था। इसके बाद एसकेएम ने कहा, “किसान दृढ़ संकल्प के साथ खड़े हैं, और सरकार हत्या के दोष से नहीं बच नहीं सकती। हम आंदोलन के पीछे मजबूती से खड़े हैं और हरियाणा सरकार के कार्रवाई की निंदा करते हैं। किसान मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर को सबक सिखाएंगे।“