हरियाणा सरकार ने आदेश में किया संशोधन, राहत में किसान

हरियाणा सरकार ने कहा है कि लॉकडाउन के चलते यदि गेहूं खरीद में देरी होती है तो किसानों को बोनस दिया जाएगा
Photo: SAYANTONI PALCHOUDHURI
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एक सरकारी फरमान को लेकर 24 घंटे से परेशान किसानों को आखिरकार उसका समाधान मिल गया। हरियाणा सरकार के 15 अप्रैल से सरसों एवं 20 अप्रैल से गेहूं की खरीद के निर्णय से उपजी आशंकाओं को लेकर जो किसान और किसान संगठन तरह-तरह के सवाल उठा रहे थे। खरीद की नई सरकारी व्यवस्था को लेकर अब वे संतुष्ट नजर आ रहे हैं।

27 मार्च को हरियाणा सरकार ने कहा कि गेहूं व अन्य फसलों की खरीद पहली अप्रैल से शुरू होनी थी, लेकिन महामारी के चलते अब 20 अप्रैल से खरीद का निर्णय लिया गया है। अगर इसमें और देरी होती है तो गेहूं की फसल खरीद पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के साथ बोनस भी दिया जाएगा। मंडियां 20 अप्रैल से 5 मई तक 1925 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से गेहूं खरीदेंगी। 6 से 31 मई तक 1975 रुपए प्रति क्विंटल व 1 से 30 जून तक 2050 रुपए के हिसाब से खरीद करेंगी।

इसके अलावा पंजाब और आसपास से कंबाइन हार्वेस्टर और दूसरी जरूरी मशीनों के आवगमन तथा खेतों में कटाई से किसानों को नहीं रोकने संबंधी आदेश भी जारी कर दिए गए हैं। सरसों व गेहूं की आवक एक साथ अधिक आने की स्थिति में मंडियों के अतिरिक्त राधा स्वामी डेरा सतसंग भवनों के शेड इस्तेमाल किए जाएंगे। सरसों की खरीद हैफेड व हरियाणा वयर हाऊसिंग तथा गेहूं की खरीद भारतीय खाद्य निगम करती है

अभी देशभर में लॉकडाउन है, जिसके चलते ढुलाई में इस्तेमाल होने वाले करीब 50 लाख वाहन जहां, तहां फंसे हैं। ऐसे में फसलों की टाई से लेकर ढुलाई बुरी तरह प्रभावित होने वाली है। केंद्र सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष में 3.5 करोड. टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा है। हरियाणा में करीब 25.50 लाख हेक्टेयर में गेहूं और 6.36 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में सरसों की फसल लगाई गई है। पिछले साल 6.12 हेक्टेयर में सरसों की बिजाई हुई थी।

आम तौर पर देश के विभिन्न हिस्सों में मार्च से  गेहूं की कटाई शुरू हो जाती है, जबकि हरियाणा में एक से नौ अप्रैल तक यह क्रम चलता है।

पलवल के आली ब्राह्मण गांव के किसान अजय कुमार कहते हैं कि चूंकि इस बार मार्च के पहले पखवाड़े में तेज हवा के साथ बारिश और ओलावृष्टि हुई है, इसलिए कटाई देरी से शुरू होगी।

अखिल भारतीय किसान सभा के डॉक्टर बलबीर सिंह ठाकन का कहना है कि जब हर जगह 15 अप्रैल तक लॉकडाउन है, मजदूर पलायन कर चुके हैं और सोशल डिस्टेंस रखने पर जोर दिया जा रहा तो कैसे फसलों की कटाई और सरकार द्वारा निर्धारित समय पर उसे मंडियों तक पहुंचाना संभव नहीं है। ऐसे में, सरकार द्वारा बोनस देने का फैसला सही है। हालांकि अभी भी संदेह है कि लॉकडाउन कब तक जारी रहेगा।

प्रदेश की अनाज मंडियों में हर साल करीब 90 लाख टन गेहूं की आवक होती है। अभी हरियाणा में फसलों की हालत ऐसी नहीं कि 15 अप्रैल से पहले उसकी कटाई की जाए। भारतीय किसान यूनियन के प्रधान गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि ज्यादातर किसान मध्यमवर्गीय हैं। जिनके सामने कटे हुए गेहूं को रखने का संकट है। मौसम वैज्ञानिकों ने दस दिन बाद फिर से मौसम खराब होने की चेतावनी दी है। इसलिए देरी से कटाई होने पर उन्हें सुरक्षित रखने और देरी से खरीद की व्यवस्था की जाए।

मौसम खराब होने पर फसलों को नुकसान पहुंच सकता है। उनके प्रबंधन पर आने वाले खर्चों के लिए  भी सरकार प्रत्येक किसान को दस-दस हजार रुपए एडवांस भुगतान करे, जिसे बाद में उनकी बेची हुई फसलों की रकम से काटा जा सकता है।

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