निवाड़ी जिले से 20 किलोमीटर दूर स्थित गांव घुघसी, थोरा सहित एक दर्जन गांवों में सौ प्रतिशत नुकसान हुआ है। गेहूं, मटर, सरसों चना आदि की फसलों को सौ प्रतिशत नुकसान हुआ है। मस्तराम ने बताया कि सर्वे के बाद प्रशासन ने माना है कि इस क्षेत्र में सौ प्रतिशत नुकसान हुआ है। निवाड़ी जिले से लगे पृथ्वीपुर क्षेत्र में भी ऐसे ही नुकसान की खबरें आ रही हैं।
जिले के कलोथरा गांव के किसान संजीव प्रजापति ने बताया कि दो—तीन रोज से मौसम खराब था। 9 जनवरी को सुबह 8 बजे से तकरीबन आधे घंटे तक पूरे इलाके में तेज गति से ओलावृष्टि होती रही। तकरीबन 10 से 50 ग्राम तक के ओले गिरे। इलाके में मटर, सरसों, ज्वार, गेहूं, चना की फसल खड़ी थी, सब नष्ट हो गई। ऐसी ओलावृष्टि हमने अपने जीवन में कभी नहीं देखी, जो ओले सुबह गिरे थे, वह शाम तक खेतों में पड़े रहे।
निवाड़ी विधायक अनिल जैन ने कलेक्टर नरेन्द्र कुमार सूर्यवंशी तथा अधिकारियों के साथ 9 जनवरी को ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा किया और असमय वर्षा और ओलावृष्टि से किसानों की फसलों को पहुंचे नुकसान की जानकारी ली।
हरदा जिले से भी नुकसान की खबरें आई हैं। यहां पर नुकसान का केन्द्र रहटगांव के पास पानलताई गांव है। पानतलाई गांव की पंचायत सहायिका निशा रामकुचे ने डाउन टू अर्थ को 15 सेकंड का एक वीडियो शेयर किया है जो आठ जनवरी और 9 जनवरी के क्ल्प्सि को जोड़कर बनाया गया है। निशा ने बताया कि चंद मिनटों की ओलावृष्टि ने किसानों की दो महीने की मेहनत को मिट्टी में मिला दिया। चने की फसल पर फूल लगा हुआ था, और गेहूं में भी बालियां थीं। ओलावृष्टि ऐसे समय पर हुई है कि फसल में अब दोबारा जान आना संभव नहीं है।
विदिशा जिले के गंजबासौदा क्षेत्र में काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता वीरसिंह लोधी ने लटेरी तहसील के ग्राम उनारसीकला का एक वीडियो डाउन टू अर्थ को उपलब्ध करवाया है। इस वीडियो में बेर के आकार के ओलों से गांव में होता नुकसान नजर आ रहा है।
छतरपुर जिले के कुछ क्षेत्रों में आठ जनवरी की शाम को भारी ओलावृष्टि हुई। बक्सवाहा के निवासी एडवोकेट रमन जैन ने बताया कि ऐसी तेजी ओलावृष्टि कभी नहीं देखी, ऐसा लग रहा था कि बंदूक से गोलियां दागी जा रही हैं, सुबह जब देखा तो दीवारों पर प्लास्टर पर ओले पड़ने के निशान थे, जगह—जगह निशान बन गए थे।
किसान जागृति संगठन के प्रमुख इरफान जाफरी ने बताया कि प्रदेश के अलग—अलग हिस्सों से संगठन के लोग उन्हें भारी नुकसान की जानकारी दे रहे हैं। सरकार को फौरन ही सर्वे करवाकर बीमा कंपनियों को नुकसान की भरपाई करने के आदेश देना चाहिए, लेकिन पिछले सालों में यह अनुभव आया है कि बीमा कंपनियां कई शर्तों का हवाला देते हुए हर्जाना देने से बच निकलती हैं।