भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार मानसून के पहले तीन हफ्तों 2 से 16 जून के बीच देश के 36 मेट्रोलॉजिकल डिवीजन में से लगभग तीन-चौथाई में सामान्य और सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई है।
देश में मानसून कैसा है इसे मापने के लिए आईएमडी उसे पांच श्रेणियों में बांटता है, जिसके अनुसार जब बारिश सामान्य के 60 फीसदी से अधिक होती है तो उसे "अत्याधिक वर्षा" की श्रेणी में रखा जाता है। जब वर्षा सामान्य के 20 से 59 फीसदी ज्यादा होती है तो उसे "अधिक" और वहीं जब बारिश सामान्य से -19 से +19 फीसदी के बीच रहती है तो उसे "सामान्य" श्रेणी में रखा जाता है।
इसी तरह जब बारिश में 20 से 59 फीसदी की कमी होती है तो उसे वहीं बारिश के 20 से 59 फीसदी कम होने की स्थिति में उसे "वर्षा की कमी" और जब यह 60 फीसदी से कम होती है तो उसे "अत्याधिक कमी" की श्रेणी में रखा जाता है।
यदि 16 जून को समाप्त हुए सप्ताह को देखें तो देश के 26 मेट्रोलॉजिकल डिवीजन में सामान्य, अधिक और अत्याधिक वर्षा दर्ज की गई है। वहीं गंगीय पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित 14 डिवीजन में अत्यधिक वर्षा रिकॉर्ड की गई है, जबकि ओडिशा, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम राजस्थान और मराठवाड़ा सहित सात डिवीजन में अधिक बारिश हुई थी। यही नहीं मध्य महाराष्ट्र, दक्षिणी कर्नाटक के आंतरिक हिस्से और केरल सहित केवल पांच मंडल सामान्य वर्षा की श्रेणी में आते हैं।
पूर्वोत्तर के सभी आठ राज्यों में सामान्य से कम बारिश हुई है, जबकि अरुणाचल प्रदेश में बारिश में भारी कमी दर्ज की गई है। जहां असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा और सिक्किम में वर्षा की कमी -20 से -59 फीसदी के बीच रही, वहीं अरुणाचल प्रदेश में इसमें 60 फीसदी से ज्यादा की कमी दर्ज हुई है।
यही नहीं लक्षद्वीप, गुजरात, सौराष्ट्र और कच्छ में भी बारिश में भारी कमी दर्ज की गई है।
वहीं क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र, गुवाहाटी के पूर्वानुमान के अनुसार, 25 जून को समाप्त होने वाले सप्ताह में, पूर्वी अरुणाचल प्रदेश और पूर्वोत्तर असम के कुछ हिस्सों में बारिश की गतिविधि सामान्य और सामान्य से अधिक रहने की सम्भावना है, जबकि क्षेत्र के अन्य हिस्सों में इसके सामान्य और सामान्य से कम रहने की संभावना है।