मध्य प्रदेश: बाढ़ से 1334 हेक्टेयर कृषि भूमि पर गाद जमी, 2190 हेक्टेयर जमीन नदी में समाई

मध्य प्रदेश में साल 2021 का मानसून आंकड़ों के लिहाज से सामान्य कहा जा रहा है, लेकिन प्रदेश के नौ जिलों में इस दौरान भारी बारिश हुई
श्योपुर में बाढ़ की स्थिति का एरियल व्यू। फोटो- मध्य प्रदेश शासन
श्योपुर में बाढ़ की स्थिति का एरियल व्यू। फोटो- मध्य प्रदेश शासन
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मध्य प्रदेश में साल 2021 का मानसून तबाही लेकर आया। भारी बारिश से प्रदेश के ग्वालियर चंबल संभाग के 9 जिलों में जान-माल के साथ फसलों को भारी नुकसान पहुंचा। मध्य प्रदेश में इस साल 1,14,889 हेक्टेयर में लगी फसल बाढ़ की वजह से तबाह हो गई। इससे 115170 किसान प्रभावित हुए। फसल का कुल नुकसान 577.22 करोड़ आंका गया है। नुकसान का यह आंकड़ा मध्य प्रदेश के राजस्व विभाग के द्वारा केंद्र सरकार को भेजी एक रिपोर्ट में सामने आया है।

प्रदेश में श्योपुर, अशोकनगर, ग्वालियर, शिवपुरी, मुरैना, दतिया, गुना, विदिशा समेत भिंड की 63 तहसीलों में बाढ़ का सबसे अधिक असर देखने को मिला।

रिपोर्ट के मुताबिक फसलों के नुकसान को देखते हुए छोटे और मझौले किसानों को 72.85 करोड़ रुपए की राहत किसानों को दिए जाने की जरूरत है। सबसे अधिक नुकसान सोयाबीन, मक्का, मूंग, बाजरा और मूंगफली को हुआ है। अक्टूबर में आई बारिश से धान की भी खड़ी फसल बर्बाद हुई है। 

बाढ़ ने न केवल फसलों को तबाह किया है बल्कि कई खेत गाद जमने की वजह से खराब हो गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 1334 हेक्टेयर में तीन इंच से अधिक गाद जमा है जिसे निकालने की जरूरत है। बाढ़ की वजह से प्रदेश में खेतों की कटाई भी हुई है यानी खेत पूरी तरह से नदी में समा गए। आंकड़ों के मुताबिक 2190.38 हेक्टेयर जमीन पूरी तरह नदी में समा गई। इस नुकसान के लिए सरकार ने किसानों को 37,500 रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से 821.39 करोड़ रुपए का मुआवजे की मांग केंद्र से की है। 

खेती के अलावा पालतू जानवरों को हुए नुकसान से भी किसानों को परेशानी हुई है। बाढ़ और लगातार बारिश की वजह से 1,573 जानवर और 5,977 पक्षियों की मौत भी हो गई। इस नुकसान की भारपाई के लिए 2.72 करोड़ रुपए की जरूरत होगी। इसके अलावा मकानों को हुए नुकसान के लिए 349.06 रुपए का मुआवजा बनता है। इसके अलावा प्रदेश में पुल, सड़क, बिजली लाइन सहित कई मूलभूत ढांचे का नुकसान भी हुआ है। सभी नुकसान का ब्यौरा राज्य ने केंद्र को भेजा है। साथ ही, इसकी भारपाई के लिए केंद्र से 2,043 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता की मांग की गई है।

पिछले साल 2020 में प्रदेश में 971 मिमी बारिश हुई थी, जिसके बाद भी बाढ़ की स्थिति बनी। पिछले वर्ष राज्य सरकार ने केंद्र से 6,619 करोड़ रुपए की मांग की थी। केंद्र ने 1779.47 करोड़ रुपए स्वीकृत किया था। पिछले वर्ष बाढ़ और अतिवृष्टि के कारण 6.68 लाख हेक्टेयर की फसलों को नुकसान पहुंचा था और कुल 42,536 पक्के और कच्चे घर क्षतिग्रस्त हुए थे। 

दिखने में मानसून सामान्य, लेकिन सामान्य जैसा कुछ भी नहीं

मध्य प्रदेश में इस मानसून सामान्य बारिश 940.6 के मुकाबले औसत 945.2 मिमी बारिश हुई। इसे सामान्य माना जा सकता है। लेकिन, बारिश काफी अनियमित हुई, जिससे कई जिलों में तबाही मची। ग्वालियर-चंबल के तीन जिलों में अनुमान से 60 फीसदी अधिक बारिश हुई। राज्य के 7 जिलों में सामान्य से 20 से 59 फीसदी अधिक बारिश हुई। सबसे अधिक प्रभावित जिला श्योपुर में 30 जुलाई से लेकर 3 अगस्त तक पांच दिन में 600.3 मिमी की बारिश दर्ज की गई।

कोविड-19 महामारी से फंड की कमी

केंद्र सरकार के एक आदेश के बाद राज्य आपदा राहत कोष के कुल बजट का आधा कोविड-19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिए खर्च करना था। इस तरह राज्य ने 970.80 करोड़ रुपए इस काम के लिए आरक्षित कर दिए। इस तरह बाढ़ राहत के लिए सरकार के पास फंड की कमी हो गई।

इस वर्ष मध्य प्रदेश में आपदा राहत के लिए 2427 करोड़ रुपए का कोष बना हुआ था। इसमें से 1941.60 करोड़ की राशि राज्य आपदा राहत कोष का होता है। इस कोष के लिए केंद्र ने इस वर्ष पहली किस्त 728 करोड़ की जारी की और राज्य सरकार ने इसमें 242.80 करोड़ रुपए मिलाए। इस तरह राज्य के पास आपदा से निपटने के लिए 970.80 करोड़ रुपए थे। इसमें से 702.87 करोड़ रुपए राहत कार्य में खर्च हो गए। फिलहाल राज्य के पास 267.93 करोड़ की राशि कोष में उपलब्ध है।

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक राज्य सरकार ने अब तक 163.28 करोड़ रुपए की राहत राशि वितरित की है।

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