"पिछले साल यूरिया और डीएपी की कमी की वजह से गेहूं की फसल बहुत ही कम हुई है। जहां पिछले साल एक कट्ठा में 40 किलो गेहूं होता था, वहीं इस बार सिर्फ 10 किलो गेहूं की खेती हुई। मूंग की फसल पर बहुत भरोसा था। जहां 3 बीघा में कम से कम 60 मन मूंग की खेती होती थी। वहीं अब बारिश के कारण 10 मन मूंग से ज्यादा नहीं निकल पाएगा।" बद्रीनाथ महतो बताते है।