
भारत में व्यावसायिक रूप से बेचे जाने वाले प्रसंस्कृत खाद्य और कच्चे मक्का अनाज में अवैध जीन संवर्धित (जीएम) मक्का की उपस्थिति के सबूत पाए गए हैं। साथ ही यह भी आशंका जताई गई है कि यह अवैध आयात के माध्यम से आया हो सकता है। जीएम फसलों का विरोध करने वाले राष्ट्रव्यापी समूह जीएम इंडिया ने केंद्र सरकार के संबंधित मंत्रालयों को पत्र लिखकर इस पर कार्रवाई करने की अपील की है।
डाउन टू अर्थ ने अपनी रिपोर्ट तहकीकात- कहीं, जीएम फल तो नहीं खा रहा है इंडिया? में यह पहले भी बताया था कि विदेशों से आयात हो रहे फल-सब्जियों की मात्रा बाजार में बढ़ती जा रही है जबकि आयात के दौरान जीएम फसलों को लेकर लागू नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फूड टेक्नोलॉजी के फूड बॉयोटेक्नोलॉजी विभाग और एंटरप्रेन्योरशिप और मैनेजमेंट - तंजावुर (एनआईएफटीईएम-टी) ने साइंस डायरेक्ट पर प्रकाशित एक अध्ययन में यह दावा किया गया है। इस अध्ययन का शीर्षक पीसीएस एंड फटीआईएस बेस्ड स्क्रीनिंग ऑफ जेनेटेकली मोडिफाइड मेज इन प्रोसेस्ड एंड अनप्रोसेस्ड फूड्स इन द इंडियन मार्केट है।
22 नवंबर को जीएम फ्री इंडिया ने वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में डीजीएफटी और पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन के जीईएसी और स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय के एफएसएसएआई विभाग को इस मामले में एक पत्र लिखा है।
वैज्ञानिकों के शोध का निष्कर्ष यह बताता है कि जीएम मक्का का पता लगाने के लिए एटीआर -एफटीआईआर और पीसीआर आधारित तकनीकों का उपयोग किया गया। पीसीआर परीक्षण से विश्लेषण किए गए 34 नमूनों में से 15.39% जीएम मक्का के लिए सकारात्मक पाए गए। जबकि एटीआर-एफटीआईआर स्पेक्ट्रोस्कोपी में 20% मक्का नमूनों में स्टैंडर्ड जीएम मक्का के साथ अधिक संरचनात्मक समानता पाई गई।
शोध में पाया गया कि जीएम मक्का का एक नमूना (डब्ल्यूएस3), जो अवैध जीएम मक्का खेती का सबूत है, तंजावुर, तमिलनाडु के पास स्वामी मुथायन स्टेडियम, मुथैयन कोविल स्ट्रीट, कोरथाकुडी से लिया गया था। इसके अलावा, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में भी जीएम मक्का की उपस्थिति के प्रमाण मिले हैं।
पिछले वर्षों में अवैध एचटी बीटी कपास कपास, बीटी बैंगन और जीएम सोयाबीन की खेती के मामले सामने लाए गए थे, लेकिन संबंधित प्राधिकरणों से ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इन घटनाओं ने भारत की जैव-सुरक्षा और जैव-नियामक तंत्र को खतरे में डाल दिया है।
जीएम फ्री इंडिया ने कहा कि 1 मार्च 2021 से एफएसएसएआई ने 24 खाद्य फसलों के आयात के लिए जीएम-मुक्त प्रमाणपत्र अनिवार्य किया है। लेकिन यह अध्ययन बताता है कि यह आदेश लागू नहीं हो रहा है। जीएम मक्का का पता चलने पर यह संभावना है कि यह अवैध आयात के माध्यम से आया हो सकता है।
जीएम फ्री इंडिया ने मांग की है कि अवैध जीएम मक्का के स्रोत का पता लगाकर संबंधित डेवलपर्स और आयातकों पर कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही जीएम मक्का वाले सभी उत्पादों को बाजार से वापस लिया जाना चाहिए। और अन्य संदिग्ध जीएम उत्पादों को भी जब्त किया जाए जब तक कि उनकी जीएम -मुक्तता की पुष्टि न हो।
जीएम फ्री इंडिया ने मांग की है कि डीजीएफटी को विभिन्न प्राधिकरणों और नागरिक समाज के प्रतिनिधियों के साथ बैठक आयोजित करनी चाहिए ताकि नियामक तंत्र को मजबूत किया जा सके। इसके अलावा आयात पर निगरानी बढ़ाई जानी चाहिए। खासतौर से अमेरिका, ब्राजील, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया जैसे जीएम उत्पादन वाले देशों से आने वाले उत्पादों की सख्त जांच की जाए। पत्र में कहा गया है कि कोई भी जीएम बीज या पौध सामग्री बिना अनुमति के आयात न होने दी जाए।
जीएम फ्री इंडिया ने कहा है कि उत्पादों में जीएम की उपस्थिति की सीमा 1% से घटाकर 0.01% की जाए और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों में जीएम-मुक्त प्रमाणपत्र अनिवार्य किया जाए। जीएम मुक्त प्रमाणपत्र के लिए फसलों की सूची में अन्य फसलें (जैसे केला) को जोड़ा जाए।
जीएम फ्री इंडिया ने कहा है कि भारत की जैव-सुरक्षा और जैव-विविधता की रक्षा के लिए तत्काल और ठोस कदम उठाना आवश्यक है।