नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) से कचरे ठीक से प्रबंधन न करने के संबंध में की गई कार्रवाई पर रिपोर्ट सबमिट करने को कहा है। मामला भटिंडा नगर निगम द्वारा म्युनिसिपल सॉलिड वेस्ट का उचित प्रबंधन न करने से जुड़ा है।
पीपीसीबी के सदस्य सचिव को यह बताना होगा कि इस मामले में कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई और साथ ही उनसे यह भी पूछा गया है कि इसके लिए कौन जिम्मेवार है। इस मामले में अगली सुनवाई एक अगस्त 2024 को होनी है। वहीं नगर निगम की ओर से पेश वकील ने सभी प्रासंगिक तथ्यों के साथ हलफनामा दाखिल करने के लिए कोर्ट से और समय मांगा है।
एनजीटी ने कहा है कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के नियम 15 के तहत भटिंडा नगर निगम ठोस कचरे की हैंडलिंग, प्रबंधन और प्रसंस्करण के लिए मुख्य रूप से जिम्मेवार है। लेकिन वे ऐसा करने में पूरी तरह विफल रहा है, जिससे न केवल इस नियम, बल्कि साथ ही पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 का भी उल्लंघन हुआ है।
इस बात के भी सबूत हैं कि भटिंडा नगर निगम ने बड़े पैमाने पर पर्यावरण संबंधी नियमों का उल्लंघन किया है, लेकिन पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) ने जुर्माना लगाने या आपराधिक मुकदमा चलाने जैसी उचित कार्रवाई नहीं की है।
नगर आयुक्त ने दावा किया है कि हर दिन एकत्र किए जाने वाले ठोस कचरे का नियमित रूप से प्रोसेस किया जा रहा है। हालांकि, अदालत को इस बात का कोई सबूत नहीं मिला कि प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले सभी कचरे का निर्धारित साइटों पर उचित तरीके से प्रोसेस किया जा रहा है।
गौरतलब है कि यह मूल आवेदन बिक्रमजीत सिंह शेरगिल द्वारा सात जुलाई, 2021 की एक पत्र याचिका पर आधारित है। इस याचिका में कहा गया है कि भटिंडा नगर निगम ठोस कचरा डंप कर रहा था। इस कचरे की वजह से छह जून, 2021 को डंपसाइट पर बड़ी मात्रा में ज्वलनशील पदार्थ होने के कारण आग लग गई थी।
नगर निगम ने ठोस कचरे के प्रबंधन और निपटान के लिए मेसर्स जेआईटीएफ, शहरी अपशिष्ट प्रबंधन, भटिंडा को काम पर रखा था। हालांकि, वे अनुबंध के अनुसार कचरे का उचित तरीके से निपटान नहीं कर रहे थे।
इस मामले में समय के साथ कई आदेश जारी किए गए। हालांकि अलग-अलग निकाय इसमें अपनी जिम्मेवारी एक दूसरे पर टालने की कोशिश करते रहे। नगर निगम ने सारी जिम्मेवारी जेआईटीएफ शहरी अपशिष्ट प्रबंधन भटिंडा लिमिटेड पर डालने की कोशिश की है।
पट्टन कश्मीर में कचरा डंप करने के मामले में एनजीटी ने दिए संयुक्त समिति गठित करने के निर्देश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पट्टन कश्मीर में इकबाल कॉलोनी के आसपास कचरा डंप करने के मुद्दे की जांच के लिए एक संयुक्त समिति गठित करने का निर्देश दिया है। पांच जुलाई, 2024 को दिए इस निर्देश में समिति से साइट का दौरा करने के साथ प्रासंगिक जानकारी एकत्र करने को कहा है।
कोर्ट के निर्देशानुसार यदि पर्यावरण नियमों का उल्लंघन पाया जाता है, तो इस मामले से जुड़े सभी लोगों को सुनवाई का मौका देने के बाद दो महीने के भीतर कार्रवाई करनी होगी। एनजीटी ने समिति से इस मामले में क्या कार्रवाई की उसपर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए भी कहा है।
गौरतलब है कि यह मामला इकबाल कॉलोनी के मंजूर अहमद मीर द्वारा दो अक्टूबर 2023 को भेजे पत्र पर दर्ज किया गया है। उनकी शिकायत थी कि पट्टन नगर समिति इकबाल कॉलोनी के पास अवैध रूप से कचरा डंप कर रही है, जिससे इस क्षेत्र में वनस्पतियों, जीवों और पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। साथ ही इसकी वजह से स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी खतरा पैदा हो रहा है।
एनजीटी ने कहा है कि इस शिकायत पर पहले संबंधित अधिकारियों द्वारा जांच की जानी चाहिए। यदि वहां किसी भी पर्यावरण कानून का उल्लंघन पाया जाता है, तो अधिकारियों को उचित कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए।
लिंगबुधि वन और झील को हुए नुकसान की जांच के लिए एनजीटी ने गठित की समिति
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पांच जुलाई 2024 को संयुक्त समिति से मैसूर में लिंगबुधि वन और लिंगबुधि झील को हुए नुकसान की जांच करने का निर्देश दिया है। इस समिति में कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (केएसपीसीबी) और मैसूर के जिला मजिस्ट्रेट या उपायुक्त शामिल होंगें। मामला कर्नाटक के मैसूर जिले का है।
कोर्ट ने समिति से साइट का दौरा करने, जानकारी एकत्र करने और पर्यावरण कानूनों का उल्लंघन होने पर जरूरी कानूनी कार्रवाई करने को कहा है। समिति को इस मामले से जुड़े लोगों को सुनवाई का मौका देने के बाद दो महीनों के भीतर एक रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करनी होगी।
गौरतलब है कि दत्तगल्ली, ग्रीन फाउंडेशन के सदस्यों द्वारा दो अक्टूबर, 2023 को भेजी एक पत्र याचिका के आधार पर एनजीटी ने इस मामले को उठाया था। बता दें कि यह फाउंडेशन मैसूर में दत्तागली के निवासियों द्वारा गठित की गई है। शिकायत है कि विभिन्न मोहल्लों से पानी एक तूफानी नाले में बह रहा है जो लिंगबुधि वन और झील की ओर बहता है। पानी का यह प्रवाह इन प्राकृतिक क्षेत्रों को नुकसान पहुंचा रहा है।
एनजीटी ने कहा है कि इस शिकायत पर पहले स्थानीय अधिकारियों और नियामकों द्वारा जांच की जानी चाहिए। अगर पर्यावरण कानूनों का कोई उल्लंघन होता है तो अधिकारियों इस मामले में को उचित कार्रवाई करनी चाहिए।