
मॉनसूनी गतिविधि शुरू हो गई है इसके चलते पिछले 24 घंटों के दौरान निकोबार द्वीप समूह के कुछ इलाकों में भारी बारिश का दौर जारी रहा। इस प्रकार, पिछले दो दिनों के दौरान निकोबार द्वीप समूह के अलग-अलग इलाकों में भारी बारिश हुई।
इसी दौरान बंगाल की खाड़ी के दक्षिणी हिस्सों, निकोबार द्वीप समूह और अंडमान सागर में पश्चिमी हवा की ताकत और गहराई लगातार बढ़ रही है।
समुद्र तल से औसतन 1.5 किमी ऊपर चलने वाली पश्चिमी हवाएं 20 मील से अधिक की रफ्तार से चल रहीं हैं। दक्षिण खाड़ी, निकोबार द्वीप समूह और अंडमान सागर के कुछ हिस्सों में पश्चिमी हवा की गहराई औसत समुद्र तल से 4.5 किमी ऊपर है। पिछले दो दिनों के दौरान क्षेत्र में आउटगोइंग लॉन्गवेव रेडिएशन में कमी जारी रही।
मौसम विभाग ने कहा है कि उपरोक्त सभी मानदंडों को ध्यान में रखते हुए, दक्षिण-पश्चिम मॉनसून आज 13 मई, 2025 को दक्षिण बंगाल की खाड़ी के कुछ हिस्सों, दक्षिण अंडमान सागर, निकोबार द्वीप समूह और उत्तरी अंडमान सागर के कुछ हिस्सों में आगे बढ़ गया है।
अगले तीन से चार दिनों के दौरान दक्षिण अरब सागर, मालदीव और कोमोरिन क्षेत्र के कुछ हिस्सों, दक्षिण बंगाल की खाड़ी के कुछ और हिस्सों, पूरे अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, अंडमान सागर के शेष हिस्सों और मध्य बंगाल की खाड़ी के कुछ हिस्सों में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल बताई जा रही हैं।
मौसम विभाग के ताजा अपडेट में कहा गया है कि आज, यानी 13 मई को निकोबार द्वीपसमूह के कुछ हिस्सों में भारी बहुत भारी बारिश हो सकती है, यहां 204 मिमी या उससे अधिक बारिश होने का अंदेशा जताया गया है।
मौसम विभाग के द्वारा पूर्वानुमान लगाया गया है कि दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून 27 मई को केरल में दस्तक दे सकता है, जो कि सामान्य तिथि एक जून से चार दिन पहले है। जबकि अपने आउटलुक में विभाग के द्वारा कहा गया था कि 2025 में दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून के चलते सामान्य से अधिक बारिश हो सकती है। केरल में जल्दी आना इस बात का संकेत है कि अन्य क्षेत्रों में भी समय पर बारिश हो सकती है। यह लोगों और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए एक अच्छा संकेत है।
वहीं सामान्य से बेहतर मॉनसून के चलते फसल वर्ष 2025-26 के लिए 35.464 करोड़ टन का रिकॉर्ड कृषि उत्पादन लक्ष्य रखा है। यह लक्ष्य 2024-25 में दर्ज 34.155 करोड़ टन कृषि उपज से 3.8 फीसदी या 1.3 करोड़ टन अधिक है।
साथ ही जैसे-जैसे मॉनसून उत्तर की ओर बढ़ेगा, बारिश के चलते यह गर्मी से भी राहत देगा। इसके केरल में जल्दी आने से अन्य क्षेत्रों में भी समय पर बारिश हो सकती है। यह लोगों, खेती और अर्थव्यवस्था सबके लिए एक बहुत अच्छा संकेत है।