पूरे हिमाचल प्रदेश में 9 जुलाई को 1193 प्रतिशत अधिक बारिश हुई, लेकिन सबसे अधिक चिंता लाहौल स्पीति को लेकर है, जहां 3640 प्रतिशत अधिक बारिश हुई। देश के तीन शीत रेगिस्तानों में शामिल लाहौल स्पीति के गांव लोसर में जुलाई माह में पहली बार बर्फ गिरने से भी विशेषज्ञ हैरान हैं।
नौ जुलाई 2023 को लाहौल स्पीति जिले में 112.2 मिली मीटर बारिश हुई, जबकि सामान्य बारिश की अगर बात करें तो इस दिन केवल 3 मिमी बारिश होनी चाहिए थी। यानी कि एक दिन में 3640 प्रतिशत अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई। आम तौर पर जुलाई महीने में इस जिले में 131.5 मिमी बारिश होती है। इसका मतलब है कि नौ जुलाई को यहां महीने भर के बराबर बारिश हो चुकी है। इससे पहले लाहौल स्पीति में 1951 में लाहौल स्पीति में 24 घंटों में 73 मिमी बारिश दर्ज की गई थी।
लाहौल स्पीति जिले में बारिश का अनियिमिता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पांच जुलाई तक इस जिले में सामान्य से 74 प्रतिशत कम बारिश हुई थी। लेकिन पिछले सात दिन के दौरान यहां सामान्य से 683 प्रतिशत अधिक बारिश हो चुकी है। मॉनसून के दौरान सामान्य तौर पर इस जिले में 394.7 मिमी बारिश होती है, लेकिन मात्र एक दिन (9 जुलाई 2023) में यहां पूरे मॉनसून सीजन की एक तिहाई बारिश हुई।
स्पीति घाटी के निवासी लोबजंग संडुप ने डाउन टू अर्थ को बताया कि उन्होंने अपनी जिंदगी में पहली बार पिछले तीन दिनों में से लगातार इतनी बारिश देखी है। उन्होंने बताया कि स्पीति घाटी में बहुत कम बारिश होती है लेकिन इस बार इतनी बारिश हुई है कि कई लोगों के घरों में पानी भी भर गया है। उन्होंने बताया कि इस असामान्य बारिश की वजह से घाटी के तापमान में भी गिरावट आई है।
स्पीति घाटी की सुजाता नेगी ने डाउन टू अर्थ को बताया कि घाटी में वे पहली बार इतनी बारिश देख रही हैं। उन्होंने बताया कि हमारे इलाके में बहुत कम बारिश होती है लेकिन इस बार तीन दिनों में बहुत बारिश देखने को मिली है। इससे घाटी के लोगों को दशकों से बारिश की कमी झेल रहे लाहौल स्पीति जिले में हो रही बारिश से यहां पानी की किल्लत से लोगों को राहत मिलेगी।
मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक डॉ सुरेंद्र पाल ने डाउन टू अर्थ को बताया कि पिछले तीन दिनों से हो रही बारिश ने हिमाचल प्रदेश में कई पुराने रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए हैं। उन्होंने बताया कि लाहौल स्पीति जिले में इन दिनों बर्फबारी होना एक असामान्य घटना है। उन्होंने बताया कि लाहौल स्पीति जिले में पिछले 74 वर्षों का बारिश का रिकॉर्ड टूटा है।
यह क्षेत्र अतिवृष्टि के लिहाज से बेहद संवेदनशील है। समुद्र तल से औसतन 4270 मीटर पर स्थित इस जिले में सर्दियों में लगभग चार महीने बर्फबारी होती है। बर्फ की वजह से जिले खासकर स्पीति इलाके में वनस्पति न के बराबर है और इस पूरे क्षेत्र को शीत रेगिस्तान के नाम से जाना जाता है। चूंकि जिले का एक बड़ा भाग पिघले हुए ग्लेशियरों के मलबे पर बसा है, इसलिए भारी बारिश इस क्षेत्र के लिए मुसीबत बन जाती है।
हालांकि अगर ओवरऑल बारिश की बात करें तो इस जिले में बारिश में कमी आ रही है और गर्मी बढ़ रही है। परंतु एक ही दिन में भारी बारिश के कारण दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं। पिछले साल 31 जुलाई, 2022 को लाहौल स्पीति में भारी बारिश के कारण अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन के कारण काफी नुकसान हुआ था।
इस जिले में यही सीजन एकमात्र फसल लेने का होता है। मार्च अप्रैल में बर्फ पिघलने के बाद स्पीति के ऊंचे इलाकों में मटर की बुआई शुरू होती है। जिसकी कटाई सितंबर-अक्टूबर को होती है, लेकिन यह सीजन यहां के किसानों का एक के बाद एक नुकसान कर रहा है।
बुआई के बाद सिंचाई के लिए जून में फसलों को औसत बारिश की जरूरत होती है, लेकिन जून 2023 में इस जिले में 66 फीसदी कम बारिश हुई थी। किसानों के लिए कम बारिश इसलिए मुसीबत बन गई है, क्योंकि क्षेत्र में बढ़ती गर्मी के कारण ग्लेशियर तेजी से पीछे सरक रहे हैं और उन्हें सिंचाई के लिए झरनों व स्रोतों का पानी भी नहीं मिल रहा है। अब जब बारिश इतनी ज्यादा हुई है तो इसकी वजह से फसलों को नुकसान हो सकता है।