विश्व खाद्य कीमतें 2021 में पिछले 10 वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं थी। यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा हाल ही में जारी फूड प्राइस इंडेक्स में सामने आई है। गौरतलब है कि 2021 में यह इंडेक्स औसतन 125.7 अंक दर्ज किया गया था जोकि पिछले वर्ष की तुलना में करीब 28.1 फीसदी ज्यादा था। इससे पहले 2011 में यह अपने उच्चतम स्तर पर पहुंचा गया था, जब यह 131.9 पॉइंट दर्ज किया गया था।
एफएओ का यह फ़ूड प्राइस इंडेक्स अंतराष्ट्रीय स्तर पर हर महीने खाद्य कीमतों में आने वाले उतार चढ़ाव को ट्रैक करता है। इंडेक्स के मुताबिक खाने पीने की चीजों की कीमतों में लगातार चार महीनों तक होने वाली वृद्धि के बाद दिसंबर में थोड़ी गिरावट दर्ज की गई थी।
दिसंबर 2021 में यह खाद्य मूल्य सूचकांक 133.7 अंक दर्ज किया गया था जोकि नवंबर की तुलना में 0.9 फीसदी कम था। हालांकि यदि इसकी तुलना दिसंबर 2020 से की जाए तो वो उससे करीब 23.1 फीसदी ऊपर था। हालांकि दिसंबर में केवल डेयरी से जुड़ी कीमतों में उछाल दर्ज किया गया था।
इसी तरह दिसंबर 2021 में अनाज मूल्य सूचकांक में भी 0.6 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी। यह दिसंबर 2021 में औसतन 140.5 अंक दर्ज किया गया था। हालांकि यदि पूरे वर्ष की बात की जाए तो यह 27.2 फीसदी की वृद्धि के साथ 2012 के बाद से अपने उच्चतम वार्षिक स्तर पर पहुंच गया था।
2021 में यह 131.2 पॉइंट दर्ज किया गया था। 2020 से तुलना की जाए तो 2021 में सबसे ज्यादा मक्के की कीमतों में उछाल दर्ज किया गया था, जिसमें पिछले वर्ष की तुलना में करीब 44.1 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई थी। इसी तरह गेहूं की कीमतों में भी 31.3 फीसदी की तेजी देखी गई थी। वहीं चावल की कीमतों में 4 फीसदी की गिरावट आई थी। कीमतों में आई यह कमी निर्यात के लिए चावल की पर्याप्त उपलब्धता को भी दर्शाता है, जिसने आपूर्तिकर्ताओं के बीच प्रतिस्पर्धा को और बढ़ा दिया था।
यदि वनस्पति तेल की बात करें तो उसके मूल्य सूचकांक में दिसम्बर के दौरान 3.3 फीसदी की कमी आई थी, जोकि वैश्विक स्तर पर निर्यात की मांग में आई कमी का नतीजा थी। एफएओ की मानें तो ऐसा कोविड-19 के कारण हो सकता है जिसके कारण आपूर्ति श्रृंखला में देरी देखी गई थी। कुल मिलकर 2021 में तेल सूचकांक में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की गई थी जो 2020 की तुलना में 65.8 फीसदी ज्यादा थी।
ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर साफ देखी जा सकती हैं चिंताएं
यदि चीनी की बात करें तो दिसम्बर 2021 में नवंबर की तुलना में 3.1 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी, जोकि पांच वर्षों में सबसे कम है। वहीं यदि पिछले वर्ष से तुलना की जाए तो शर्करा मूल्य सूचकांक में 29.8 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई थी जोकि 2016 के बाद सबसे ज्यादा है। एफएओ के विश्लेषण के अनुसार इन परिस्थितियों में ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर चिंताएं साफ झलकती हैं।
यदि डेयरी यानी दूध उत्पादों की बात की जाए तो यह एकलौती ऐसी श्रेणी है जिसके मूल्यों में दिसंबर 2021 में वृद्धि दर्ज की गई थी। यह वृद्धि नवंबर 2021 की तुलना में 1.8 फीसदी ज्यादा थी। ऐसा पश्चिमी यूरोप और ओशिनिया क्षेत्र में दूध के कम उत्पादन के कारण हुआ था।
यदि डेयरी यानी दूध उत्पादों की बात की जाए तो यह एकलौती ऐसी श्रेणी है जिसके मूल्यों में दिसंबर 2021 में वृद्धि दर्ज की गई थी। यह वृद्धि नवंबर 2021 की तुलना में 1.8 फीसदी ज्यादा थी। ऐसा पश्चिमी यूरोप और ओशिनिया क्षेत्र में दूध के कम उत्पादन के कारण हुआ था। पनीर के मूल्यों में भी दिसम्बर में कुछ गिरावट दर्ज की गई थी लेकिन कुल मिलाकर 2021 में डेयरी मूल्य सूचकांक 2020 की तुलना में 16.9 फीसदी ज्यादा था।
इस बारे में एफएओ के वरिष्ठ अर्थशास्त्री अब्दुल रजा अब्बासियां का कहना है कि सामान्य रूप से मांग को पूरा करने के लिए उत्पादन बढ़ता है, जिसके कारण कीमतों के कम होने की उम्मीद है। हालांकि इस बार हालात कुछ और हैं, एक तरफ बढ़ती लागत ऊपर से महामारी और जलवायु की परिस्थितियों ने बाजार में सुधार आने के लिए बहुत कम जगह छोड़ी है। उनके अनुसार ऐसे ही हालात 2022 में रहने की भी सम्भावना है।