फाइल फोटो : राकेश कुमार मालवीय
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हरियाणा का बीज एवं कीटनाशक अधिनियम 2025: किसानों के लिए कितना फायदेमंद?

हरियाणा सरकार ने पिछले महीने भारतीय बीज अधिनियम -1966 की धारा-19 में संशोधन करके हरियाणा सीड्स व पेस्टीसाइड्स एक्ट- 2025 को लागू किया
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हरियाणा सरकार ने पिछले महीने भारतीय बीज अधिनियम, 1966 की धारा-19 में संशोधन करके हरियाणा सीड्स व पेस्टीसाइड्स एक्ट, 2025 को लागू किया।

नए बीज अधिनियम में नकली और खराब बीज बेचने पर उत्पादक कंपनी पर 5 लाख रुपए तक का जुर्माना और 3 साल तक की सजा, जबकि कंपनी के डीलर, एजेंट और दुकानदार पर 1 लाख रुपए तक का जुर्माना और 2 साल तक की सजा का प्रावधान रखा गया है।

हालांकि, बीज निर्माताओं और कारोबारियों का एक वर्ग इस कानून का विरोध करते हुए इसे वापस लेने की मांग कर रहा है।

"उल्टा चोर - कोतवाल को डांटे" कहावत को चरितार्थ करते हुए प्रदेश के व्यापारियों ने हरियाणा सीड्स व पेस्टीसाइड्स एक्ट, 2025 के खिलाफ हड़ताल का ऐलान किया है।

यह एक्ट का विरोध सरासर अनैतिक और गैर कानूनी है, जो इस बात का प्रमाण है कि व्यापारियों का एक बड़ा वर्ग वर्षों से नकली बीज और कृषि रसायन (खाद, कीटनाशक आदि) के व्यापार से किसानों को सरेआम लूट रहा है, जिससे खेती की लागत में बेवजह बढ़ोतरी और फसलों की औसत पैदावार में गिरावट दर्ज हो रही है। इसका सीधा नुकसान किसानों को हो रहा है।

अगर ये व्यापारी नकली बीज और कृषि रसायन (खाद, कीटनाशक आदि) का व्यापार नहीं करते हैं, तो फिर सीड्स व पेस्टीसाइड्स एक्ट, 2025 का विरोध क्यों कर रहे हैं?

भारतीय बीज अधिनियम, 1966 में बीज को श्रेणीबद्ध करके परिभाषित किया गया है। नकली बीज वह होते हैं जो भारतीय बीज अधिनियम, 1966 के अनुरूप नहीं होते या जिन किस्मों के बीज, हरियाणा प्रदेश के लिए अनुशंसित नहीं किए गए हैं।

हरियाणा में अवैध रूप से बिक रहे बिना सरकारी सिफारिश वाले विभिन्न रिसर्च किस्मों और संकर धान के बीज की उच्चस्तरीय जांच के लिए गत वर्ष, 1 अगस्त 2024 को इस लेखक ने हरियाणा के राज्यपाल को पत्र लिखकर अनुरोध किया था। प्रदेश में लगभग 50 प्रतिशत बीज प्राइवेट कंपनियां नकली बेच रही हैं।

कुछ समय पहले एक बीज कंपनी ने धान का एक ऐसा हाइब्रिड बीज हरियाणा के किसानों को बेचा, जो इस प्रदेश के लिए अनुशंसित ही नहीं था। इस प्रकार के बीजों से उत्पन्न होने वाली फसलों की रिकवरी दर कम होती है, जिसके चलते किसानों को राइस मिलों से समर्थन मूल्य से कम दाम मिलते हैं।

धान के इन नकली बीजों में प्राइवेट कंपनियों के 7501, 7301 जैसे संकर धान के बीज बहुत महंगे दामों पर किसानों को बेचे जा रहे थे, जो हरियाणा के लिए सरकारी तौर पर अनुमोदित नहीं हैं।

हरियाणा के किसान पहले ही कपास की फसल में इस तरह के बिना अनुमोदित संकर बीजों से उत्पन्न गुलाबी सुंडी के कहर से वर्षों से भारी नुकसान उठाते रहे हैं। बिना अनुमोदित संकर धान के बीजों के कारण हरियाणा प्रदेश के धान के कटोरे कहे जाने वाले करनाल, कुरूक्षेत्र, यमुनानगर आदि जिलों में बौनेपन वायरस बीमारी की आहट सुनाई देने लगी है।

इसीलिए, बिना अनुमोदित संकर धान के अवैध बीजों पर लगाम लगाए जाने की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी, ताकि नकली बीजों के अवैध व्यापार के दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जा सके।

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इन व्यापारियों का कुतर्क है कि ये कंपनियों के सील बंद पैकेट बीज और कृषि रसायन बेचते हैं, इसलिए उनकी कानूनी जिम्मेदारी नहीं बननी चाहिए। भारतीय दंड संहिता की धारा 34 के मुताबिक, अपराध में शामिल सभी लोग समान रूप से जिम्मेदार होते हैं, यानी सभी प्रतिभागियों को पूरे अपराध के लिए बराबर जिम्मेदार माना जाता है। यह इस बात पर निर्भर नहीं करता कि किसी की भूमिका या भागीदारी का स्तर क्या था।

इसलिए, किसान और प्रदेश हित में हरियाणा सरकार को चोरी और सीनाजोरी करने वाले इन नकली बीज और कृषि रसायन व्यापारियों के कुतर्क को नजरअंदाज करते हुए, हरियाणा सीड्स व पेस्टीसाइड्स एक्ट, 2025 को दृढ़ता से अतिशीघ्र लागू करना चाहिए, और केंद्र सरकार को ऐसे किसान हितैषी कानून को पूरे देश में लागू करना चाहिए, ताकि किसानों को नकली बीज और कृषि रसायन की मुश्किलों से बचाया जा सके।

लेखक डा. वीरेन्द्र सिह लाठर, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक हैं। लेख में व्यक्त उनके निजी विचार हैं।

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