
मानसून के आगमन के एक सप्ताह के भीतर ही हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश ने विकराल रूप ले लिया है। कुल्लू घाटी, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए विख्यात है, एक बार फिर बादलों के फटने और अचानक आई बाढ़ से थर्रा उठी है, जिससे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
पिछले 24 घंटों के भीतर, कुल्लू जिले में तीन अलग-अलग स्थानों - मणिकर्ण, बंजार और सैंज घाटी - के साथ-साथ सोलंग नाला के पास भी बादल फटने की घटनाएं सामने आई हैं। इन घटनाओं से आई अचानक बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है। हालांकि बादल फटने की आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।
बंजार क्षेत्र के विधायक सुरेंद्र शौरी ने जानकारी दी कि उनके इलाके के सिंहुड वियाली गांव में नाले में आई बाढ़ की चपेट में आकर पांंच घर पूरी तरह बह गए हैं। इस हृदय विदारक घटना में एक ही परिवार के तीन सदस्य एक पुरुष और दो महिलाएं लापता बताए जा रहे हैं।
इसके अतिरिक्त, मनाली के कलाथ और सोलंग घाटी में पलचान के पास गुरुवार को हुई भारी बाढ़ से भी सड़कों को गंभीर नुकसान पहुंचा है, जिससे आवाजाही बुरी तरह बाधित हो गई है। सैंज घाटी में आई भयंकर बाढ़ के कारण हजारों पर्यटक फंसे हुए हैं, जिन्हें सुरक्षित निकालने के लिए स्थानीय प्रशासन युद्धस्तर पर राहत और बचाव कार्य चला रहा है।
कांगड़ा जिले के धर्मशाला स्थित खनियारा में मनुणी खड्ड (छोटी नदी) पर निर्माणाधीन बिजली परियोजना में भी प्रकृति का कहर टूटा है। खड्ड में अचानक आई अत्यधिक बाढ़ की चपेट में काम कर रहे दर्जन भर मजदूर आ गए। इस हादसे में अब तक दो मजदूरों के शव बरामद कर लिए गए हैं, जबकि लगभग आठ मजदूरों के अभी भी लापता होने की आशंका जताई जा रही है।
कांगड़ा के उपायुक्त हेमराज बैरवा ने बताया कि एसडीएम को तत्काल मौके पर भेजकर स्थिति पर नजर रखने और स्थानीय लोगों को नदी-नालों के नजदीक न जाने की सख्त हिदायत दी गई है।
इसके अलावा लाहौल स्पीति जिले के काजा सुमदो मार्ग में लैंडस्लाइड की वजह से मार्ग अवरूद्ध हो गया है और लाहौल घाटी के जहालमा नाले में भारी बाढ़ की वजह से जोबरंग गांव की दर्जनों बीघा भूमि में लगी, आलू, मटर, गोभी और अन्य फसलें चपेट में आ गई हैं।
वहीं मंडी जिला के सरकाघाट क्षेत्र मे भारी बारिश की वजह से करोड़ों रुपए की लागत से नेशनल हाईवे पर बन रहा पुल ढह गया जिससे इस क्षेत्र में एक बड़ी झील बन गई थी, जिसकी चपेट में पानी की परियोजना, शमशान घाट और मंदिर परिसर आ गया था।
बांधों से पानी का बहाव और निचले इलाकों में चेतावनी
कुल्लू में लगातार हो रही भारी बारिश के बीच, विभिन्न पावर प्रोजेक्टों में बने बांधों से पानी छोड़ने का सिलसिला भी जारी है, जिससे नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण कुल्लू के अनुसार, मलाणा स्टेज वन से 15 क्यूसेक, पार्वती 2 के पुलघा बांध से कुल 139 क्यूसेक, सैंज से 26 क्यूसेक और पार्वती 3 से 40 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है।
इस अतिरिक्त पानी के कारण ब्यास नदी में जलस्तर काफी बढ़ गया है। निचले क्षेत्रों जैसे पंडोह और मंडी में जिला प्रशासन द्वारा लाउडस्पीकरों के माध्यम से लगातार चेतावनी जारी की जा रही है और लोगों को नदी से दूर रहने का आग्रह किया जा रहा है।
मौसम विभाग ने मानसून के सक्रिय होने के साथ ही प्रदेश में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। 25 जून के लिए ऑरेंज अलर्ट और 26, 27 जून के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है।
मौसम विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, कुल्लू जिले में पिछले 24 घंटों में सामान्य से 703 प्रतशित अधिक बारिश दर्ज की गई है। इस अवधि में, जहां 2.1 मिलीमीटर (मिमी) बारिश सामान्य मानी जाती है, वहीं कुल्लू में 16.9 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई।
पालमपुर में 145 एमएम, जोगिंदरनगर में 113 एमएम, नाहन में 99 एमएम और बैजनाथ में 85 एमएम बारिश दर्ज की गई है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने धर्मशाला में हुए हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने कहा, "धर्मशाला के एक हाइड्रल प्रोजेक्ट में तेज़ बहाव के कारण कई मज़दूरों के बह जाने की सूचना अत्यंत दुःखद एवं पीड़ादायक है।
इस हादसे में अब तक दो शव बरामद किए गए हैं और राहत एवं बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी है। प्रशासन को सभी आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं।" मुख्यमंत्री ने सभी से आग्रह किया है कि भारी बारिश के बीच नदी-नालों एवं खड्डों के पास जाने से बचें।
आपदा प्रबंधन निदेशक डीसी राणा ने बताया कि कुल्लू क्षेत्र में बादल फटने की घटनाओं में हुए नुकसान का विस्तृत आकलन किया जा रहा है और बचाव व राहत कार्य जारी है। उन्होंने यह भी कहा कि विभिन्न माध्यमों से लोगों को अलर्ट किया जा रहा है ताकि जानमाल के नुकसान को समय रहते कम किया जा सके। यह रिपोर्ट हिमाचल में मानसून के पहले सप्ताह की भयावहता और जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों की एक गंभीर तस्वीर प्रस्तुत करती है।