भारतीय दक्षिण-पश्चिम मॉनसून जो भारत में फसल के लिए अहम है। इसकी शुरुआत केरल से होती है, जो गर्म और शुष्क मौसम को बरसात के मौसम में बदल देता है। जैसे-जैसे मॉनसून उत्तर की ओर बढ़ता है, कई इलाकों में पड़ रही चिलचिलाती गर्मी से लोगों को राहत महसूस होती है।
दक्षिण पश्चिम मॉनसून आमतौर पर एक जून को केरल में आता है यह लगभग सात दिन आगे पीछे हो सकता है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने बताया कि वह 2005 के बाद से केरल में मॉनसून की शुरुआत की तारीख का पूर्वानुमान जारी कर रहा है।
केरल में 2023 के मॉनसून की शुरुआत के लिए पूर्वानुमान की बात करें तो इस वर्ष, केरल में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की शुरुआत सामान्य तिथि की तुलना में थोड़ी देरी से होने के आसार हैं। मौसम विभाग के मुताबिक केरल में मॉनसून की शुरुआत चार जून से होने की संभावना है, यदि मॉडल में कोई त्रुटि होती भी हैं तो मॉनसून चार दिन पहले या बाद में दस्तक दे सकता है।
जबकि इससे पहले, निजी मौसम का अनुमान लगाने वाले स्काईमेट ने बताया कि इस साल केरल में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की शुरुआत देरी से होगी। फसलों के लिए सबसे महत्वपूर्ण दक्षिण-पश्चिम मॉनसून आमतौर पर एक जून के आसपास केरल तट से भारतीय उपमहाद्वीप में अपनी यात्रा शुरू करता है।
मौसम विभाग ने कहा कि, मॉनसून के पूर्वानुमान के लिए स्वदेशी रूप से विकसित अत्याधुनिक सांख्यिकीय मॉडल का उपयोग किया जाता है। मौसम विभाग ने बताया कि मॉडल के अनुसार मॉनसून आने में चार दिन आगे पीछे लग सकते हैं।
मौसम विभाग ने बताया कि, मॉडल में छह तरह के मौसम संबंधी गतिविधियों का पता लगाने वाली प्रणाली है। जो उत्तर पश्चिम भारत में न्यूनतम तापमान का पूर्वानुमान लगाता है। दक्षिण प्रायद्वीप पर मॉनसून पूर्व वर्षा का पता लगाता है।
मौसम विभाग ने कहा कि, मॉडल दक्षिण चीन सागर के ऊपर, दक्षिण-पूर्व हिंद महासागर के ऊपर निम्न स्तरों पर चलने वाली हवाओं का भी अनुमान लगाता है। उपोष्णकटिबंधीय उत्तर-पश्चिम प्रशांत महासागर पर मध्य समुद्र स्तर का दबाव के अनुमान लगाने के साथ यह उत्तर पूर्वी हिंद महासागर के ऊपरी स्तर पर हवाओं के चलने का भी पूर्वानुमान लगाता हैं।
किसानों के लिए मॉनसून में देरी अच्छी खबर नहीं है
बारिश पर निर्भर कृषि वाले इलाकों के लिए मॉनसून के देरी से आने की जानकारी अच्छी नहीं है। सामान्य मॉनसून के चलते होने वाली बारिश से फसलों को फायदा मिलता है। हालांकि, मॉनसून के कमजोर पड़ने, देरी से आने के कारण पैदावार को नुकसान होने की आशंका बनी रहती है।
मॉनसून आने पर किसान खरीफ की फसलों में प्रमुख रूप में धान की खेती करते हैं। धान की फसल के लिए काफी पानी की जरूरत होती है। मॉनसून में देरी से धान की खेती को सबसे अधिक नुकसान होने के आसार हैं, हालांकि मौसम विभाग ने मॉनसून के केरल में दस्तक देने के बारे में बताया कि यह चार दिन आगे पीछे हो सकता है।