मॉनसून आते ही ऑलवेदर रोड बन गई जानलेवा, अब तक पांच की मौत

सरकार का दावा है कि चार धाम मार्ग 12 महीने चलेगा, लेकिन मॉनसून आते ही यह राजमार्ग जगह-जगह से बंद है
उत्तराखंड का बदरीनाथ हाईवे। ऑलवेदर रोड के नाम पर पहाड़ों को बेतरतीब तरीके से काटकर सड़क को बेहद खतरनाक रूप दे दिया गया है। फोटो त्रिलोचन भट्ट
उत्तराखंड का बदरीनाथ हाईवे। ऑलवेदर रोड के नाम पर पहाड़ों को बेतरतीब तरीके से काटकर सड़क को बेहद खतरनाक रूप दे दिया गया है। फोटो त्रिलोचन भट्ट
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ऊपर आप दो फोटो फ्रेम देख रहे हैं। ये उत्तराखंड में बदरीनाथ हाईवे पर तोता घाटी के हैं। दोनों तस्वीरें लगभग एक ही जगह से ली गई हैं। पहली तस्वीर शानदार तरीके से फोटोशॉप की गई है। तस्वीर को ऐसा एंगल दिया गया है, ताकि सड़क के ठीक ऊपर पहाड़ी पर बोल्डर और मलबे के रूप में मौजूद खतरा नजर न आए। ये तस्वीर कुछ महीने पहले केन्द्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने अपने ट्विटर हैंडल पर साझा की थी।

दूसरी तस्वीर हमारी है। करीब-करीब उसी जगह से। हमने यह तस्वीर जो है, जैसी है की स्थिति में यहां दी है। इसमें सड़क के ठीक ऊपर मौजूद मलबा और बोल्डर आप देख रहे होंगे, जो तेज बारिश के साथ नीचे गिरेगा तो सीधे सड़क पर गुजर रहे वाहन पर गिरेगा और बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकता है।

दरअसल नितिन गडकरी ने यह जताने के लिए तस्वीर साझा की थी कि उत्तराखंड की चार धाम सड़क परियोजना एक सफल परियोजना साबित हुई है। सड़कें चौड़ी और सुरक्षित हो गई हैं। लेकिन, राज्य में मॉनसून सक्रिय होने के पहले तीन दिनों में ही हमारी आशंका सच साबित हुई है।

पिछले तीन दिनों में राज्य में पहाड़ी से आये मलबे और बोल्डर की चपेट में आने से दबकर मरने की चार घटनाएं हो चुकी हैं और इन घटनाओं में पांच लोगों की मौत हो चुकी है। 

रुद्रप्रयाग जिले में केदारनाथ मार्ग पर ऐसी दो घटनाएं हुई हैं। एक घटना में वाहन पर मलबा गिरने से उसमें सवार एक व्यक्ति की मौत हुई, जबकि इसी क्षे़त्र में पैदल चल रहे एक तीर्थयात्री की भी मलबे की चपेट में आने से मौत हो गई।

चमोली जिले में भी बदरीनाथ मार्ग में वाहन के ऊपर मलबा गिरने से एक महिला तीर्थयात्री की मौत हुई। चमोली में ही एक अन्य घटना में भारी मात्रा में मलबा कार के ऊपर गिरने से उसमें सवार एक दंपति की मौत हो गई। दोनों के शव भी काफी मशक्कत के बाद मलबे से निकाले जा सके।

यह स्थिति तब है, जबकि राज्य में अब तक ठीक से मानसून सक्रिय भी नहीं हुआ है। बारिश के आंकड़े बताते हैं कि राज्य के ज्यादातर जिलों में अब तक सामान्य से बहुत कम बारिश हुई है। आने वाले दिनों में यदि बारिश सामान्य स्थिति तक पहुंचती है या किसी दिन सामान्य से ज्यादा बारिश होती है तो इससे स्थितियां कितनी खराब होंगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

उत्तराखंड में जून का महीना ठीक-ठाक बारिश का महीना माना जाता है। केदारनाथ की बड़ी आपदा जून के महीने में ही आई थी, जब 17 जून, 2013 को एक ही दिन में करीब 400 मिमी और जून के महीने में 900 मिमी से ज्यादा बारिश दर्ज की गई थी। लेकिन इस बार जून में सिर्फ 125.8 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य से 29 प्रतिशत कम है।

सामान्य रूप से 1 जून से 4 जुलाई की सुबह 8ः30 बजे तक राज्य में औसतन 219.6 मिमी बारिश होती है, लेकिन इस बार अब तक सिर्फ 170 मिमी बारिश ही हुई है। यानी अभी तक राज्य में सामान्य से 23 प्रतिशत कम बारिश हुई है।

