मध्यप्रदेश के देवास में खेत में बर्फ की पतली परत जम गई है। फोटो: मनीष चंद्र मिश्र
मध्यप्रदेश के देवास में खेत में बर्फ की पतली परत जम गई है। फोटो: मनीष चंद्र मिश्र

कड़ाके की ठंड और पाले से रातोंरात खराब हो रही हैं फसलें

हवा में मिले हुए भाप के सूक्ष्म कण जो अधिक ठंड पड़ने पर सफेद तह के रूप में पेड़ पौधों पर जमने की वजह से गिरता है जिससे फसलों को पोषण पहुंचाने वाली सूक्ष्म नलियां फट जाती है
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मध्यप्रदेश के देवास जिले के सिरोल्या गांव के किसान भवानीराम की फसल रातोंरात खराब हो गई। उन्होंने चार बीघा में आलू लगाया हुआ था। इसी तरह देवकरण की पांच बीघा में लगी चने की फसल खराब हो गई। वे जब शनिवार सुबह खेत पर पहुंचे तो पूरी फसल झुलसी हुई थी। फसल खराब होने की वजह अत्यधिक ठंड और उसकी वजह से गिरा पाला है। भवानीराम की तरह मध्यप्रदेश और कई और राज्यों के किसान गिरते पारे की वजह से फसल खराब होने आशंका से आतंकित हैं। मध्यप्रदेश के कई इलाकों में खेत में बर्फ की हल्की परत जमने का भी मामला सामने आया है। देवास के किसान कैलाश यादव ने बताया कि खेत पर बर्फ की परत जम गई। बर्फ से आलू, चने की फसल को नुकसान का अंदेशा है।

अत्यधिक बारिश झेलने के बाद अब किसान की फसलों को ठंड का खतरा है। देशभर में बीते एक सप्ताह में मौसम में आए अचानक बदलाव ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। अचानक तापमान में आए गिरावट की वजह से रबी की फसलों पर पाला गिरना का अंदेशा गहरा गया है।

मध्यप्रदेश में 28 दिसंबर को गुना, उमरिया, मंडला का न्यूनतम तापमान 3 डिग्री और पचमढ़ी का तापमान दो डिग्री सेल्सियस तक गिर गया। मध्यप्रदेश के आधे से अधिक जिलों का न्यूनतम तापमान 6 डिग्री सेल्सियस से कम है।

कृषि मौसम विज्ञानी एके भौमिक ने डाउन टू अर्थ से बातचीत में बताया कि अचानक तापमान में गिरावट किसानों के लिए चिंता की बात है। उन्होंने कहा कि अभी पाला गिरने के अधिक मामले सामने नहीं आए हैं लेकिन इसका खतरा लगातार बना हुआ है। हवा में मिले हुए भाप के सूक्ष्म कण जो अधिक ठंड पड़ने पर सफेद तह के रूप में पेड़–पौधों पर जमने की वजह से गिरता है जिससे फसलों को पोषण पहुंचाने वाली सूक्ष्म नलियां फट जाती है। भौमिक बताते हैं कि जैसे अत्यधिक ठंड में पानी की पाइपलाइन फटती है उसी तरह पौधों पर भी इसका असर होता है। वे बताते हैं कि चने, अरहर और पत्तेदार सब्जियों पर पाले का खतरा सबसे अधिक है। इससे बचने का उपाय बताते हुए वे कहते हैं कि इस वक्त फसलों की सिंचाई से मिट्टी का तापमान थोड़ा बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा खेत से निकले खरपतवार को शाम के समय धीरे-धीरे जलाने से भी पाला से बचा जा सकता है। खेत के आसपास 5-6 जगह धुआं कर देने से तापमान में थोड़ी बढ़ातरी हो जाती है।

ठंड से हो रहे नुकसान का आंकलन करने के लिए सरकार की तरफ से अभी किसी सर्वे का आदेश नहीं हुआ है। किसान स्थानीय स्तर पर प्रशासन से मुआवजा की मांग कर रहे हैं। 

ठंड का फायदा भी, कम होगा कीटनाशक का प्रयोग

भौमिक बताते हैं कि ठंड में फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीट खत्म हो जाता हैं। उन्होंने किसानों को सलाह दी कि इस वक्त कीटनाशक का प्रयोग न करें, क्योंकि इसकी जरूरत नहीं है। इसके अलावा ठंड से गेहूं की फसलों को फायदा होने की उम्मीद है। हालांकि, फसलों को इस वक्त पानी की जरूरत है।

बढ़ा है रबी फसल का रकबा

इस वर्ष अत्यधिक बारिश की वजह से रबी फसलों को रकवे में बढ़ोतरी हुई है। केंद्रीय कृषि विभाग के मुताबित 20 दिसंबर तक 85 फीसदी रबी फसल की बुआई हो चुकी है। इस वर्ष 537.21 लाख हेक्टेयर में फसल लगा है जो कि पिछले वर्ष 504.69 लाख हेक्टेयर से अधिक है।

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