महंगाई के बढ़ते दबाव के बीच केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी है। सरकार ने इससे पहले 2022-23 में एक करोड़ टन अनाज निर्यात करने का लक्ष्य रखा था।
मंत्रालय ने 13 मई को जारी आदेश "गेहूं की निर्यात नीति में संशोधन" में उच्च प्रोटीन ड्यूरम सहित स्टेपल की सभी किस्मों को 'मुक्त' श्रेणी से निकाल कर 'वर्जित' श्रेणी में डाल दिया।
सरकार ने अपने इस निर्णय के लिए गेहूं की वैश्विक कीमतों में अचानक वृद्धि और भारत की खाद्य सुरक्षा पर इसके प्रभाव का हवाला दिया है।
इस आदेश में कहा गया है कि भारत सरकार अपने देश के साथ-साथ पड़ोसी व अन्य विकासशील देशों की खाद्य सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है, जो गेहूं की वैश्विक कीमतों में आए अचानक बदलाव और गेहूं की अपर्याप्त आपूर्ति के कारण प्रभावित हो रहे हैं।
हालांकि सरकार ने स्पष्ट किया है कि गेहूं निर्यात से संबंधित जो समझौते 13 मई 2022 से पहले हो चुके हैं, उन पर इस रोक का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
यहां यह उल्लेखनीय है कि यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब गेहूं की कीमतें एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) से बहुत अधिक हैं और किसान सरकार को गेहूं बेचने की बजाय व्यापारियों को बेच रहे हैं। वहीं, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश में मौसम की वजह से गेहूं की उपज को काफी नुकसान पहुंचा है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, सरकार ने 2 मई तक 16 मिलियन टन (एमटी) गेहूं की खरीद की थी। यह पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत कम है जब 27 अप्रैल, 2021 तक 23 मिलियन टन की खरीद की गई थी। सरकार 2022-23 में 44.4 मीट्रिक टन गेहूं खरीदना चाहती है।