शीत-लहरों ने 2020 में गर्म हवाओं की तुलना में 76 गुना ज्यादा जानें लीं

2017 से 2020 के बीच शीत-लहरों वाले दिनों में लगभग 2.7 गुना वृद्धि हुई है
शीत-लहरों ने 2020 में गर्म हवाओं की तुलना में 76 गुना ज्यादा जानें लीं
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भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मुताबिक, 2020 में शीत-लहरों की वजह से गर्म हवाओं की तुलना में 76 गुना ज्यादा जानें गईं। 

सांख्यिकी विभाग नेभारत की पर्यावरण स्थिति के भाग-1’ में बताया कि 2020 में शीत-लहरों के कारण 152 मौतें दर्ज की गईं, जबकि गर्म हवाओं के चलते दो लोगों को जान गंवानी पड़ी। 

आईएमडी की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि 2020 में, आधिकारिक तौर पर दर्ज की गई गर्म हवाओं के अनुपात में शीत-लहरों से होने वाली मौतें 20 सालों में सबसे अधिक थीं। देश में 2020 में 99 दिनों तक शीत-लहर दर्ज की गईं। 

रिपोर्ट में दिखाया गया है कि 2017-2020 से शीत-लहरों के दिनों की तादाद में लगभग 2.7 गुना वृद्धि हुई है। शीत-लहरों ने 1980 से 2018 के बीच गर्म हवाओं की तुलना में अधिक देशवालों की जान ली है। 

2017 से शीत-लहरों वाले दिनों की तादाद हर साल लगातार बढ़ रही है। 2018 में ऐसे दिनों की तादाद 63 थी, जो 2019 में डेढ़ गुना बढ़कर 103 हो गई थी। 

देश में 2020 में गर्म हवाओं के कारण सबसे कम मौतें दर्ज की गई थीं, जब देश में कोरोना वायरस की महामारी के चलते कई महीने तक लॉकडाउन लागू किया गया था।

साल 2011 में गर्म हवाओं की तुलना में शीत-लहरों से लगभग साठ गुना ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। आईएमडी के मुताबिक, शीत-लहरों से 722 लोगों की जबकि गर्म हवाओं से 12 लोगों की जान गई थी। 

साल, जिसमें शीत-लहर से मौतें हुईं   

गर्म हवाओं से हुईं मौते 

शीत-लहर से हुईं मौते 


शीत-लहर और गर्म हवाओं से मौतों में अनुपात

2020

2

152

76.00

2011

12

722

60.17

2018

33

280

8.48

2000

55

425

7.73

2001

70

490

7.00

2004

117

462

3.95

2010

269

450

1.67

2008

111

114

1.03

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, शीत-लहर की वजह से लोगों में कोरोनरी हार्ट डिजीज, दिमाग की नसों का फटना और सांस संबंधी बीमारियां पैदा होती हैं, जो उनकी मौत का कारण बनती हैं। 

आईएमडी में केवल 2021 की जनवरी का आंकड़ा उपलब्ध है, जिस महीने  शीत-लहर से सबसे ज्यादा लोगों की जान गई। आईएमडी ने कहा कि जनवरी 2021 में उत्तर पश्चिम भारत में औसत मासिक न्यूनतम तापमान 2019 और 2020 की तुलना में कम रहा था।

रिपोर्ट में बताया गया कि जनवरी 2021 में औसत मासिक अधिकतम तापमान सामान्य से 2-4 डिग्री सेल्सियस कम था, यह इस महीने गंगा के मैदान में और दक्षिण-पंजाब इसके पश्चिम में उत्तरी हरियाणा में अधिक था। 

बिहार में भी औसत मासिक तापमान सामान्य से 3-4 डिग्री सेल्सियस कम था। 

अंाकड़े बताते हैं कि जनवरी 2021 में ठंडी हवाओं से लेकर शीत लहरों तक के 15 दिन दर्ज किए गए। 

