मॉनसून ने पकड़ी रफ्तार, लेकिन खरीफ की बुआई अभी भी प्रभावित

जून माह बीतने के बावजूद 347 जिले ऐसे हैं, जहां सामान्य से कम बारिश रिकॉर्ड की गई है और धान की बुआई 27 प्रतिशत पिछड़ी हुई है
मॉनसून ने पकड़ी रफ्तार, लेकिन खरीफ की बुआई अभी भी प्रभावित
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जून के अंतिम सप्ताह में मॉनसून की बारिश ने रफ्तार पकड़ी, लेकिन अभी भी 49 प्रतिशत (345) जिलों में बारिश सामान्य से कम हुई है। 76 जिले ऐसे हैं, जहां सामान्य से काफी कम बारिश हुई है। बारिश न होने के कारण अभी भी खरीफ की बुआई में बहुत अंतर नहीं आया है।

1 जुलाई 2022 को केंद्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि अभी भी पिछले साल की तुलना में 15.70 लाख हेक्टेयर में कम बुआई हुई है। सबसे अधिक प्रभावित धान की फसल हुई है। पिछले साल के जून के मुकाबले इस साल 16.11 लाख हेक्टेयर (27.05 प्रतिशत) में बुआई कम हुई है।

मौसम विभाग के आंकड़े बताते हैं कि पूरे देश में 1 जून से 1 जुलाई 2022 के दौरान सामान्य से केवल 6 प्रतिशत कम बारिश हुई है। इस स्थिति को सामान्य ही माना जाता है, लेकिन अभी भी जून माह में 15 राज्यों में सामान्य से कम बारिश हुई है। हालांकि जून के आखिरी सप्ताह में हुई भारी बारिश की वजह से कई जिलों में आंकड़ा सामान्य से ऊपर चला गया।

मौसम विभाग के आंकड़े बताते हैं कि 30 जून को 12 राज्यों में सामान्य से बहुत अधिक और छह राज्यों में सामान्य से अधिक बारिश हुई। लेकिन जिन राज्यों में अभी सूखा पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है, उनमें मध्य भारत के महाराष्ट्र (सामान्य से 27 प्रतिशत कम), छत्तीसगढ़ (सामान्य से 27 प्रतिशत कम), गुजरात (सामान्य से 47 प्रतिशत कम), ओडिशा (सामान्य से 37 प्रतिशत कम), दादर नागर हवेली (सामान्य से 53 प्रतिशत कम) और मध्य प्रदेश (सामान्य से 15 प्रतिशत कम) शामिल हैं।

उत्तर भारत में बारिश की कमी अभी बनी हुई है। उत्तर प्रदेश में 1 जुलाई तक सामान्य से 46 प्रतिशत कम, उत्तराखंड में सामान्य से 29 प्रतिशत कम, हिमाचल प्रदेश में सामान्य से 48 प्रतिशत कम बारिश रिकॉर्ड की गई है।

मॉनसून की बारिश के असर का आकलन इस बात से लगाया जाता है कि खरीफ की बुआई कितनी हो चुकी है। जून माह के तीन सप्ताह लगातार खरीफ की बुआई प्रभावित हुई। लेकिन आखिरी सप्ताह जब कई राज्यों और जिलों में बहुत अधिक बारिश हुई, बावजूद इसके खरीफ की बुआई प्रभावित हुई।

आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल जून माह के दौरान 294.42 लाख हेक्टेयर में खरीफ की बुआई हो चुकी थी, लेकिन इस साल जून माह में 278.72 लाख हेक्टेयर में बुआई हो पाई है। यानी कि अभी भी 15.70 लाख हेक्टेयर यानी 5.33 प्रतिशत बुआई कम हुई है।

आंकड़ों के मुताबिक अब तक धान की बुआई का क्षेत्रफल पिछले साल के मुकाबले 27.05 प्रतिशत, अरहर का 13.80 प्रतिशत, कुल्थी का 37.41 प्रतिशत, उड़द का 8.92 प्रतिशत, ज्वार का 35.10 प्रतिशत, रागी का 49.88 प्रतिशत, मक्का का 13.87 प्रतिशत, मूंगफली का 24.98, सीशम 10.36 प्रतिशत कम रिकॉर्ड किया गया।

धान की बुआई पर असर
खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान है। सरकारी खरीद होने के कारण कई राज्यों में इसकी बुआई बहुत अधिक होती है और धान को बहुत अधिक पानी भी चाहिए होता है, इसलिए किसान मॉनसून में भारी बारिश का इंतजार करते रहते हैं। लेकिन पूरा जून महीना बीतने के बावजूद किसानों को धान की बुआई के लिए बारिश का इंतजार खत्म नहीं हो पाया है।

इस साल जून के महीने में 43.448 लाख हेक्टेयर में धान की बुआई हुई है जो पिछले साल 2021 के मुकाबले 16.108 लाख हेक्टेयर कम है, जबकि 2020 के मुकाबले 31.142 लाख हेक्टेयर कम है।

यही आंकड़े राज्यवार देखें तो इस साल जून में 15.750 लाख हेक्टेयर में धान की बुआई की गई थी, जो 2021 के जून माह के मुकाबले 8.020 लाख हेक्टेयर और 2020 के जून माह के मुकाबले 7.880 लाख हेक्टेयर कम है। यहां यह उल्लेखनीय है कि जून माह में पंजाब के 22 जिलों में से सात जिलों में बारिश सामान्य से कम हुई है। हालांकि पंजाब में सिंचाई के साधन उपलब्ध होने के कारण मॉनसून की बारिश न होन से कोई खास असर नहीं पड़ता है।

चौंकाने वाले आंकड़े छत्तीसगढ़ से आ रहे हैं। छत्तीसगढ़ में जून में 1.990 लाख हेक्टेयर में ही धान की बुआई हो पाई है, जबकि पिछले साल 2021 में जून में 6.610 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी, जबकि उससे पिछले साल यानी 2020 में 13.400 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। छत्तीसगढ़ में इस साल जून माह में 27 फीसदी कम बारिश रिकॉर्ड की गई है। कम बारिश का असर महाराष्ट्र पर भी देखा जा रहा है।

हालांकि पिछले सप्ताह हुई बारिश की वजह से कई राज्यों में खरीफ सीजन की बुआई में बढ़ोतरी हुई है। इनमें महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक शामिल हैं।

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