बारिश का जिलावार आंकड़ा देखें तो 4 जुलाई सुबह तक बागेश्वर, चमोली और रुद्रप्रयाग जिलों को छोड़कर अन्य सभी जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है। चार धाम सड़क परियोजना का सबसे बड़ा हिस्सा जिन टिहरी और उत्तरकाशी जिलों से गुजरता है, उनमें भी अब तक सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई है।

टिहरी जिले में 4 जुलाई की सुबह तक 155.2 मिमी बारिश हुई है, जो सामान्य से 2 प्रतिशत कम हैं। उत्तरकाशी जिले में सिर्फ 142.1 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जो सामान्य से 34 प्रतिशत कम है।

इतनी कम बारिश में ही लगातार सड़कें बंद होने और मलबे में दबकर लोगों की मौत हो जाने की घटनाएं हो रही हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले दिन उत्तराखंड के लिए और खासकर यहां की ऑल वेदर रोड पर सफर करने वाले लोगों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकते हैं।

जिस सड़क को केंद्र और राज्य सरकारें ऑल वेदर रोड के नाम पर प्रचारित करती रही है, जिस सड़क के बारे में दावा किया जाता रहा कि ये अब हर मौसम में खुली रहेगी, यानी बरसात में भी बंद नहीं होगी और जिस सड़क का श्रेय लेने के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री ने एडिट किया गया फोटो अपने ट्विटर हैंडल पर साझा किया, हाल के दिनों में उस सड़क की स्थिति यह है कि कुछ जगहों पर तीन दिन तक सड़क बंद रही और अब भी लगातार मलबा आ रहा है। लोग जान-जोखिम में डालकर इन सड़कों पर यात्रा कर रहे हैं।

उत्तराखंड वानिकी और औद्यानिकी विश्वविद्यालय में पर्यावरण विभाग के हेड डॉ. एसपी सती ने पिछले वर्ष ऋषिकेश से बदरीनाथ तक इस सड़क की यात्रा करने के बाद पता लगाया था कि सड़क चौड़ी करने के नाम पर जिस तरह से बेतरतीब तरीके से पहाड़ काटे गये हैं, उससे इस पूरी सड़क पर कम से कम 51 नये स्लाइडिंग जोन बन गये हैं और कई पुराने स्लाइडिंग जोन फिर से सक्रिय हो गये हैं।

29 जून को उत्तराखंड में लगभग सभी जगहों पर बारिश हुई। इसी दिन मौसम विभाग ने राज्य में मानसून पहुंच जाने की घोषणा की। इसी रात को केदारनाथ और बदरीनाथ मार्ग कई जगहों पर बंद हो गया।

बाकी जगहों पर तो मार्ग खोल दिया गया, लेकिन श्रीनगर और रुद्रप्रयाग के बीच सिरोबगड़ में और जोशीमठ से आगे लामबगड़ के पास आया मलबा 2 जुलाई की शाम तक साफ हो पाया। सिरोबगड़ में स्थिति यह है कि कुछ देर सड़क खुल रही है तो फिर से मलबा आ रहा है। वाहन चालक जान-जोखिम में डालकर इस स्लाइडिंग जोन को पार कर रहे हैं।

30 जून को सिरोबगड़ में स्थिति बेहद खराब रही। सड़क बंद थी और दोनों तरफ वाहनों में इतनी लंबी कतार लग गई कि लोगों के लिए वापस लौटना भी संभव नहीं हो पाया। हजारों की संख्या में लोग पूरे दिन जहां के तहां फंसे रहे। शाम तक ही वाहनों को वापस लौटने की जगह मिल पाई।

ऋषिकेश से लेकर केदारनाथ और बदरीनाथ की तरफ जाएं या गंगोत्री और यमुनोत्री की तरफ सड़कें बेशक चौड़ी हो गई हैं और इन सड़कों पर यात्रा के समय में भी कमी आई है।

लेकिन, बरसात बढ़ने के साथ ही पूरा मलबा सड़कों पर आने की आशंका बनी हुई है। डॉ. एसपी सती कहते हैं कि सड़कें चौड़ी करने के नाम पर पहाड़ों को जिस तरह 90 डिग्री पर काटा गया है, उससे तब तक मलबा आता रहेगा, जब तक इस कटान को जरूरी ढलान नहीं मिल जाता, ऐसे में दुर्घटनाएं होने की पूरी संभावना है।

इस बीच राज्य में अगले दो दिन तक भारी बारिश होने की संभावना है। मौसम विभाग ने 5 और 6 जुलाई को देहरादून, पौड़ी, टिहरी, नैनीताल और चंपावत जिलों में कहीं-कहीं भारी से बहुत भारी बारिश होने का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। राज्य में अन्य जिलों में भी तेज बारिश होने की संभावना जताई गई है।

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