मॉनसून के आखिरी पड़ाव में उत्तराखंड में भारी तबाही की खबरें मिल रही हैं। देहरादून शहर के पास रायपुर क्षेत्र में बादल फटने से एक पुल बह गया है। दो बाइक सवार युवक भी बह गये। राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) ने एक को बचा लिया, जबकि दूसरे का पता नहीं है। धनोल्टी में मकान ढहने से 7 लोग दबने की सूचना है, जिसमें से दो शव निकाले जा चुके हैं। अब तक राज्य में 4 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। जबकि 13 लोग लापता हैं और 12 लोग घायल हुए हैं।
उत्तराखंड आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र ने बादल फटने की पुष्टि की है। उधर, राज्य के पौड़ी जिले के यमकेश्वर क्षेत्र में एक मकान ढह जाने से एक महिला की मलबे में दबकर मौत हुई हैं।
टिहरी जिले के कीर्तिनगर और बडियारगड में भी भारी नुकसान हुआ है। लोगों के खेत बह गये हैं। राज्य के चारों धामों को जाने वाली सभी सड़कें बंद हो गई हैं। ऑलवेदर रोड नाम वाली ये सड़कें फिलहाल एक सौ से ज्यादा जगहों पर बंद हो गई हैं।
दो दिन पहले तक उत्तराखंड में इस मॉनसून सीजन में सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई थी। नैनीताल और चम्पावत जिलों में सामान्य से 56 प्रतिशत कम बारिश हुई थी। लेकिन, मॉनसून का यह पड़ाव कई बुरी खबरें लेकर आया है।
19 अगस्त को राज्य के कई हिस्सों में शुरू हुई जोरदार बारिश के कारण भारी नुकसान हुआ है। देहरादून और आसपास के इलाकों में फिलहाल सबसे ज्यादा तबाही की खबरें आ रही हैं। रायपुर क्षेत्र में बादल फटने से सौंग नदी पर बना पुल बह गया है। पुल से होकर गुजर रहा एक बाइक सवार युवक बह गया।
एसडीआरएफ के अनुसार कुछ दूर बहने के बाद युवक एक जगह फंस गया था, उसे राफ्ट की मदद से निकाल लिया गया है। मालदेवता क्षेत्र में भी एक स्कूटी सवार युवक के बहने की सूचना है।
राज्य आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केन्द्र के अनुसार रायपुर क्षेत्र में देर रात बादल फटने से इस क्षेत्र के सभी नदियों में उफान आया है। देहरादून और ऋषिकेश के बीच विदलान नदी में पानी बढ़ने से रात को ही ऋषिकेश-थानों- देहरादून मार्ग बंद कर दिया गया था।
सौन्ग नदी का पुल बह जाने के कारण थानों होकर जौलीग्रांट एयरपोर्ट जाने का रास्ता बंद हो गया है। जाखन नदी पर रानीपोखरी के पास पिछले वर्ष बहे पुल के पास वैकल्पिक मार्ग बह जाने से एक बार फिर देहरादून से डोईवाला होकर ऋषिकेश जाने का रास्ता भी बंद हो गया है।
जौलीग्रांट एयरपोर्ट के पास जाखन नदी के इस पुल को लेकर पिछले वर्ष काफी चर्चा हुई थी। आरोप लगाया गया था, पुल के पीलरों के आसपास अवैध रूप से खनन किये जाने से पुल टूटा है। हालांकि इसकी जांच नहीं हुई। दावा किया गया था इस वर्ष मॉनसून आने से पहले ही यहां पुल बना दिया जाएगा। लेकिन, पुल का निर्माण अब भी नहीं हो सका है। फिलहाल जो वैकल्पिक मार्ग बनाया गया था, रात को वह भी बह गया है।
देहरादून में रायपुर ब्लॉक के सरखेत में रात के करीब 40 परिवार फंस गये थे। एसडीआरएफ ने देर रात सभी लोगों को रेस्क्यू करके सुरक्षित जगहों पर पहुंचा दिया है। इस क्षेत्र में कोई सरकारी व्यवस्था न होने से लोगों को आसपास के रिसॉर्ट में ठहराया गया है।
रायपुर क्षेत्र के ही मालदेवता में सात घर बह गये हैं। इसके साथ ही यहां एक स्कूटी सवार के बहने की सूचना है। देहरादून शहर के बीचोबीच बहने वाली रिस्पना और बिंदाल नदियां, जो अब गंदे नाले के रूप में बहती हैं, रात से ही उफान पर हैं। इन नदियों के आसपास की बस्तियों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है।