ये लहरें देश उत्तरी भागों में फैली हुई थीं और इसमें दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कुछ स्थान शामिल थे। उत्तर प्रदेश में 2021 में 11 दिनों तक ठंडी और भीषण शीत लहरें दर्ज की गईं।

  राज्य अथवा क्षेत्र    

जनवरी 2021 में शीत-लहर  वाले दिन                            

शीत लहर वाले कुल दिन

पंजाब, हरियाणा , चंडीगढ़  

1,2,13,14,17,18, 26, 27,29                       

दिल्ली

1,12, 13,14, 26

5

राजस्थान               

16, 25, 26, 27, 28, 29

10

उत्तर प्रदेश            

1, 2, 15, 16, 17, 18, 25, 26, 27, 28, 29                                           

11

मध्य प्रदेश   

14, 15, 16, 20,  30, 31

6

गंगा का मैदान . बंगाल और ओडिशा 

15, 16, 17, 31

4

सौराष्ट्र और कच्छ 

5, 26, 28, 29, 30, 31  

    6                           

     

संयुक्त किसान मोर्चा के मुताबिक, जनवरी 2021 में शीत-लहर के कारण सबसे ज्यादा किसानों की मौत हुई। विवादास्पद कृषि कानूनों के विरोध में लगभग 120 किसानों की मौत हुई, जिसमें से 108 केवल पंजाब से थे। 

ब्लूमबर्ग के पूर्वानुमान के अनुसार, और अधिक ठंडे दिन आने वाले हैं। प्रशांत महासागर में उभरने वाली ला नीना के कारण उत्तर भारत में सर्दी ज्यादा या बहुत ज्यादा हो सकती है। 

नया पूर्वानुमान आने वाले ला नीना प्रभाव की चेतावनी दे रहा है, जिससे जनवरी, फरवरी 2022 में पूरे उत्तर भारत में तापमान में भारी गिरावट आएगी। 

नेचर में प्रकाशित एक अध्ययनअल-नीनो-सदर्न ऑस्लिेशंस फार रीचिंग कनेक्शन टू इंडियन कोल्ड वेवके मुताबिक, ला लीना की स्थितियां पूरे भारत में  शीत-लहर पैदा करने के अनुकूल हैं। 

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम) के कार्यकारी निदेश मनोज कुमार बिंदल ने कहा कि 2012 में देश में 2012 में शीत-लहर को एक आपदा के रूप में मान्यता दी गई थी लेकिन शीत लहर की आशंका वाले कई राज्यों में अभी तक इससे निपटने के लिए कोई कार्य-योजना तैयार नहीं की गई है। उनके मुताबिक, शीत-लहर की आशंका वाले राज्यों में इससे होने वाले नुकसान को कम करने के लिए शीत-लहर एक्शन प्लॉन तैयार किए जाने की जरूरत है। 

इन राज्यों में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार और जम्मू-कश्मीर शामिल हैं। दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड के सदस्य बिपिन राय के मुताबिक, ‘हालांकि  शीत-लहर के कहर से निपटने के लिए पहले से योजनाएं और नीतियां हैं लेकिन फिर भी शहरी गरीबों को इनसे बचाने के लिए एक विशेष नीति की जरूरत है।

इस साल जारी एक पेपर में एनआईडीएम ने सुझाव दिया है कि शहरी और उपनगरीय केंद्र ठंडे से बचाव वाले चाहिए, जिसमें शहरी स्थानीय निकायों, नीति निर्माताओं और फैसले लेने वालों की प्रमुख भूमिका हो। राष्ट्रीय, राज्य, जिला और स्थानीय स्तर पर शहरी गरीबों को शीत-लहर से बचाने के लिए स्परूट नीतियां विकसित की जानी चाहिए। शीत-लहर से होने वाली मौतों को रोका जा सकता है और देश को इसे प्राथमिकताओं में ऊपर रखकर लोगों की जिंदगी बचाने के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए।

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