बिहार के 84 प्रतिशत किसानों को नहीं मिली पीएम किसान की तीसरी किस्त

बिहार के 10 लाख से ज्यादा किसानों को अब तक दूसरी किस्त और करीब 34 लाख 55 हजार किसानों को अभी तक तीसरी किस्त नहीं मिली है
बिहार के किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि नहीं मिल रही है। फोटो: विकास चौधरी
बिहार के किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि नहीं मिल रही है। फोटो: विकास चौधरी
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छोटे व सीमांत किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने पिछले साल एक दिसंबर को पीएम किसान सम्मान निधि योजना शुरू की थी। इस स्कीम के तहत सीमांत व छोटे किसानों को सालाना तीन किस्तों में 6 हजार रुपए दिया जाना है। दो महीने में ही इस स्कीम का एक साल पूरा हो जाएगा, लेकिन बिहार के 10 लाख से ज्यादा किसानों को अब तक दूसरी किस्त की रकम नहीं मिली है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 30 अक्टूबर तक बिहार में इस स्कीम के लाभुक सीमांत व छोटे किसानों की संख्या 41,08,428 दर्ज की गई है। इनमें से 10,39,722 लाभुक किसानों को दूसरी किस्त मिलनी बाकी है।

सरकारी आंकड़े बताते हैं कि कुल पंजीकृत 4108428 किसानों में से करीब 84 प्रतिशत यानी करीब 34 लाख 55 हजार किसानों को अभी तक तीसरी किस्त नहीं मिली है।

साढ़े 19 हजार किसान पहली किस्त से वंचित

दूसरी और तीसरी किस्त नहीं पानेवाले किसानों की संख्या तो लाखों में है, लेकिन कई किसान ऐसे जिन्हें दूसरी व तीसरी किस्त तो दूर पहली किस्त भी नहीं मिली है। आंकड़े बताते हैं कि ऐसे किसानों की संख्या 19502 है। आंकड़ों पर गौर करें, तो पाएंगे कि हर जिले में कुछ किसान ऐसे हैं, जिन्हें पहली किस्त नहीं मिली है। अररिया जिले के करीब 50 किसानों को पहली किस्त की रकम नहीं मिली है। गया में 200 से ज्यादा किसान अब भी पहली किस्त से वंचित हैं। मधेपुरा में करीब 2500 किसानों को पहली किस्त का पैसा मिलना बाकी है। इसी तरह कटिहार में करीब एक हजार जबकि जमूई में लगभग 1250 किसानों को पहली किस्त अब तक नहीं मिल पाई है।

हजारों आवेदन रद्द

पीएम किसान स्कीम का लाभ वे किसान ही ले पाएंगे, जिनके पास दो हेक्टेयर (इतनी या इससे कम जमीन वाले किसान ही सीमांत व छोटे किसान कहे जाते हैं) या उससे कम जमीन हो। बिहार में ऐसे किसानों की संख्या साढ़े 96 लाख के आसपास है, लेकिन पीएम किसान सम्मान निधि के लिए 41,08,428 (30 अक्टूबर तक) किसानों का ही पंजीयन हुआ है, जिसका मतलब है कि करीब 55 लाख किसान अब भी इस स्कीम से दूर हैं।

राज्य के कृषि विभाग के एक अधिकारी ने बताया, “30 अक्टूबर तक कुल 67,56,136 किसानों ने इस स्कीम के लिए आवेदन किया है। इनमें से बहुत सारे आवेदनों का सत्यापन बाकी है। सत्यापन होने और सारे दस्तावेज व अन्य जानकारियां सही पाए जाने पर इन्हें लाभुकों की सूची में शामिल कर लिया जाएगा।”

राज्य के कृषि मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने कहा कि इस स्कीम लाभ लेने के लिए ज्यादा से ज्यादा किसानों को जागरूक किया जाएगा।

वैसे लाभुक किसानों की संख्या कम होने के पीछे एक वजह भारी संख्या में आवेदनों का खारिज होना भी है। इस स्कीम के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया ऑनलाइन है, इसलिए कई बार आवेदन भरने में किसानों से गलतियां हो जा रही हैं, जिस कारण बहुत सारे आवेदन खारिज हो जा रहे हैं।

मिसाल के लिए नालंदा जिले को लिया जा सकता है। इस जिले के बिहारशरीफ प्रखंड के 1123 किसानों का आवेदन त्रूटियों के चलते रद्द कर दिया गया। इनमें सबसे ज्यादा गलतियां बैंक अकाउंट व आईएफएससी कोड से संबंधित हैं। इसी तरह पटना जिले के पुनपुन ब्लॉक के 180 किसानों का आवेदन रद्द कर दिया गया है। पुनपुन के धरहरा गांव के छोटे किसान सत्येंद्र सिंह ने दो-तीन महीने पहले ही ऑनलाइन आवेदन किया था, जिसे बैंक ने ये कह कर रद्द कर दिया है कि जो अकाउंट नंबर दिया गया है, वो अकाउंट बैंक में है ही नहीं। लेकिन, उन्हें यह सूचना अब तक नहीं दी गई है।

डाउन टू अर्थ के साथ बातचीत में सत्येंद्र सिंह ने कहा, “10 दिन पहले जब मैंने पता किया था, तो बताया गया था कि आवेदन की जांच हो रही है। आवेदन रद्द हो गया है, मालूम नहीं। अगर ऐसा है, तो दोबारा आवेदन करूंगा।”

हालांकि, वह सलाना 6 हजार रुपए ही दिए जाने नाखुश हैं। उन्होंने कहा, “6000 रुपए मे अभी क्या होता है? इतने पैसे में एक महीने का खर्च भी नहीं चलेगा। सरकार 10-12 हजार रुपए देती, तो कुछ राहत मिलती।”  

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