बजट 2020-21: ऐसे कैसे दोगुनी होगी किसान की आमदनी?

पिछले वर्ष सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के तहत 75 हजार करोड़ रुपए का बजट घोषित किया था, लेकिन खर्च किए 54 हजार करोड़ रुपए, अब फिर से 75 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है
Photo: Vikas Sharma
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सरकार ने बजट में किसानों के लिए 16 सूत्रीय कार्यक्रम की घोषणा की, जिसपर जानकारों की मिली जुली प्रतिक्रिया मिल रही है। भोपाल स्थित इलेक्ट्रॉनिक कृषि उपकरणों और सुविधा देने वाले उपक्रम ई-फसल के सह संस्थापक और सीईओ रविंद्र पस्तोर के मुताबिक ये 16 सूत्रों में मौजूद कार्ययोजना अभी भी किसानों के लिए चल सही किसी न किसी योजनाओं में अलग-अलग नामों से मौजूद हैं, लेकिन इनका कोई बड़ा प्रभाव अभी तक देखने को नहीं मिला है। इस वर्ष सरकार ने कृषि से संबधित विभागों को  134399.77  करोड़ रुपए का प्रावधान किया है जबकि पिछले वर्ष यह 130485.21 करोड़ था। सरकार पिछले बजट के प्रावधानों को भी पूरी तरह खर्च नहीं कर पाई है। वर्ष 2019-20 का संशोधित बजट महज 1,01,904 करोड़ रुपए रहा।

पिछले वर्ष प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना शुरू की गई, जिसमें किसानों को सीधे खाते में राशि प्रदान की जाती है। इस पर बजट का बड़ा हिस्सा खर्च किया गया। इस वर्ष सरकार ने दोबारा 75,000 करोड़ रुपए इस योजना को जारी किए हैं जो कि पिछले वर्ष के बराबर है। हालांकि, इसके खर्चे पर नजर डाले तो पिछले वर्ष सिर्फ 54370.15 करोड़ रुपए ही खर्च किए गए थे।

डाउन टू अर्थ ने पाया कि एक फरवरी 2019 तक इस योजना के तहत सिर्फ 25 फीसदी किसानों को योजना की पूरी राशि यानि कि 6,000 रुपए दिए गए हैं। 

विशेषज्ञ उम्मीद कर रहे थे कि कृषि क्षेत्र में इस बार कई बड़ी घोषणाओं के साथ देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने की तरफ कदम बढ़ाया जाएगा। कृषि क्षेत्र में बड़े पैमाने की मंदी की वजह से किसानों के आत्महत्या के मामले भी बढ़े हैं और राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के मुताबिक 10,000 किसानों ने आत्महत्या कर ली। खेती से जुड़े मामलों के विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा बताते हैं कि किसानों की मासिक आय कम से कम 18,000 रुपए प्रति महीने हो तभी इस समस्या से निपटा जा सकता है।

दलवाई कमेटी की रिपोर्ट कहती है कि किसानों की आमदनी अगर 2022 तक दोगुनी करनी है तो किसानों की असल आय 10.4 प्रतिशत तक बढ़ानी होगी। किसानों के कार्यकर्ता रामदीप सिंह मान बताते हैं कि सरकार ने कृषि की हालत सुधारने का एक और मौका खो दिया है। भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष राकेश टिकैत कहते हैं कि 16 सूत्रीय कार्यक्रम से महज 10 फीसदी किसानों तक ही लाभ पहुंचेगा। वे कहते हैं कि बजट में रासायनिक खाद पर सब्सिडी में कमी करने से उत्पादकता कम होगी और आमदनी बढ़ने के बजाए घटेगी। पीडब्लूसी डिया के अजय काकरा का मानना है कि यह 16 सूत्रीय कार्यक्रम कृषि और इससे संबंधित क्षेत्रों को बल देगा जिससे सरकार की महत्वाकांक्षी योजना का प्रभाव जमीन पर दिखेगा।

कुछ मामलों में बजट को बढ़ाया भी गया है जैसे कृषि बीमा योजना का बजट 13,640 करोड़ से बढ़ाकर 15,695 करोड़ किया गया है। हालांकि, सिंचित क्षेत्र बढ़ाने के लिए 250 करोड़ के पिछले बजट को कम करने 2020-21 के लिए 202 करोड़ कर दिया गया है। कृषि क्षेत्र में शोध का बजट 8362 के मुकाबले इस वर्ष 8078.76 करोड़ ही रखा गया है।

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