विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) के अनुसार, ला नीना के लगातार तीन सालों के बाद आने वाले महीनों में गर्म करने के लिए जानी जाने वाली घटना अल नीनो विकसित हो सकता है। जो दुनिया के विभिन्न हिस्सों में तापमान और वर्षा के पैटर्न को प्रभावित कर सकता है।
डब्ल्यूएमओ के मुताबिक लंबी ला नीना वाली मौसम की घटना, जिसने हाल के वर्षों में सूखे और बाढ़ को बढ़ा दिया था, अब यह समाप्ती की और है। लेकिन आगे मौसम में भारी बदलाव होने के आसार हैं, अल नीनो की घटना समस्याओं को बढ़ा सकता है।
डब्ल्यूएमओ ने यूके के मौसम विभाग द्वारा लगाए गए पूर्वानुमान को दोहराते हुए कहा कि, इस बात के 50 प्रतिशत आसार हैं कि अगले कुछ सालों में पृथ्वी अस्थायी रूप से पूर्व-औद्योगिक औसत तापमान से 1.5 डिग्री सेल्सियस ऊपर पहुंच सकती है।
वर्तमान में चल रहे ला नीना की घटना, जिससे समुद्र की सतह का तापमान ठंडा हो जाता है, दुनिया भर के मौसम पर भारी असर डाल सकता है, ला नीना की घटना सितंबर 2020 में शुरू हुई थी। हालांकि, ला नीना के ठंडे प्रभाव के बावजूद, 2015 से पहले के किसी भी साल की तुलना में 2021 और 2022 दोनों साल अधिक गर्म रहे।
सामान्य तौर पर दुनिया भर में तापमान में वृद्धि हुई है, जिसने 2016 को अब तक का सबसे गर्म साल बना दिया था। जो भारत में ज्यादातर लू, खराब मॉनसून और सूखे के लिए जिम्मेदार रहा।
डब्ल्यूएमओ ने अपने त्रैमासिक अपडेट में कहा कि अब ला नीना के विपरीत गर्मी के लिए जाना जाने वाला अल नीनो चक्र इस साल आगे बढ़ रहा है।
डब्ल्यूएमओ ने कहा कि असामान्य रूप से जिद्दी और लंबे समय तक ला नीना के लगातार तीन साल तक खिंचे रहने के बाद, एक ट्रिपल-डिप कहे जाने वाले जून से अगस्त में अल नीनो के विकसित होने के बहुत अधिक आसार थे।
डब्ल्यूएमओ के प्रमुख पेटेरी तालस ने कहा, 21वीं सदी की पहली ट्रिपल-डिप ला नीना आखिरकार समाप्त हो रही है। उन्होंने कहा ला नीना के ठंडे प्रभाव ने भले ही बढ़ते वैश्विक तापमान पर एक अस्थायी रोक लगा दी थी, फिर भी पिछले आठ साल की अवधि रिकॉर्ड पर सबसे गर्म रही।
अगर हम अब अल नीनो चरण में प्रवेश करते हैं, तो इससे दुनिया भर में तापमान में एक और उछाल आने की आशंका जताई गई है।
मौसम का अनिश्चित पूर्वानुमान
ला नीना मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में सतह के तापमान को बड़े पैमाने पर ठंडा करने से है। यह आमतौर पर हर दो से सात साल में होता है। ला नीना और उसके विपरीत अल नीनो के बीच स्थितियां दोलन करती हैं, बीच में तटस्थ स्थितियां होती हैं।
डब्ल्यूएमओ ने कहा कि मार्च से मई के दौरान तटस्थ स्थितियों की 90 प्रतिशत रहने की संभावना थी, जो अप्रैल से जून के दौरान 80 प्रतिशत और मई से जुलाई में 60 प्रतिशत तक घट जाती है।
अल नीनो के विकसित होने के आसार अप्रैल से जून में 15 फीसदी, मई से जुलाई में 35 फीसदी और जून से अगस्त में 55 फीसदी रहने का अनुमान है।हालांकि, साल के इस समय लगाए जाने वाले पूर्वानुमानों में भारी अनिश्चितता है।
त्रैमासिक अपडेट पर काम कर रहे डब्लूएमओ के सलाहकार अल्वारो सिल्वा ने कहा, हमें अधिक आश्वस्त विचार रखने के लिए अतिरिक्त दो या तीन महीने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि दो चरणों के बीच दोलन पर नजर रखने से देशों को बाढ़, सूखा या अत्यधिक गर्मी जैसे प्रभावों के लिए तैयार होने में मदद मिलती है।
अल नीनो के खतरे
सिल्वा ने कहा ठंडा करने वाला ला नीना के साथ भी, पिछले आठ साल रिकॉर्ड पर सबसे गर्म थे, इसलिए हमारे पास यहां जलवायु परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण संकेत है। एल नीनो के साथ, इस बात के आसार बढ़ जाते है कि हम आगे रिकॉर्ड पर सबसे गर्म साल देखेंगे।
डब्ल्यूएमओ ने कहा कि भले ही ला नीना समाप्त हो रहा था, लेकिन इसकी लंबी अवधि के कारण छिपे हुए प्रभावों के कुछ समय तक जारी रहने के आसार हैं, इसलिए वर्षा पर इसके कुछ प्रभाव बने रह सकते हैं।
डब्ल्यूएमओ के मुताबिक हालांकि एल नीनो और ला नीना एक प्राकृतिक घटना है, वे मानवजनित जलवायु परिवर्तन की पृष्ठभूमि के खिलाफ होते हैं, जो दुनिया भर के तापमान में वृद्धि कर रहा है, मौसमी वर्षा के पैटर्न को प्रभावित कर रहा है और हमारे मौसम को और अधिक चरम बना रहा है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा जारी मार्च से मई (एमएएम) के आउटलुक के मुताबिक, इन महीनों के दौरान मध्य और आसपास के उत्तर पश्चिम भारत के कई क्षेत्रों में लू या हीटवेव चलने की आशंका जताई गई है।