उमेश कुमार राय
बिहार के नवादा जिले में शुक्रवार की दोपहर बारिश कहर बनकर आई। मौसम विज्ञान विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक ही तेज बारिश के साथ बिजली गिरने (वज्रपात) हुआ, जिससे आठ बच्चों की मौत हो गई और एक दर्जन बच्चे जख्मी हो गए।
घटना नवादा जिले के काशीचक प्रखंड के धानपुर गांव की है। स्थानीय लोगों ने बताया कि दोपहर को दो दर्जन से ज्यादा बच्चे पीपल के पेड़ के पास खेल रहे थे कि अचानक मौसम बदला और आंधी-तूफान के साथ तेज बारिश होने लगी। बच्चे डर के मारे पीपल के पेड़ के नीचे जमा हो गए। उसी वक्त तेज आवाज के साथ बिजली गिरी जिसकी चपेट में बच्चे आ गए। इनमें से आठ बच्चों की मौत हो गई। बाकी एक दर्जन बच्चों का इलाज अस्पताल में चल रहा है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वज्रपात से बच्चों की मौत पर दुःख प्रकट करते हुए उनके परिजनों को चार-चार लाख रुपए मुआवजे की घोषणा की है।
उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले भी तेज बारिश और वज्रपात के कारण 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। जानकार बताते हैं कि वज्रपात को लेकर ठोस पूर्वानुमान नहीं होने के कारण इतनी मौतें हो रही हैं। नवादा में शुक्रवार को हुई घटना को लेकर भी मौसम विज्ञान केंद्र की तरफ से कोई पूर्वानुमान नहीं था, बल्कि स्थानीय लोगों का कहना है कि शुक्रवार को नवादा में गर्मी सामान्य से बहुत ज्यादा थी।
विशेषज्ञ गर्मी को वज्रपात की मुख्य वजह मानते हैं। सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ बिहार के पर्यावरण विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर प्रधान पार्थ सारथी बताते हैं, ‘वज्रपात अमूमन दोपहर के बाद होता है। दरअसल, अगर सूरज की किरणें प्रखर हों, तो गर्मी ज्यादा हो जाती है। ऐसा होने पर कुछ वक्त बाद क्युमुलोनिम्बस क्लाउड बनता है, जिससे वज्रपात होता है।’ नवादा में वज्रपात होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि नवादा में आज ज्यादा गर्मी पड़ी होगी, इसी वजह से वज्रपात हुआ है। आंकड़े बताते हैं कि देशभर में वज्रपात की संख्या बढ़ी है। वर्ष 2018 में वज्रपात से 3000 लोगों की मौत हो गई थी।
प्रधान पार्थ सारथी ने ये भी कहा कि मॉनसून के सीजन में इतना वज्रपात नहीं होता है, लेकिन इस बार बिहार में इस सीजन में ज्यादा वज्रपात हो रहा है, जिसका मतलब है कि यहां का मौसम का पैटर्न बदल रहा है और गर्मी बढ़ रही है।
यहां ये भी बता दें कि जून के दूसरे और तीसरे हफ्ते में राज्य के अलग-अलग जिलों में भीषण गर्मी के चलते भी 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। हालात इतने संगीन हो गए थे कि सरकार के गया समेत अन्य जिलों में धारा 144 लगाई गई थी और लोगों से दोपहर को घरों से नहीं निकलने की सख्त हिदायत दी गई थी। इससे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ था।
विशेषज्ञों का कहना है कि वज्रपात से जिस तरह मौतों का आंकड़ा दिनोंदिन बढ़ रहा है, अब वक्त आ गया है कि इसे आपदा घोषित कर देना चाहिए।