ग्लोबल वार्मिंग का स्पष्ट सबूत : 2020 अब तक के तीन सबसे गरम सालों में एक
कोरोना महामारी वाले वर्ष 2020 को वैश्विक स्तर पर तीन सबसे गर्म वर्षों में शामिल होना तय है। 1 दिसंबर, 2020 को जारी विश्व मौसम संगठन (डब्ल्यूएमओ) की ग्लोबल क्लाइमेट प्रोविजनल रिपोर्ट में यह बात कही गई है। वहीं, 2011-2020 को सबसे ज्यादा गर्म दशक भी होने वाला है।
पूर्व औद्योगिक काल की बेसलाइन (1850-1900) से जनवरी-अक्तूबर का वैश्विक औसत सतह तापमान 1.2 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था। वहीं, इस अवधि तक 2020 दूसरा सबसे अधिक गर्म वर्ष रिकॉर्ड किया गया है।
अगस्त और अक्तूबर महीने में भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में ला-नीना की स्थितियां बनने के बावजूद 2020 में रिकॉर्ड गर्मी हुई है। ला नीना अल-नीनो दक्षिणी दोलन (ईएनएसओ) अवधारणा का एक चरण है जो कि सामान्य तौर पर दुनिया के कई हिस्सों में ठंड वाला प्रभाव छोड़ता है।
वैज्ञानिक सबूत यह संकेत करता है कि तापमान में बढ़ोत्तरी मानव जनित वैश्विक तापमान का नतीजा है जो कि ग्रीन हाउस गैसों (जीएचजी) के उत्सर्जन का प्रभाव है। वहीं, वर्ष 2019 में रिकॉर्ड जीएजी उत्सर्जन में इस वर्ष कई देशों में कोरोनावायरस महामारी के खिलाफ जारी लड़ाई में उठाए गए उपायों के कारण काफी गिरावट आई है। हालांकि यह गिरावट स्थानीय जैवमंडल संचालित है और व्यावहारिक तरीके से बताई नहीं जा सकती।
उष्णकटिबंधीय चक्रवात, बाढ़, भारी वर्षा और सूखे जैसे चरम मौसम की घटनाएँ जो कि ग्लोबल वार्मिंग का एक जाना-माना और महंगा परिणाम हैं, दुनिया के कई हिस्सों को प्रभावित करती हैं। सबसे नाटकीय रूप से अटलांटिक हरिकेन सीजन को तोड़ने वाला रिकॉर्ड था, जिसका समापन 30 नवंबर को हुआ। इस सीजन में 1 जून से 30 नवंबर तक 30 नाम के तूफान देखे गए, जो अब तक की सबसे अधिक संख्या है। इन तूफानों की रिकॉर्ड संख्या ने संयुक्त राज्य अमेरिका के तट के साथ भूस्खलन भी किया।