खरीफ सीजन 2023: महाराष्ट्र, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ में घटा फसलों का रकबा

खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान का रकबा पिछले साल के मुकाबले 24 फीसदी कम हो गया है। छत्तीसगढ़ में धान की बुआई में बहुत कमी आई है
खरीफ सीजन 2023: महाराष्ट्र, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ में घटा फसलों का रकबा
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खरीफ सीजन का जुलाई का पहला सप्ताह भी बीत गया, लेकिन अभी भी धान की बुआई जोर नहीं पकड़ पाई है। बल्कि मोटा अनाज को यदि छोड़ दें तो सभी फसलों की बुआई में कमी देखी जा रही है।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की वेबसाइट राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन में अपडेट किए गए आंकड़े बताते हैं कि सात जुलाई 2023 तक देश में 353.43 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई है, जो कि पिछले साल के मुकाबले 33.58 लाख हेक्टेयर (8.68 प्रतिशत) कम है।

लेकिन अगर तुलना 2021 से करें तो अब तक 94.75 लाख हेक्टेयर (लगभग 22 प्रतिशत) में कम बुआई हुई है। यहां उल्लेखनीय है कि पिछले साल 2022 में भी मॉनसून की अनियमितता के चलते खरीफ सीजन की फसलों पर बुरा असर पड़ा था।

खरीफ सीजन की कुल फसलों की अगर बात करें तो सबसे अधिक असर महाराष्ट्र और कर्नाटक में देखा जा रहा है। महाराष्ट्र में पिछले साल अब तक 83.36 लाख हेक्टेयर बुआई हो चुकी थी, लेकिन इस बार केवल 36.29 लाख हेक्टेयर ही बुआई हो पाई है। कर्नाटक में पिछले साल 35.93 लाख हेक्टेयर बुआई हुई थी, जबकि इस साल 19.71 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ही बुआई हुई है।

छत्तीसगढ़ तीसरा प्रभावित राज्य है। यहां अब तक 3.38 लाख हेक्टेयर ही बुआई हुई है, जबकि पिछले साल 12.10 लाख हेक्टेयर और उससे पिछले साल 19.11 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी।

धान में कमी आई

धान यानी चावल खरीफ सीजन की प्रमुख फसल है। आंकड़े बताते हैं कि इस साल धान की बुआई पर काफी बुरा असर पड़ सकता है। देश के ज्यादातर चावल उत्पादक राज्यों में 15 जून से 15 जुलाई के बीच धान की बुआई होती है और इसी समय को उत्पादन के लिए बेहतर माना जाता है। यानी कि अब सात दिन शेष हैं, लेकिन अब तक के आंकड़े निराशाजनक हैं।

इन आंकड़ों के मुताबिक सात जुलाई 2023 तक पिछले साल के मुकाबले 23.89 प्रतिशत क्षेत्र में बुआई नहीं हुई है। इस साल अब तक 54.12 लाख हेक्टेयर में धान की बुआई हुई है, जबकि पिछले साल जुलाई के पहले सप्ताह तक 71.10 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है। मतलब 16.99 लाख हेक्टेयर में धान की बुआई नहीं हो पाई है।

खास बात यह है कि पिछले साल भी मॉनसून की बेरूखी के कारण धान की बुआई बहुत देर से हुई थी। इसलिए यदि जुलाई 2021 के पहले सप्ताह से वर्तमान बुआई की तुलना करें तो इस साल की बुआई 40.87 लाख हेक्टेयर कम है। यानी कि 2021 में 94.98 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।

छत्तीसगढ़ धान उत्पादक राज्य है, लेकिन इस साल यहां धान की बहुत अधिक पिछड़ गई है। 2022 में अब तक राज्य में 8.95 लाख हेक्टेयर और 2021 में 15.14 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी, लेकिन 2023 में अब तक केवल 2.83 लाख हेक्टेयर में ही धान की बुआई हो पाई है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राज्य में 20 जून तक सूखे के हालात थे, लेकिन जैसे ही मॉनूसन की बरसात शुरू हुई तो इतनी ज्यादा बारिश हो गई कि किसान नर्सरी तक नहीं लगा पाए।

ओडिशा में भी धान की बुआई काफी कम हुई है। इस साल अब तक 1.08 लाख हेक्टेयर में धान की बुआई हो पाई है, जो 2022 के मुकाबले 2.53 लाख और 2021 के मुकाबले 4.74 लाख हेक्टेयर कम है।

असम में अब तक 1.04 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई है, जबकि पिछले साल 3.16 लाख हेक्टेयर और उससे पिछले साल 2021 में 4.22 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। पंजाब में पिछले साल के मुकाबले अब तक 3.69 लाख हेक्टेयर और हरियाणा में 1.23 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की बुआई कम हुई है।

दलहन का रकबा भी घटा
दलहन के मामले में भी यह सीजन अब तक बुरा बीत रहा है। इस साल अब तक 32.62 हेक्टेयर में दलहन की खेती की गई है, जबकि पिछले साल 43.96 लाख (23.90 प्रतिशत ज्यादा) हेक्टेयर हो चुकी थी। अरहर की बुआई में कमी चिंता का सबब बन गई है।

इस साल अब तक अरहर की बुआई 60 प्रतिशत कम हुई है। लेकिन अगर तुलना 2021 से करें तो यह इससे भी कहीं ज्यादा है। जैसे के इस साल केवल 6.01 लाख हेक्टेयर में अरहर की बुआई हुई है, जबकि पिछले साल 15.06 लाख हेक्टेयर और उससे पिछले साल 2021 में 23.22 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।

यही वजह है कि जहां एक ओर अरहर की कीमतें बढ़ रही हैं, वहीं केंद्र सरकार ने अरहर का आयात करने का फैसला लिया है। कर्नाटक और महाराष्ट्र में अरहर की बुआई में बहुत कमी आई है।

तिलहन की बुआई में भी पिछले साल के मुकाबले इस साल 14 फीसदी की गिरावट आई है। खासकर सूरजमुखी की बुआई में काफी कमी आई है।

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