संसद में आज: असम में प्राकृतिक आपदाओं में मारे गए 117 लोग

सरकार ने बताया कि अब तक देश में लगभग 60 लाख हेक्टेयर में जैविक खेती की जा रही है
पिछले 10 वर्षों (2014-24) के दौरान, कुल सूखा व कम नमी से संबंधित तनाव सहन करने वाली धान की 57 किस्में विकसित की गई हैं जो कम बारिश की स्थिति में खेती के लिए उपयुक्त हैं।
पिछले 10 वर्षों (2014-24) के दौरान, कुल सूखा व कम नमी से संबंधित तनाव सहन करने वाली धान की 57 किस्में विकसित की गई हैं जो कम बारिश की स्थिति में खेती के लिए उपयुक्त हैं।
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आज, यानी छह अगस्त 2024 को मॉनसून सत्र के दौरान पूछे एक प्रश्न के उत्तर में, कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने लोकसभा में बताया कि देश में जैविक खेती के अंतर्गत कुल 59.74 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को शामिल किया गया है। जिसमें राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम के तहत 44.75 लाख हेक्टेयर, परम्परागत कृषि विकास योजना के तहत 14.99 लाख हेक्टेयर जिसमें से भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति के अंतर्गत 2.15 लाख हेक्टेयर शामिल है। देश के 48.30 लाख किसान, जिसमें से राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम में 23.58 लाख किसान, परम्परागत कृषि विकास योजना में 24.72 लाख (भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति के अंतर्गत 5.34 लाख) किसान शामिल हैं।

आंध्र प्रदेश में हर बूंद अधिक फसल योजना

वहीं सदन में उठाए गए एक अन्य सवाल के जवाब में राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने लोकसभा में कहा कि हर बूंद अधिक फसल यानी "पर ड्रॉप मोर क्रॉप स्कीम" को राज्य स्तरीय स्वीकृति समिति द्वारा अनुमोदित उनकी वार्षिक कार्य योजना (एएपी) के आधार पर राज्यों द्वारा कार्यान्वित किया जाता है। पिछले पांच वर्षों के दौरान आंध्र प्रदेश की वार्षिक कार्य योजना में पीडीएमसी के माध्यम से सूक्ष्म सिंचाई के तहत 7.94 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करने की योजना बनाई गई थी और इस अवधि के दौरान राज्य में 3.09 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया गया है।

असम में नदी से कटाव

नदी से होने वाले कटाव को लेकर सदन में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में आज गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में बताया कि 15वें वित्त आयोग ने इस बात पर विचार किया था कि तटीय और नदी से होने वाले कटाव के गंभीर प्रतिकूल सामाजिक-आर्थिक परिणाम हो सकते हैं। इसमें कटाव से संबंधित दो पहलुओं पर विचार किया गया, यानी कटाव को रोकने के उपाय, जो राष्ट्रीय आपदा शमन कोष (एनडीएमएफ) के तहत आता है और कटाव से प्रभावित विस्थापित लोगों का पुनर्वास जो राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (एनडीआरएफ) के तहत किया जाता है। इसके अलावा 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर केंद्र सरकार ने 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिए असम की राज्य सरकार को राज्य आपदा शमन कोष (एसडीएमएफ) के तहत 948.40 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं।

असम में बाढ़ से हताहत लोग

एक अन्य सवाल के जवाब में राय ने कहा कि मंत्रालय बाढ़ सहित आपदाओं के कारण प्रभावित लोगों पर कोई केंद्रीय आंकड़े नहीं रखता है। हालांकि असम सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार 25 जुलाई 2024 तक प्राकृतिक आपदाओं में 117 लोगों की मौत हुई।

देश में फसलों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

आज सदन में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय कृषि एवं कृषक कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने लोकसभा में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि जलवायु के अनुकूल ढलने वाले उपायों को न अपना पाने की स्थिति में अनुमान है कि साल 2050 में बारिश पर निर्भर धान की पैदावार में 20 फीसदी और 2080 परिदृश्यों में 47 फीसदी की कमी आ सकती है।

जबकि सिंचित इलाकों में धान की पैदावार में 2050 में 3.5 फीसदी और 2080 में पांच फीसदी, गेहूं की पैदावार 2050 में 19.3 फीसदी और 2080 में 40 फीसदी, खरीफ मक्का की पैदावार में 2050 के परिदृश्यों में 18 फीसदी और 2080 में 23 फीसदी तक की कमी आने की आशंका जताई गई है। वहीं, सोयाबीन की पैदावार 2030 में तीन से 10 फीसदी और 2080 में 14 फीसदी तक बढ़ने का अनुमान है।

सूखा सहन करने वाली धान की किस्में

वहीं, एक और सवाल के जवाब में, राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने लोकसभा में कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) धान सहित विभिन्न फसलों की अधिक उपज देने वाली जलवायु सहनशील किस्मों या संकरों के लिए शोध और विकास में सक्रिय रूप से लगी हुई है, जो बेहतर गुणवत्ता के साथ विभिन्न जैविक और अजैविक तनावों के प्रति सहनशील हैं। पिछले 10 वर्षों (2014-24) के दौरान, कुल 57 सूखा व कम नमी से संबंधित तनाव सहन करने वाली धान की किस्में विकसित की गई हैं जो कम बारिश की स्थिति में खेती के लिए उपयुक्त हैं।

सब्सिडी दर पर सोलर कुकर

सदन में पूछे गए एक सवाल के जवाब में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा और बिजली राज्य मंत्री श्रीपद येसो नाइक ने राज्यसभा में बताया कि फिलहाल, सब्सिडी दरों पर सोलर कुकर उपलब्ध कराने के लिए एमएनआरई के पास कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। हालांकि, एमएनआरई राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम के तहत देश में खाना पकाने के उद्देश्य से वैकल्पिक स्वच्छ ऊर्जा के स्रोत के रूप में बायोगैस संयंत्रों की स्थापना का समर्थन कर रहा है, जिसके तहत एमएनआरई बायोगैस संयंत्रों की स्थापना के लिए केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) प्रदान कर रहा है, जो संयंत्र के आकार (1-25 क्यूबिक मीटर प्रति दिन संयंत्र क्षमता) के आधार पर प्रति बायोगैस संयंत्र 9800 से लेकर 70,400 रुपये तक है।

देश में औषधीय पौधे

औषधीय पौधों को लेकर सदन में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में आज, आयुष मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जी.सी. चंद्रशेखर ने राज्यसभा में कहा कि राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (एनएमपीबी), आयुष मंत्रालय ने किसानों सहित हितधारकों को औषधीय पौधों के विभिन्न पहलुओं जैसे संरक्षण, खेती, कटाई के बाद प्रबंधन और विपणन के बारे में जागरूक करने के लिए वित्तीय वर्ष 2015-16 से 2023-24 तक देश भर में 2126.57 लाख रुपएए के कुल बजट के साथ विभिन्न सूचना शिक्षा और संचार (आईईसी) गतिविधियों के लिए 240 परियोजनाओं का समर्थन किया है।

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