वक्त से पहले केरल झेल रहा है भीषण गर्मी, क्या हैं कारण?

केरल का अधिकतम तापमान मार्च व अप्रैल में होता था लेकिन 2023 व 2024 में जनवरी की शुरुआत में ही गर्मी शुरू हो गई थी, यह प्रवृत्ति इस साल भी दोहराई जा रही है
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फरवरी की शुरुआत में ही पूरे केरल में तापमान बढ़ गया। फोटो: आईस्टॉक
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आधिकारिक तौर पर अभी गर्मियों के आने में कई महीने बाकी हैं, लेकिन केरल में अभी से ही भीषण गर्मी पड़ रही है और पूरे राज्य में तापमान तेजी से बढ़ रहा है। अल नीनो का प्रभाव राज्य के उत्तरी जिलों के मौसम को प्रभावित कर रहा है।

इस संबंध में भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने बढ़ते तापमान के लिए सूर्य के उत्तर की ओर गति (उत्तरायण) को जिम्मेदार ठहराया है, जब वह कर्क रेखा पर सीधे सिर के ऊपर होता है।

ध्यान रहे कि केरल जिसने पिछले साल यानी 2024 में हीटवेव की स्थिति दर्ज की थी। इस बार प्रशांत क्षेत्र में ला नीना की स्थिति विकसित होने के साथ मध्यम गर्मी हो सकती है। ध्यान रहे कि ऐतिहासिक रूप से केरल का अधिकतम तापमान मार्च और अप्रैल में ही होता था।

लेकिन 2023 और 2024 में जनवरी की शुरुआत में ही गर्मी शुरू हो गई थी। यह प्रवृत्ति इस साल भी दोहराई जा रही है। हालांकि अगले सप्ताहों में कुछ दक्षिणी जिलों में थोड़ी बारिश की संभावना जताई गई है। लेकिन आईएमडी ने चेतावनी दी है कि इससे बहुत अधिक राहत मिलने की संभावना नहीं है। सभी जिलों में उच्च तापमान बने रहने की उम्मीद जताई गई है।

फरवरी की शुरुआत में ही पूरे केरल में तापमान बढ़ गया। कन्नूर और कोट्टायम में सबसे अधिक तापमान दर्ज किया गया है। बढ़ती गर्मी के चलते कृषि गतिविधियों, जल संसाधनों, ऊर्जा वितरण और पर्यटन को प्रभावित कर रही है।

ध्यान रहे कि गत 1 फरवरी 2025 को केरल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (केएसडीएमए) ने एक सलाह जारी की गई है। जिसमें बाहरी कामगारों से गर्मी से संबंधित बीमारियों के प्रति सावधानी बरतने की अपील जारी की गई है। इसके अलावा किसानों को सलाह दी गई है कि वे लोग भोर में ही या देर शाम को कृषि कार्य करें। दोपहर की तेज धूप से अपने को बचा कर रखें।

यह ध्यान देने वाली बात यह है कि आमतौर पर मार्च और अप्रैल में होने वाली हीटवेव जैसी स्थिति इस साल राज्य में पहले ही आ गई है। जनवरी के आखिरी सप्ताह में कन्नूर में दिन का तापमान 36.6 डिग्री सेल्सियस और कोट्टायम में 36.5 डिग्री सेल्सियस तक जा पहुंचा था।

केएसडीएमए के अधिकारियों ने राज्य के लोगों से भी कहा है कि धूप में कम से कम निकलें। वहीं आईएमडी ने भी चेतावनी जारी की है कि तापमान में वृद्धि जारी रहेगी जो केरल के जलवायु पैटर्न में चिंताजनक बदलाव को दर्शा रहा है।

ध्यान रहे कि जनवरी में पहले ही असामान्य रूप से उच्च तापमान देखा जा चुका है। आईएमडी ने बताया कि 2024 में केरल का अब तक का सबसे अधिक तापमान जनवरी में दर्ज किया गया जो 2023 से अधिक है। आईएमडी के अनुसार 27 जनवरी 2024 को कन्नूर हवाई अड्डे पर 36.6 डिग्री सेल्सियस का अत्यधिक तापमान दर्ज किया गया, जिससे यह उस दिन देश का सबसे गर्म स्थान बन गया जबकि कोट्टायम 36.5 डिग्री सेल्सियस के साथ दूसरे स्थान पर रहा।

31 जनवरी को राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने अत्यधिक गर्मी की स्थिति के बारे में एक सलाह भी जारी की है। जिसमें लोगों को सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे के बीच सीधे धूप में निकलने से बचने की सलाह दी गई है। वहीं दूसरी ओर नियोक्ताओं से काम के घंटों को समायोजित करने का आग्रह किया गया है। छोटे बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रूप से बीमार लोगों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।

आईएमडी के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले एक हफ्ते में केरल में दिन का तापमान सामान्य से 1.5 डिग्री सेल्सियस के मुकाबले 3 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा है। तेज धूप और उच्च आर्द्रता के कारण पूरे राज्य में लोग अत्यधिक पसीना से परेशान रहे।

आईएमडी के वरिष्ठ वैज्ञानिक वीके मिनी ने कहा कि हालांकि तापमान अधिक बना हुआ है लेकिन यह आने वाली गर्मियों में असाधारण रूप से गर्म होने का संकेत देता है। केरल के बढ़ते तापमान का राज्य के पर्यावरण, कृषि और आजीविका पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है।

अत्यधिक गर्मी का असर कृषि पर भी पड़ रहा है जो केरल की अनुकूल जलवायु के कारण परंपरागत रूप से फलती-फूलती रही है। तापमान के बदलते पैटर्न फसल चक्रों को बाधित कर रहे हैं। धान की फसलें जो आमतौर पर पकने में 120 दिन लेती हैं अब लगभग 160 दिनों की आवश्यकता होती है, जिससे उपज के नुकसान का जोखिम बढ़ जाता है। इसी तरह सब्जियों के लिए मौसम अव्यवस्थित हो गया है।

किसान अप्रत्याशित मौसम पैटर्न के अनुकूल होने के लिए संघर्ष कर रहे हैं क्योंकि हीटवेव और बारिश का पूर्वानुमान लगाना लगातार मुश्किल होता जा रहा है। ये अनिश्चित परिस्थितियां मौजूदा चुनौतियों जैसे कि बाजार की कीमतों में उतार-चढ़ाव और मिट्टी की बदलती परिस्थितियों को और बढ़ा देती हैं, जिससे कृषि और भी अनिश्चित हो जाती है।

शहरी क्षेत्र भी इसका असर महसूस कर रहे हैं। बढ़ते तापमान शहरी गर्मी और तेज हो रही है। मानवीय गतिविधि और घने बुनियादी ढांचे के कारण शहरों में आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक तापमान का अनुभव होता है। इससे हीटस्ट्रोक और निर्जलीकरण सहित गर्मी से संबंधित बीमारियों में वृद्धि दर्ज की गई है।

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