अर्जेंटीना जेनेटिक मॉडिफाइड गेहूं को उगाने और उसकी खपत को मंजूरी देने वाला पहला देश बन गया है| यह जानकारी अर्जेंटीना के कृषि मंत्रालय द्वारा जारी विज्ञप्ति में सामने आई है| जिसके अनुसार अर्जेंटीना ने सूखे से निपटने में सक्षम जीएम गेहूं की फसल को मंजूरी दे दी है| गौरतलब है कि दुनिया भर में अर्जेंटीना गेहूं का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक देश है|
अर्जेंटीना के राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी आयोग ने एक बयान जारी कर कहा है कि "दुनिया भर में यह पहला मौका है जब किसी देश ने जेनेटिक मॉडिफाइड गेहूं को उगाने और उसकी खपत को मंजूरी दी है|"
अर्जेंटीना ने जिस जीएम गेहूं की फसल को मंजूरी दी है उसे एचबी 4 नाम दिया है इसे अर्जेंटीना की बायोटेक्नोलॉजी कंपनी बायोसीरस और नेशनल यूनिवर्सिटी ने राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी आयोग की मदद से विकसित किया गया है| इस फसल (एचबी 4) पर एक दशक तक किए गए परीक्षण से पता चला है कि सूखे की स्थित में यह फसल, अन्य की तुलना में 20 फीसदी ज्यादा उपज देती है| हालांकि, विशेषज्ञों के अनुसार इसका भविष्य क्या होगा उसपर अभी संदेह है क्योंकि जिस तरह से जीएम फसलों को स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए खतरा माना जाता है उसके चलते उपभोक्ता इसे आसानी से नहीं अपनाएंगे| ऐसे में इनको उगाना और बेचना चिंता का एक बड़ा विषय है|
जीएम फसलें या आनुवांशिक रूप से संशोधित फसलें वो फसलें होती हैं, जिनके जीन (डीएनए) में बदलाव कर दिया जाता है| जिससे फसलों के उत्पादन और उसमें मौजूद आवश्यक तत्वों की मात्रा में वृद्धि की जा सके| साथ ही वो प्रकृति की विषम परिस्थितयों को भी झेलने में सक्षम हो सकें|
जीएम फसलों पर सबसे बड़ा सवाल उसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर को लेकर है| यह खाद्य पदार्थ कितने सुरक्षित हैं, इस पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है। ऐसा इसलिए है क्योंकि जीएम फसलों में विभिन्न जीवों और पौधों से जीन (डीएनए) लेकर उन्हें खाद्य फसलों में डाला जाता है| ऐसे में सबसे बड़ी चिंता का विषय है कि “विदेशी” डीएनए विषाक्तता, एलर्जी, पोषण और अनायास प्रभावों जैसे जोखिम पैदा कर सकते हैं, जोकि स्वास्थ्य के लिए घातक सिद्ध हो सकता है। जीएम फसलों के साथ एक समस्या यह भी है कि इसमें इच्छित परिवर्तनों के साथ अनचाहे परिवर्तनों के होने की सम्भावना भी बनी रहती है|
इसी खतरे को देखते हुए भारत समेत दुनिया के अधिकांश देशों ने जीएम फूड के लिए “सावधानीपूर्ण” दृष्टिकोण अपनाने का फैसला किया है। उन्होंने इसके अनुमोदन और लेबलिंग के लिए कड़े नियम निर्धारित किए हैं। यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, ब्राजील और दक्षिण कोरिया ने जीएम फूड को लेबल करना अनिवार्य कर दिया है ताकि उपभोक्ताओं के पास खाने का चुनाव करते समय विकल्प मौजूद हों|