राज्य के अन्य हिस्सों से भी भारी बारिश के कारण नुकसान होने की खबरें मिल रही हैं। टिहरी जिले के बडियारगड क्षेत्र में भारी नुकसान की खबर है। इस क्षेत्र में सभी नदी नाले उफान पर हैं। सैकड़ों गांवों के संपर्क मार्ग बंद हो गये हैं। कई गांवों में खेत बह गये हैं।
कुछ लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित जगहों पर चले गये हैं। कीर्तिनगर के डागर, धारी, ढूंढसीर क्षेत्र में बड़ी तबाही हुई है। पौड़ी जिले के नीलकंठ और यमकेश्वर क्षेत्र में भी भारी बारिश हुई है। यहां यमकेश्वर क्षेत्र के विनकगांव में एक मकान ढह जाने से एक महिला की दबकर मौत हो गई है।
इसके अलावा घट्टूगाड, बैरागढ़, तालाघाटी, नीलकंठ महादेव, आदि जगहों पर भी नुकसान होने की सूचना है। देहरादून के मसूरी और सहस्रधारा में, ऊधमसिंह नगर जिले कें खटीमा और काशीपुर में सबसे ज्यादा बारिश इस दौरान दर्ज की गई है।
मौसम विभाग के अनुसार 19 अगस्त को दोपहर बाद से पौड़ी जिले के नीलकंठ में सबसे ज्यादा 342.0 मिमी बारिश दर्ज की गई। इसके अलावा ऊधमसिंह नगर जिले के खटीमा में 335 मिमी, टिहरी के नरेन्द्र नगर में 331.0 मिमी, देहरादून के सहस्रधारा में 225.0 मिमी, पौड़ी के यमकेश्वर में 290.0 मिमी, मसूरी में 192.0 मिमी, काशीपुर में 159.0 मिमी, नैनीताल में 136.0 मिमी, कालाढूंगी में 135.0 मिमी, बूढ़केदार में 140.0 मिमी, हल्द्वानी में 104 मिमी, बेतालघाट में 114.0 मिमी, रामनगर में 100.0 मिमी, भीमताल में 108.0 मिमी, रायवाला में 102 मिली बारिश दर्ज की गई।
आंकड़ों के अनुसार बागेश्वर जिले में अब तक सामान्य से 172 प्रतिशत और चमोली में 68 प्रतिशत ज्यादा बारिश दर्ज की गई। बाकी सभी जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई।
देहरादून स्थित मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि बागेश्वर में बारिश तो सामान्य या उसके आसपास ही हो रही है, लेकिन यहां हाल के वर्षों में दो नये वेदर स्टेशन सामा और लोहाखेत जोड़े गये हैं। इन दोनों जगहों पर ज्यादा बारिश होती है। बारिश का सामान्य स्तर उस समय का है, जब ये दोनों स्टेशन नहीं थे, जबकि वास्तविक स्तर अब का है, जिसमें इन दोनों ज्यादा बारिश वाले स्टेशन में दर्ज की जाने वाली बारिश को भी शामिल किया गया है। एक-दो वर्ष बाद यह औसत सामान्य हो जाएगा।
राज्य के विभिन्न जिलों में एक दिन पहले तक हुई बारिश के आंकड़ों पर नजर डालें तो नैनीताल जिले में सिर्फ 435.8 मिमी बारिश हुई थी, जबकि यहां इस दौरान सामान्य रूप से 1123.5 मिमी बारिश होती है। नैनीताल जिला रुद्रप्रयाग के बाद राज्य का सबसे ज्यादा बारिश वाला जिला है। रुद्रप्रयाग जिले में पहली जून से 19 अगस्त तक आमतौर पर 1140.0 मिमी बारिश होती है। यहां भी अब तक सामान्य से 19 प्रतिशत कम 928.9 मिमी बारिश हुई है।
नैनीताल के अलावा चंपावत जिला भी बारिश के मामले पर अब तक काफी कमजोर साबित हुआ है। यहां 19 अगस्त तक 933.5 मिमी बारिश होेती है, लेकिन केवल 410.0 मिमी बारिश ही हुई। पर्वतीय जिलों में पौड़ी जिला अब तक सबसे कम बारिश वाला रहा है। यहां 19 अगस्त तक 885.6 मिमी बारिश होनी चाहिए, लेकिन केवल 435.8 मिमी बारिश ही हुई यानी सामान्य से 51 प्रतिशत कम बारिश पौड़ी जिले में दर्ज की गई।