विनाशकारी फंगस की चपेट में आई ब्लूबेरी, अन्य फसलों को भी नुकसान के आसार

पाउडरी फफूंद रोग के कारण पौधों पर एक सफेद, पाउडर जैसा पदार्थ चढ़ जाता है, जो पोषक तत्वों को चूस लेता है और प्रकाश संश्लेषण को धीमा कर देता है, जबकि पौधा जीवित रहता है
कवक की विभिन्न प्रजातियां विभिन्न पौधों को प्रभावित करती हैं, गेहूं, हॉप्स, अंगूर और स्ट्रॉबेरी, अन्य पौधों के अलावा, पाउडरी फफूंद से बुरे तरीके से प्रभावित हुए हैं।
कवक की विभिन्न प्रजातियां विभिन्न पौधों को प्रभावित करती हैं, गेहूं, हॉप्स, अंगूर और स्ट्रॉबेरी, अन्य पौधों के अलावा, पाउडरी फफूंद से बुरे तरीके से प्रभावित हुए हैं।फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, मार्टिन ओल्सन
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ब्लूबेरी, नीलबदरी या फीरा के पौधे पाउडरी फफूंद रोग की चपेट में है। यह फफूंद धीरे-धीरे पूरी दुनिया में फैलता जा रहा है। यह एक ऐसी बीमारी है जो फसल की पैदावार को कम करती है और कवकनाशकों पर निर्भरता को बढ़ाती है

नॉर्थ कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के द्वारा किए गए इस शोध के निष्कर्ष ब्लूबेरी के उत्पादकों को पाउडरी फफूंद के फैलने का बेहतर तरीके से पूर्वानुमान लगाने व निगरानी और प्रबंधन में मदद कर सकते हैं।

शोध के मुताबिक, पिछले 12 सालों में, फंगस एरिसिफे वैक्सीनी पूर्वी अमेरिका में अपने मूल क्षेत्र से कई महाद्वीपों तक फैल गया है। शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि इसका दुनिया भर में तेजी से प्रसार देखा जा रहा है।

जैसा कि इसके नाम से पता चलता है, पाउडरी फफूंद रोग के कारण पौधों पर एक सफेद, पाउडर जैसा पदार्थ चढ़ जाता है, जो पोषक तत्वों को चूस लेता है और प्रकाश संश्लेषण को धीमा कर देता है, जबकि पौधा जीवित रहता है। इस कवक की विभिन्न प्रजातियां विभिन्न पौधों को प्रभावित करती हैं, गेहूं, हॉप्स, अंगूर और स्ट्रॉबेरी, अन्य पौधों के अलावा, पाउडरी फफूंद से बुरे तरीके से प्रभावित हुए हैं

शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि जंगली जामुन या नीलगिरी जैसे पौधों को प्रभावित करने वाले अन्य निकट संबंधी पाउडरी फफूंद हैं, लेकिन ये आनुवंशिक रूप से दुनिया भर में ब्लूबेरी पर फैलने वाले पाउडरी फफूंदों से अलग हैं।

पाउडरी फफूंद पौधे को ढक लेती है, पोषक तत्वों को चूस लेती है और प्रकाश संश्लेषण को सीमित कर देती है।
पाउडरी फफूंद पौधे को ढक लेती है, पोषक तत्वों को चूस लेती है और प्रकाश संश्लेषण को सीमित कर देती है। फोटो साभार: न्यू फाइटोलॉजिस्ट पत्रिका

शोध में पाउडरी फफूंद से ग्रस्त ऐतिहासिक और आधुनिक पौधों की पत्तियों की जांच की गई। इसमें उत्तरी अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका और एशिया से 173 नमूने शामिल थे, उत्तरी अमेरिकी हर्बेरियम से विश्लेषण किया गया एक नमूना 150 साल से भी पहले एकत्र किया गया था, जबकि विदेशी नमूने पिछले पांच सालों के भीतर एकत्र किए गए थे।

इस अध्ययन में, पाउडरी फफूंद को पहली बार 2012 में पुर्तगाल के एक खेत में उत्तरी अमेरिका के बाहर देखा गया था, जैसा कि शोध में उल्लेख किया गया है।

