एक लंबी देरी के साथ सुस्त पड़े दक्षिण-पश्चिम मानसून ने इस सप्ताह थोड़ी गति दिखाई है। भारतीय मौसम विभाग ने जारी अपने बयान में कहा है कि मानसून 20 जून तक केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक के बड़े हिस्से को छूने के बाद अब महाराष्ट्र, गोवा और पश्चिम बंगाल के भी कुछ हिस्सों में पहुंच चुका है। हालांकि, चिंताजनक यह है कि मानसून के बाद भी पर्याप्त बारिश नहीं हुई है।
आईएमडी ने अपने पूर्वानुमान में कहा है कि आगामी हफ्ते के पहले हिस्से में दक्षिण-पश्चिमी मानसून के आगे का पड़ाव आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, सिक्किम, बिहार, झारखंड और उड़ीसा की ओर होगा। वहीं हफ्ते के दूसरे भाग में मानसून गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश का सफर तय करेगा।
पिछले दो महीनों से गर्मी व लू की मार झेल रहे और वर्षा की कमी झेलते लोगों को मानसून की फुहार से राहत जरूरी मिलेगी। इस वक्त मानसून के तहत देश में वर्षा की कुल कमी 43 फीसदी है। सबसे खराब स्थिति मध्य भारत की है। यहां सामान्य से 54 फीसदी कम वर्षा हुई है। दक्षिण प्रायद्विपीय क्षेत्र के बड़े भू-भाग में मानसून की वर्षा होने के बावजूद सामान्य से 38 फीसदी कम वर्षा दर्ज की गई है।
अगर मानसून की बारिश काफी तेज होती है तो सबसे सूखे महीने के तौर पर दर्ज जून की स्थिति में बदलाव आ सकता है लेकिन मौजूदा स्थिति इससे काफी दूर है। जिस तीव्रता से अभी राज्यों में मानसून की बारिश हो रही है वह बहुत उम्मीद नहीं पैदा करती है। केरल ने आठ जून को पहले मानसून की बारिश हासिल की थी। इसके बावजूद केरल में अभी तक (20 जून तक) 38 फीसदी सामान्य से भी कम वर्षा हुई है। तमिलनाडु में 35 फीसदी और कर्नाटक में 33 फीसदी वर्षा की कमी है। कर्नाटक के भीतर तटीय क्षेत्रों में स्थिति और खराब है यहां 44 फीसदी कम वर्षा दर्ज हुई है।
मानसून की देरी और इस सप्ताह दक्षिणी पश्चिमी मानसून के सक्रिय होने के कई कारण हैं। प्रशांत महासागर में कमजोर एलनीनो की स्थितयों के कारण समुद्र की सतह गर्म होने से व्यापारिक हवाएं बाधित हुईं। यह हवाएं मानसून की हवाओं का भी काम करती हैं। दूसरा कारण 9 जून से 18 जून तक अरब सागर में बेहद ताकतवर चक्रवात वायु के कारण भी मानसून प्रभावित हुआ। इस चक्रवात ने व्यापारिक हवाओं को कमजोर किया। शुरुआती बारिश विभिन्न क्षेत्रों में किसानों के लिए बेहद जरूरी होती है। जून में हुई वर्षा की कमी के बाद भारत में कई जगह सूखे की स्थितियां पैदा हो गई हैं। खासतौर से महाराष्ट्र बीते वर्ष से ही सूखे की मार झेल रहा है।