निपा या हीट वेव: मध्य प्रदेश में क्यों मर रहे हैं हजारों चमगादड़

गुना के नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड में हज़ारों चमगादड़ मृत पाए जाने के बाद मध्य प्रदेश में निपा वायरस की आशंका, मंगलवार तक रिपोर्ट आएगी
Photo: Manish Chander Mishra
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भीषण गर्मी के बीच चमगादड़ के मरने की खबरे पूरे मध्य प्रदेश भर से आ रहीं हैं। गुना के विजयपुर स्थित उर्वरक संयंत्र नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (एनएफएल) में पिछले हफ्ते ढाई हजार से ज्यादा चमगादड़ों की मौत हुई, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। हालांकि विभाग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं। भोपाल की टीम ने गुना पहुंचकर मृत चमगादड़ों के सैंपल लिए। टीम ने तीन जीवित चमगादड़ों को भी जांच के लिए पकड़ा है। साथ ही, एनएफएल परिसर में रहने वाले 700 परिवार और आसपास के 10 गांवों के रहवासियों के स्वास्थ्य की जांच शुरू कर दी है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी चमगादड़ों की बड़े पैमाने पर हो रही मृत्यु के पीछे हीट स्ट्रोक की आशंका से भी इनकार नहीं कर रहे हैं। 

स्वास्थ्य विभाग मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं के संचालक डॉक्टर बीएन चौहान का कहना है कि विभाग ने निपा की आशंका को देखते हुए जांच के लिए टीम भेजी है। हालांकि चौहान मानते हैं कि अधिक गर्मी की वजह से चमगादड़ हीट स्ट्रोक का शिकार हो सकते है। हीट स्ट्रोक की आशंका के बावजूद विभाग जांच में कोई कोताही नहीं बरत रहा।

पशु चिकित्सकों की टीम ने मृत चमगादड़ों का पोस्टमार्टम कर सैंपल राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान भोपाल भेजा है। चमगादड़ों की मौत जहर या किसी अन्य दवा के कारण तो नहीं हुई है, इसका पता लगाने के लिए भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) बरेली भी सैंपल भेजे गए हैं। इसके अलावा स्टेट डिसीज इन्वेस्टीगेशन लैब में भी सैंपलों की जांच की जा रही है। डॉक्टर चौहान कहते हैं कि पिछले दिन प्रदेश के कई शहरों में तापमान काफी रहा है। इससे ऐसी स्थिति बन सकती है, लेकिन मौत की असल वजह तीनों संस्थानों से रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगी। मंगलवार तक रिपोर्ट मिलने को संभावना है।

प्रदेश के शाजापुर, बालाघाट, ग्वालियर, अगर-मालवा सहित कई स्थानों से चमगादड़ों के मरने की सूचना आ रही है।पशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर केएल साहू मानते हैं कि चमगादड़ों की मौत का कारण डिहाईड्रेशन या हीट स्ट्रोक हो सकता है। उन्होंने कहा कि आमतौर पर चमगादड़ दिन में पेड़ों और अंधेरी जगह पर सोते हैं। इस दौरान वे पानी पीने के लिए भी नहीं निकलते। उनका रंग काला होने की वजह से गर्मी अधिक अवशोषित होती है और उन्हें ऐसे में पानी को अत्यधिक जरूरत होती है। पानी की कमी भी मृत्यु की एक वजह हो सकती है। 

पक्षियों पर शोध करने वाले विशेषज्ञ मोहम्मद खालिद ने कहा कि इस वर्ष पूरे प्रदेश में लगातार लू चली। चमगादड़ जिस तरह पेड़ पर लटके होते हैं उनपर इसका असर सबसे अधिक हुआ। फ्रूट बेट यानी फल खाने वाले चमगादड़ के साथ भोजन को भी समस्या आ रही है। गर्मियों में उनके लिए बहुत कम फल बचे हैं।

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