शोधकर्ताओं ने पाउडरी फफूंद रोग के इतिहास और प्रसार का पता लगाने के लिए फफूंद के नमूनों पर आनुवंशिक परीक्षण किया। दिलचस्प बात यह है कि पुराने नमूनों में से किसी में भी वही आनुवंशिक संरचना या जीनोटाइप नहीं है, जो वर्तमान में दुनिया भर में फैल रहे नमूनों में है।

अध्ययन से पता चला कि यह बीमारी पूर्वी अमेरिका में उत्पन्न हुई और दो अलग-अलग पहचानों में दुनिया भर में फैल गई। ई. वैक्सीनी का एक स्ट्रेन चीन, मैक्सिको और कैलिफ़ोर्निया में पहुंच गया, जबकि दूसरा स्ट्रेन मोरक्को, पेरू और पुर्तगाल में फैल गया। शोध में शोधकर्ताओं का का मानना है कि नर्सरी के पौधों के विदेशी तटों पर पहुंचने के कारण लोग इसके प्रसार के लिए जिम्मेवार हैं।

शोध पत्र में शोधकर्ता ने चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि इस जीव को नियंत्रित करना मुश्किल है। यदि दुनिया भर में पौधे भेजे रहे हैं, तो हो सकता है इसके साथ यह कवक भी फैल रहा है।

अध्ययन से यह भी पता चला है कि अन्य देशों में ब्लूबेरी में पाया जाने वाला ई. वैक्सीनी फंगस केवल अलैंगिक रूप से प्रजनन करता है। प्रजनन में फंगस के दोनों यौन संस्करणों की आवश्यकता नहीं होती है, जबकि अमेरिका में फंगस यौन और अलैंगिक रूप से प्रजनन करता है।

अध्ययन में एक बड़ी कंपनी और किसानों के साथ मिलकर ब्लूबेरी में पाउडरी फफूंद की वैश्विक लागत का अनुमान लगाया, जिसमें पाउडरी फफूंद को रोकने या कम करने के लिए फफूंदनाशक के छिड़काव की लागत के बारे में बताया गया है। अध्ययन में दुनिया भर में ब्लूबेरी उद्योग के लिए सालाना 47 मिलियन डॉलर से 530 मिलियन डॉलर के बीच के खर्चे का अनुमान लगाया गया है।

अध्ययन में अमेरिका के प्रशांत उत्तर-पश्चिम जैसे अहम ब्लूबेरी उत्पादक क्षेत्रों के लिए शुरुआती चेतावनी है। वहां की परिस्थितियां पाउडरी फफूंदी के पनपने और फैलने के लिए अनुकूल हैं, लेकिन बीमारी अभी तक वहां नहीं पहुंची है।

शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि बीमारी का प्रसार कृषि स्थितियों से भी प्रभावित हो सकता है। कुछ क्षेत्र जो सुरंगों या बंद क्षेत्रों में ब्लूबेरी उगाते हैं, उनमें रोग के परिणाम उन क्षेत्रों की तुलना में अधिक खराब होते हैं, जहां बिना किसी आवरण के बाहर ब्लूबेरी उगाई जाती है, जैसे कि उत्तरी कैरोलिना में।

न्यू फाइटोलॉजिस्ट नामक पत्रिका में प्रकाशित शोध के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने एक उपयोगी उपकरण का उपयोग किया है जो किसानों और अन्य शोधकर्ताओं की सहायता के लिए ई. वैक्सीनी स्ट्रेन की पहचान करने में मदद कर सकता है।

शोध में कहा गया है कि ब्लूबेरी में पाउडरी फफूंदी पैदा करने वाले कवक की पहचान करना मुश्किल है, इसलिए आंकड़ों को शोधकर्ताओं के द्वारा इग्नाज़ियो कार्बोन द्वारा एनसी स्टेट में विकसित एक सार्वजनिक डेटाबेस में डाला गया है। यह प्लेटफ़ॉर्म उत्पादकों को अपने आंकड़े दर्ज करने और यह जानने में मदद करता है कि उनके खेतों में कौन सा स्ट्रेन है।

यह जरूरी है क्योंकि आनुवंशिकी को समझने से किसानों को इस बात की जानकारी मिल सकती है कि उनके पास कौन सा स्ट्रेन या उपभेद है, क्या यह कवकनाशी के प्रति प्रतिरोधी है और रोग कैसे फैल रहा है।

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