असम में क्यों हुई ओलावृष्टि, विशेषज्ञों ने बताई वजह

अप्रत्याशित ओलावृष्टि और तूफान की वजह से असम में 4,000 से अधिक घरों को नुकसान हुआ है
The current hailstorm has occurred due to the interaction of two weather systems. Photo: iStock
The current hailstorm has occurred due to the interaction of two weather systems. Photo: iStock
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असम के डिब्रूगढ़ जिले के मोरान शहर में 27 दिसंबर, 2022 को अप्रत्याशित ओलावृष्टि ने शहर को ओलों से ढक दिया। ये ओले बर्फ जैसे दिखाई दे रहे थे। अचानक आए इस तूफान से कस्बे में 4,000 से अधिक घर क्षतिग्रस्त हो गए और रबी की फसल प्रभावित हुई।

सोशल मीडिया पर घूम रहे वीडियो और तस्वीरों में सड़कों और मकानों पर जमा बर्फ को बर्फबारी का असर बताया जा रहा है, लेकिन सच्चाई इससे हटकर है। तूफान के साथ हुई ओलावृष्टि के कारण यह दृश्य देखने को मिले। विशेषज्ञ इसे इस समय थोड़ा अप्रत्याशित बता रहे हैं।

गुवाहाटी स्थित गैर-लाभकारी संस्था आरण्यक के वाटर, क्लाइमेट एंड हेजार्ड डिवीजन के प्रमुख पार्थ ज्योति दास ने डाउन टू अर्थ को बताया कि अचानक बड़ी तेजी से हुई ओलावृष्टि की वजह से ये ओले ठोस नहीं बन पाए। इसलिए यह बर्फ की तरह नरम और परतदार है। लेकिन यह बर्फबारी बिल्कुल नहीं है।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग, पुणे के वैज्ञानिक रंजन फुकन ने कहा, "अगर हम पिछले 30 वर्षों की जलवायु को देखें, तो दिसंबर में होने वाली ऐसी घटना दुर्लभ है।"

फूकन के अनुसार, फरवरी और उसके बाद इस तरह की घटनाएं आम हो जाती हैं, जिससे प्री-मानसून बारिश भी होती है।

इस तरह की ओलावृष्टि की घटनाएं दिसंबर 2021 में शिलांग, गुवाहाटी और असम के कुछ अन्य स्थानों में भी देखी गई थीं। उस समय कई लोगों ने इसे बर्फबारी समझा था।

वर्तमान ओलावृष्टि दो मौसम प्रणालियों की परस्पर क्रिया के कारण हुई है।

गुवाहाटी में आईएमडी के क्षेत्रीय केंद्र के वैज्ञानिक सुनीत दास ने डाउन टू अर्थ को बताया कि एक तो बंगाल की खाड़ी से निम्न स्तर की नमी का प्रवेश हो रहा था, दूसरा उत्तर-पश्चिम भारत से आए पश्चिमी विक्षोभ की वजह से कम दबाव का क्षेत्र बना।

पश्चिमी विक्षोभ वो अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय तूफान हैं, जो सर्दियों और वसंत के महीनों के दौरान भूमध्य सागर से पाकिस्तान और भारत की ओर जाते हैं। ऐसा होना दिसंबर में बहुत आम घटना नहीं हैं। इसने उत्तर पश्चिम भारत को 24 दिसंबर को ही प्रभावित किया था। इसका एक अवशेष ओलावृष्टि की घटना का कारण बन सकता था।

सुनीत के अनुसार ठंड का स्तर (वातावरण में वह स्तर जहां तापमान शून्य तक गिर जाता है) तीन किलोमीटर के निचले स्तर पर था, जिसने ओलों के निर्माण में सहायता की।

उन्होंने कहा, " जलवायु परिवर्तन की वजह से इस तरह की घटनाओं में भविष्य में वृद्धि होगी या नहीं, यह पता लगाना मुश्किल है। इसके लिए कई कारकों का अध्ययन करने की आवश्यकता है।"

इस तरह के अध्ययन की सख्त आवश्यकता है, क्योंकि क्षेत्र के किसानों को ऐसी घटनाओं से निपटने की तैयारी करनी होगी। इस ओलावृष्टि में कई किसानों की रबी की फसल बर्बाद हुई है।

सुनीत ने कहा कि क्षेत्र के किसान आमतौर पर साल के इस समय सब्जियां उगाते हैं और इस तरह की घटनाओं से सब्जियों को नुकसान हो सकता है।

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