मौसम विभाग ने बताया कि उत्तर भारत के सात उपखंड में पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिम उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर और लद्दाख) शामिल हैं। जहां जनवरी से मार्च के दौरान वार्षिक वर्षा का लगभग 18 फीसदी बारिश होती है। इस अवधि के दौरान विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर, लद्दाख में साल भर होने वाली बारिश का लगभग 31 फीसदी होती है। इन इलाकों में रबी की फसलों के लिए सर्दियों की बारिश बहुत महत्वपूर्ण है, साथ ही यह इन क्षेत्रों के जल प्रबंधन के लिए भी महत्वपूर्ण है। इन वजहों से, भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) उत्तर भारत में सर्दियों की वर्षा के लिए लंबी अवधि के लिए पूर्वानुमान जारी करता रहा है।
मौसम विभाग ने यह भी बताया कि इस साल देश भर में वर्षा और तापमान के मासिक और मौसमी अनुमान जारी करने के लिए एक नई रणनीति अपनाई गई है। नई रणनीति नई विकसित की गई मल्टी-मॉडल एनसेंबल (एमएमई) पर आधारित पूर्वानुमान प्रणाली है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मुताबिक जनवरी से मार्च 2022 के दौरान उत्तर भारत के सात उपखंडों (पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिम उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर और लद्दाख) में सामान्य वर्षा होने का अनुमान है (लंबी अवधि के औसत (एलपीए) का 86 से 114 फीसदी )।
वहीं उत्तर भारत में जनवरी 2022 की औसत मासिक वर्षा सामान्य से अधिक होने का अनुमान लगाया गया है, जोकि लंबे समय के लिए औसत (एलपीए) का 124 फीसदी के करीब होगी।
2022 के जनवरी माह के दौरान, उत्तर पश्चिमी भारत के कई हिस्सों, उत्तर पूर्व भारत और पूर्वी भारत के आसपास के क्षेत्रों में न्यूनतम तापमान के सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। वहीं उत्तरी प्रायद्वीप के कुछ हिस्सों और मध्य भारत के कुछ हिस्सों में न्यूनतम तापमान सामान्य से कम रहने का अनुमान है।
मध्य और प्रायद्वीपीय भारत के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से नीचे रहने की संभावना है। उत्तर भारत के कुछ हिस्सों और पूर्वोत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक होने के आसार हैं।
वर्तमान में, भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में मध्यम ला नीना की स्थितियां बनी हुई हैं। मॉनसून मिशन क्लाइमेट फोरकास्ट सिस्टम (एमएमसीएफएस) पूर्वानुमान के मुताबिक ला नीना स्थितियों के जेएफएम के दौरान बने रहने के आसार हैं और इसके बाद 2022 की दूसरी तिमाही के दौरान ठंडे ईएनएसओ तटस्थ स्थितियों तक पहुंचने पर इनके कमजोर पड़ने की संभावना है।
वर्तमान में, हिंद महासागर में तटस्थ आईओडी स्थितियां मौजूद हैं और नवीनतम एमएमसीएफएस पूर्वानुमान से पता चलते है कि पूर्वानुमान अवधि के दौरान तटस्थ हिंद महासागर द्विध्रुव (आईओडी) स्थितियों के जारी रहने का अनुमान है।