आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) द्वारा संचालित एक नया एल्गोरिदम मॉनसून के मौसम से 18 महीने पहले सटीक पूर्वानुमान लगाने में मदद कर सकता है। यह एल्गोरिद्म जिसे प्रेडिक्टर डिस्कवरी एल्गोरिद्म (पीडीए) कहा जाता है। जो महासागर में होने वाले बदलावों का उपयोग करके देश के लिए प्रभावी कृषि और अन्य आर्थिक योजनाओं को बनाने में सटीक पूर्वानुमान की सुविधा दे सकता है।
शोधकर्ताओं ने भारतीय ग्रीष्मकालीन मॉनसून (आईएसएमआर) के पूर्वानुमान लगाने के वैज्ञानिक आधार को अच्छी तरह से स्थापित किया है। आईएसएमआर में होने वाले बदलावों और पूर्वानुमान को समझने में अहम उपलब्धि हासिल की है। आईएसएमआर के लिए लगाए गए पूर्वानुमान लंबे समय तक के लिए उपलब्ध हैं, यह मौसम के 6, 12, 18 और 24 महीने आगे का पूर्वानुमान लगा सकते हैं।
मौजूदा तरीकों में शोधकर्ता दुनिया भर के किसी इलाके में आईएसएमआर के साथ वायुमंडलीय या महासागरीय बदलाव के आधार पर पूर्वानुमान लगाते हैं। इस तरह की तकनीक आईएसएमआर की वास्तविक पूर्वानुमान को हासिल करने से रोकती है, क्योंकि यह एक समय में एक विशेष क्षेत्र का पूर्वानुमान लगता है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी (आईएएसएसटी), गुवाहाटी के वैज्ञानिकों ने पाया है कि व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला समुद्री सतह का तापमान (एसएसटी) भारतीय मॉनसून की लंबे समय की गणना कर पूर्वानुमान लगाने के लिए पर्याप्त नहीं है।
उन्होंने कहा ऐसा इसलिए था क्योंकि एसएसटी-आधारित पूर्वानुमान का उपयोग कर प्रेडिक्टर डिस्कवरी एल्गोरिथम (पीडीए) द्वारा अनुमानित भारतीय मॉनसून की संभावित क्षमता सभी प्रमुख महीनों के लिए कम देखी गई।
पुणे के भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) और गुवाहाटी के कॉटन विश्वविद्यालय से मिलकर बनी टीम ने एक प्रेडिक्टर डिस्कवरी एल्गोरिथम (पीडीए) तैयार किया है। यह पूरे उष्णकटिबंध में महासागर थर्मोक्लाइन गहराई (डी20) की योजना बनाकर किसी भी महीने का पूर्वानुमान लगा सकता है।
अध्ययनकर्तओं ने किसी भी अहम मॉनसूनी महीने में मॉनसून का पूर्वानुमान के वास्तविक क्षमता का पता लगाने के लिए पूरे उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में सभी संभावित कारणों को समझाया।
इसके अलावा, यह महासागरीय थर्मोक्लाइन गहराई (डी20) स्टोकेस्टिक वायुमंडलीय शोर से कम से कम प्रभावित होता है।
नया एल्गोरिथ्म भारतीय ग्रीष्मकालीन मॉनसून के मौसम से 18 महीने पहले पूर्वानुमान लगा सकता है। आईएसएमआर के पूर्वानुमान लगाने की संभावित क्षमता अधिकतम (0.87, उच्चतम 1.0) है। किसी भी प्रमुख महीने में, आईएसएमआर की वार्षिक बदलावों का पूर्वानुमान इसके कारणों की वार्षिक परिवर्तनशीलता पर निर्भर करती है।
मॉडल की सफलता के लिए 45 प्राकृतिक जलवायु मॉडल द्वारा 150 वर्षों के सिमुलेशन से भारतीय मॉनसून और उष्णकटिबंधीय थर्मोक्लाइन पैटर्न के बीच संबंधों को स्थापित किया गया है। साथ ही मशीन लर्निंग की मदद से 1871 से 1974 के बीच के वास्तविक अवलोकनों को स्थानांतरित करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उपयोग किया गया है।
रॉयल मौसम विज्ञान सोसाइटी जर्नल में प्रकाशित निष्कर्ष आने वाले वर्षों में बिना मशीन लर्निंग उपकरण के साथ-साथ एक साथ जुड़े हुए जलवायु मॉडल के सुधार में तेजी लाएगा, साथ भारतीय ग्रीष्मकालीन मॉनसून (आईएसएमआर) के लंबे समय तक सटीक पूर्वानुमान लगाने के मार्ग को प्रशस्त करेगा।
मॉनसूनी मौसम से एक साल पहले भारतीय ग्रीष्मकालीन मॉनसून (आईएसएमआर) के सटीक और लंबे समय के पूर्वानुमान नीति निर्माताओं और किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होंगे। साथ ही ग्लोबल वार्मिंग के साथ भारतीय मॉनसून की बढ़ती अनिश्चितताओं के लिए योजना बनाने और देश के खाद्य उत्पादन को रेसिलिएंट बनाने में अत्यधिक फायदेमंद होंगे।