नए घुसपैठिए को रोकने के लिए भारत-पाक हुए एक

अफ्रीका-खाड़ी देशों से चल कर ईरान से पाकिस्तान के रास्ते राजस्थान के दो जिलों पर यह आक्रमण हुआ है, जो फसल को भारी नुकसान पहुंचा सकता है
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नब्बे के दशक से आतंकियों के भारत-पाक सीमा के दोनों ओर से घुसपैठयों पर तो अब तक दोनों देशों की सरकार रोक लगा पाने में असमर्थ रही हैं, लेकिन अब एक ऐसा घुसपैठियों का दल भारत में पाक के रास्ते घुसा है, जिसे खत्म करने के लिए दोनों देशों के अधिकारी से लेकर संबंधित राज्यों के मुख्यमंत्री मिल बैठ कर बातचीत कर रहे हैं।

हम बात कर रहे हैं टिड्डी रूपी घुसपैठिए की, जिसे दोनों ओर की सेना या बारूद खत्म नहीं कर सकते, बल्कि इसके लिए रसायनिक हथियारों (कीटनाशक दवा) की जरूरत पड़ती है। पाकिस्तानी सीमा से लगे राजस्थान के जिलों पर (विशेषतौर पर बाड़मेर व जैसलमेर) 1993 और 1998 के बाद एक बार फिर से टिड्डियों के हमला खतरा मंडरा है। हालांकि अभी इस पर नियंत्रण करने के लिए राजस्थान सरकार और केंद्र मिल कर इस संबंध में कई बैठकें कर चुके हैं।

इसके अलावा एहतियातन प्रभावित इलाकों के लगभग 700 हेक्टेयर क्षेत्र में टिड्डियों पर कीटनाशक का उपयोग कर चुका है। ध्यान देने की बात ये है कि खरीफ फसल में इस इलाके में बाजरे और ग्वार की बुवाई के साथ ही कई फलदार फसलों में अमरूद, आंवला, बेर और अंगूर की भी बड़े पैमाने पर खेती होती है। हाल ही हुई बारिश के बाद कुछ इलाकों में बाजरे की बुवाई हो चुकी है। कुछ समय बाद फसल के तैयार होने का समय आने वाला है और ऐसे में टिड्‌डी के खतरे के चलते सीमावर्ती जिलों के किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें और गहरी हो गई हैं।

ध्यान रहे कि सबसे पहले अफ्रीका और खाड़ी देशों  में इन टिड्डियों का प्रकोप देखा गया। इसके बाद ईरान में इसका असर दिखाई दिया। जहां से ये पाकिस्तान के रास्ते भारत में घुसी। पाकिस्तान के तीन राज्यों में इसका प्रकोप दिखाई दिया। इनमें एक अभी भी बाड़मेर से कुछ दूरी पर स्थित मीरपुर जिले के सकुर एयरपोर्ट पर एक हावई जहाज तैयात है। हालांकि पाक के तीन राज्यों में लगभग 10 हजार हैक्टेयर में टिड्डियों के खात्म के लिए कीटनाशक छिड़काव तेजी से किया जा रहा है। यही कारण है कि हवा के अनुकूलन होने पर ये टिड्डियां राजस्थान के चार जिलों में पहुंच गई हैं।

ध्यान रहे कि इस सबंध में बीएसएफ की सुरक्षा चौकी पर भारत-पाक के आला अधिकारियों की टिड्डियों से निपटने के लिए तैयारी पर चार घंटे से अधिक बातचीत की। इसमें अधिकारियों के अलावा वैज्ञानिकों व तकनीकी विशेषज्ञ भी शामिल थे। बताया गया है कि पाकिस्तान में टिड्डी सिंध प्रांत के थारपारकर जिले और थार मरुस्थल क्षेत्र में पहुंची थी।

भारत में राजस्थान के जेसलमेर जिलों में प्रतिदिन टिड्डियों के खात्मे के लिए कीटनाशक छिड़काव किया जा रहा है। इस संबंध में राज्य में 11 टीमों को गठन किया गया है। यही नहीं राजस्थान के बाड़मेड़, जोधपुर, बीकानेर, सूरतगढ़,जैसलमेर, चुरू, नागौर, जालौर, फलौदी और गुजरात के भुज कार्यालय को अलर्ट जारी किया गया है।

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