उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद के किसान रिंकू कटियार ने 96 बीघा आलू की खेती की थी। अब तक 54 बीघा आलू की खुदाई हो गई थी, लेकिन अभी भी 30 बीघा आलू खेत में पड़ा है। 5-6 मार्च को भारी बारिश, आंधी और ओलावृष्टि से यह आलू खराब हो जाएगा। सुल्तानपुर जनपद के कूरेभार ब्लॉक के लोकेपुर गांव के किसान अंजनी वर्मा के खेतों में खड़ी गेहूं, सरसों और मटर की फसल को नुकसान हुआ है। भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश प्रवक्ता राकेश टिकैत का अनुमान है कि दो दिन की बारिश और ओलावृष्टि से लगभग 40 फीसदी खड़ी फसल को नुकसान पहुंचा है।
वहीं, बारिश और ओले की वजह से हरियाणा के 18 जिलों में सरसों और गेहूं के फसल को नुकसान हुआ है। गिरदावरी के आदेश के बाद जुटाई प्रथमिक रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के 517 गांवों में 50318 हेक्टेयर (करीब 1.24 लाख एकड़) में लगी फसल 50 से 75 फीसदी तक प्रभावित हुई है।
मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के आंकड़ों के मुताबिक, 1 मार्च से 5 मार्च के बीच देश के कुल 683 मौसम क्षेत्रों में से 222 में से भारी बारिश हुई। मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, सामान्य से 60 फीसदी अधिक बारिश होने को भारी बारिश की श्रेणी में रखा जाता है। इसके विपरीत 265 जिलों में बिल्कुल भी बारिश नहीं हुई, जिससे पता चलता है कि देश के बड़े हिस्से में या तो बहुत ज्यादा बारिश हुई या फिर बारिश नहीं हुई।
यह एक ऐसा पैटर्न है जो पिछले कुछ वर्षों से लगातार बना हुआ है। जहां बारिश हो रही है तो सामान्य से बहुत अधिक बारिश हो रही है और कहीं बिल्कुल भी बारिश नहीं हो रही है। मानसून के मौसम में जब देश में अधिकांश बारिश होती है तो इस पैटर्न की वजह से एक ही क्षेत्र में एक साथ बाढ़ और सूखा पड़ता है जिससे लोगों और उनकी आजीविका के लिए समस्या पैदा होती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मुख्य रूप से ग्लोबल वार्मिंग प्रेरित जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहा है, जो मौसम संबंधी एजेंसियों के मौसम की भविष्यवाणी करना मुश्किल बना रहा है।
पिछले कुछ दिनों में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा और कर्नाटक में बेमौसमी भारी बारिश और ओलावृष्टि हुई। यूपी में 75 में से 37 जिलों में भारी बारिश हुई, उनमें से 29 में बारिश नहीं हुई। मध्यप्रदेश में कुल 51 जिलों में से 23 में बहुत ज्यादा बारिश हुई, जबकि 20 में बिल्कुल भी नहीं हुई। कर्नाटक में 20 जिलों में बहुत अधिक बारिश हुई, लेकिन 6 जिलों में नहीं हुई। दिल्ली में 6 जिलों में बहुत अधिक बारिश हुई, लेकिन 3 जिलों में बिल्कुल नहीं हुई।
हरियाणा के मेवात, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, रोहतक, सोनीपत, भिवानी,दादरी, झज्जर जिले में अधिक प्रभाव पड़ा है। रेवाड़ी जिले के 67 गांवों में 23250 एकड़, रोहतक में करीब 100 गांवों में 11500 एकड़, मेवात के 19 गांवों में 6800 एकड़, महेंद्रगढ़ जिले के 87 गांवों में 19206, सोनीपत के 45 गांवों में 4870 एकड़ में लगी सरसो और गेहूं की फसल 75 फीसदी तक बर्बाद हो गई है। इसके अलावा इन जिलों में करीब एक लाख हेक्टेयर में लगी फसल को 25 से 50 फीसदी तक नुकसान हुआ है।
राजस्व एवं आपदा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि विधानसभा सत्र चलने की वजह से गिरदावरी के आदेश के बाद प्राथमिक रिपोर्ट ली गई थी। अभी फाइनल रिपोर्ट आने में एक सप्ताह का समय और लगेगा। इसमें स्थिति और सामने आएगी। बता दें कि वर्ष 2020 में जनवरी से अब तक 45 एमएम बारिश हो चुकी है। जनवरी-फरवरी में 29.8 एमएम बारिश हुई थी तो मार्च के शुरुआती दिनों में ओलावृष्टि के साथ 14.8 एमएम बारिश हुई है।
उत्तर प्रदेश के बरेली में कृषि विभाग, तहसील स्तर के कर्मचारी और बीमा कंपनी के संयुक्त सर्वे में रबी फसलों को 36 फीसद नुकसान का आकलन किया गया है। शाहजहांपुर जिले में सिर्फ आठ फीसद फसलों को नुकसान हुआ। जबकि पीलीभीत और बदायूं से फसल बर्बाद की रिपोर्ट अब तक मंडल में नहीं आ सकी है। फसल के जमीन पर गिरने की वजह से गेहूं के दाने काले पड़ चुके हैं। इससे उत्पादन कम होने की आशंका है। खराब गेहूं की बिक्री भी कम दाम पर होगी। जो गेहूं 1735 से 1785 रुपए प्रति कुंतल बिकना चाहिए वो 1000 से 1200 रुपए तक रह जाएगा। करीब दस साल पहले भी फाल्गुन में मौसम ने ऐसे ही करवट बदली थी। 15 दिनों में तीन बार भारी बारिश हो चुकी है।
(साथ में बरेली से ज्योति पांडे)